SCO Summit : नहीं मिले हाथ, नमस्ते से किया अभिवादन...जयशंकर ने आतंकवाद पर पाक को लताड़ा

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Published By Bhawna
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बेनौलिम (गोवा)।  विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत द्वारा आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन स्थल पर शुक्रवार को पहुंचे अपने पाकिस्तानी समकक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी, चीन के छिन कांग और अन्य विदेश मंत्रियों का अभिवादन नमस्ते से किया। विदेश मंत्री ने मीटिंग को संबोधित करते हुए आतंकवाद पर प्रहार किया। उन्होंने पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो  के सामने कहा कि सरहद पार से आतंकवाद पूरी तरह से खत्म होना चाहिए। इनके फंडिंग पर हमे रोक लगानी होगी। एस जयशंकर ने कहा कि जिस वक्त पूरी कोविड-19 महामारी और इसके प्रभावों से निपटने में लगी थी। हर देश में मौतें हो रहीं थीं। उस वक्त भी आतंकी घटनाएं हो रहीं थीं।


 नहीं मिले हाथ, नमस्ते से किया अभिवादन
इससे पहले एस जयशंकर ने मंच पर ही सबके सामने बिलावल भुट्टो से नमस्ते से अभिवादन किया। नमस्ते के दौरान बिलावल ने हाथ भी जोड़े थे। एस जयशंकर और बिलावल की मुलाकात की तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं।

 एससीओ के विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक गुरुवार शाम यहां ताज एक्सोटिका रिसॉर्ट में जयशंकर द्वारा आयोजित स्वागत समारोह के साथ शुरू हुई, लेकिन मुख्य विचार-विमर्श शुक्रवार को हुआ। विदेश मंत्री ने आने वाले प्रत्येक विदेश मंत्री का हाथ मिलाकर नहीं बल्कि नमस्ते के साथ अभिवादन किया। बिलावल के प्रतिनिधिमंडल में शामिल कुछ लोगों के अनुसार, गुरुवार शाम के स्वागत समारोह में जयशंकर ने अन्य विदेश मंत्रियों के समान अपने पाकिस्तानी समकक्ष से हाथ मिलाया। बिलावल गुरुवार को गोवा पहुंचे। पिछले 12 वर्षों में भारत का दौरा करने वाले वह पहले पाकिस्तानी विदेश मंत्री हैं।

 वर्ष 2011 में पाकिस्तान की तत्कालीन विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने भारत का दौरा किया और अपने तत्कालीन समकक्ष एस एम कृष्णा के साथ बातचीत की। भारत ने समूह के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में एससीओ विदेश मंत्रियों के सम्मेलन की मेजबानी की। एससीओ एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा समूह है तथा यह सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक बनकर उभरा है। एससीओ की स्थापना रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने 2001 में शंघाई में एक सम्मेलन में की थी। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने थे।

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