OMG! पत्थर भी देते हैं बच्चों को जन्म...खुद होने लगते हैं बड़े, इंसानों से कम नहीं लिविंग स्टोन
रोमानिया। दुनियां में कई सारी ऐसी चीजें हैं, जिसके बारे में हम सोचें तो उसका कोई छोर ही नहीं है। यानि कि हम जितना उसके अंदर घुसने की कोशिश करेंगे तो रहस्यमयी तरीके से कुछ न कुछ नया निकल कर आता रहता है, फिर चाहें वह एलियंस के बारे में हो या अन्य के बारे में।
कुछ ऐसा ही है लिविंग स्टोन। वैसे तो यह एलियंस से भिन्न है, लेकिन पहले कुछ लोगों एलियंस की तरह ही मानते थे। लेकिन देखा गया कि इंसानों की तरह मिलती जुलती चीजें इसमें मिलती हैं। अगर हम कहें तो ये कोई अजूबा से कम नहीं है। आज हम इसी के बारे में बात करेंगे।
कोस्टेस्टी रोमानिया का ऐसा शहर है, जहां लिविंग स्टोन जिंदा लोगों की तरह हरकत करते हैं। यानि कि यहां पत्थरों का साइज बढ़ता रहता है और यही नहीं पत्थर अपने जैसे दिखने वाले बच्चों को भी जन्म देते हैं। इसलिए वैज्ञानिकों ने लिविंग स्टोन को जीवित पत्थर का नाम दिया है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक ये पत्थर चलते फिरते बच्चों को जन्म देते हैं, इन्हें एक तरह से चमत्कारी पत्थर भी माना जाता है। आपको बता दें, ट्रोवेन्ट शब्द जर्मन टर्म सैंडेस्टाइन कॉन्क्रीशन्स से आया है, इसका मतलब होता कि सीमेंट की तरह की रेत से दिखने वाले। आकार की बात करें तो ये अलग-अलग शेप और साइज के हो सकते हैं, लेकिन ज्यादातर ये अंडाकार और चिकने दिखाई देते हैं। कई बार पत्थर 15 फीट के भी होते हैं तो बेबी ट्रोवेन्ट कुछ ग्राम के हो सकते हैं, मतलब इतने छोटे कि हथेली में समा जाएं। बाद में इनका आकार बढ़ता चला जाता है।
लोगों का 18वीं सदी में जब पहली बार इसपर ध्यान गया तो वे डर गए और हैरान हो गए। क्योंकि पहले उन्हें डायनासोर के अंडों का जीवाश्म समझा गया था। फिर एलियन पॉड समझा जाने लगा जो धरती के लोगों पर नजर रखने आए। फिर लंबे समय तक जगह के आसपास कोई आबादी नहीं बस सकी क्योंकि कोई भी लिविंग स्टोन्स का रहस्य नहीं जानता था। स्थानीय लोग इन्हें पारलौकिक ताकतों से भी जोड़ते रहे।
आकार बदलने की वजह
अगर हम बात करें आकार बदलने की तो दुनियाभर के जियोलॉजिस्ट इन पत्थरों पर रिसर्च कर चुके लेकिन अभी भी इनके आकार बढ़ने की वजह साफ नहीं हो पाई है। असल में विज्ञानियों का मानना है कि ये 6 मिलियन साल पुराने पत्थर हैं, जो बलुआ पत्थर यानी ग्रिटस्टोन्स से बने हैं। बताते हैं कि ये चूना पत्थर के भीतर लिपटे होते हैं। इसी बात को देखते हुए एक थ्योरी मानती है कि बारिश के वक्त ये पत्थर कई मीटर तक बढ़ जाते हैं।
मानते हैं कि इसका कारण इनमें मौजूद मिनरल सॉल्ट की भारी मात्रा हो सकती है जो पानी पड़ते ही फैलने लग जाती है। हालांकि इसपर भी वैज्ञानिक ही सहमत नहीं हो सके है। अपनी थ्योरीज को नकारते रहे साल 2008 में ओस्लो में इंटरनेशनल जियोलॉजिकल कांग्रेस ने कहा कि ट्रोवेंट्स के बारे में गलत अनुमान लगाया गया। हालांकि असल बात क्या है, जिसकी वजह से पत्थरों के साइज में बदलाव हो रहा है, या वे बाकी पत्थरों से अलग हैं, इसपर कोई स्पेसिफिक कारण नहीं दिया जा सका। सिर्फ इतना माना गया कि ये पत्थर लगभग 5.3 मिलियन साल पहले किसी बड़े भूकंप के बाद जमीन के भीतर से आए रिसाव से बने होंगे।
सपास की जमीन से ये भी लगता है कि किसी समय यहां पर समुद्र रहा होगा। ये बात नेचर कम्युनिकेशन्स में द जियोलॉजिकल एंड पेलिओन्टोलॉजिकल हैरिटेज ऑफ द बुजाऊ लैंड जियोपार्क नाम से साल 2017 में प्रकाशित हुई थी. इसमें भी ये नहीं साफ हो सका कि चट्टानें आखिर क्यों आकार बदल रही हैं।
पत्थरों पर दिखती हैं एज रिंग्स रिसर्चरों का कहना है कि हर हजार साल में ट्रोवेंट्स लगभग 1.5 से 2 इंच (4 से 5 सेंटीमीटर) बढ़ जाते हैं। पत्थर पर ये ग्रोथ बल्बनुमा होती है, यानी उसपर एक छोटा उभार हो आता है। इसी बात को देखकर कहा जाता है कि पत्थरों से बच्चों का जन्म हो रहा है. लेकिन इसमें कई अनोखी चीजें हैं जो आमतौर पर जिंदा पेड़ों में दिखती हैं. जैसे एज रिंग्स. पत्थरों पर निकले उभारों को अगर काटा जाए, तो उनके भीतर छल्लेनुमा शेप दिखता है, जो पुराने पेड़ों के भीतर होता है. इससे ये पता लगता है कि वे कितने पुराने हैं।
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