हल्द्वानी: सरकारी लाभ लेने के लिए गोशालाओं का पंजीकरण अनिवार्य 

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Published By Bhupesh Kanaujia
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हल्द्वानी, अमृत विचार। निराश्रित पशुओं के भरण-पोषण व सरकारी लाभ लेने के लिए गोशाला संचालकों को 1860 के सोसाइटी एक्ट और राज्य पशु कल्याण बोर्ड में पंजीकरण कराना होगा। इसके साथ ही तीन साल तक गोशाला चलाने का अनुभव भी होना चाहिए। 

बता दें कि नगरीय क्षेत्रों में दो पंजीकृत गोशालाएं हैं। पहली हल्दूचौड़ में शील नित्यानंद पाद आश्रम और दूसरी बिंदुखत्ता के शीशम भुजिया में उत्तराखंड जनविकास समिति है। साथ ही तीन अपंजीकृत गोशालाएं भी हैं। पर्वतीय क्षेत्र में दो अपंजीकृत गोशालाएं ऊंचाकोट और बेतालघाट में हैं।

उप पशु चिकित्साधिकारी पीएस हयांकी ने बताया कि जिले में वर्तमान में 2046 गोवंशीय पशु हैं। उन्होंने बताया कि पंजीकृत संस्था को गोवंशीय पशुओं के भरण-पोषण और गोशाला निर्माण के लिए अनुदान मिलता है। किसी भी स्वयंसेवी संस्था को पंजीकरण करने के लिए गोशाला में न्यूनतम 50 गोवंशीय पशुओं के होने पर ही शासन से अनुमन्य लाभ मिलेगा। हयांकी ने बताया कि रामनगर तहसील के मालधनचौड़ ग्राम पंचायत ने आनंदनगर में 10 बीघा जमीन जिला पंचायत को सौंप दी।

जिस पर मुख्य विकास अधिकारी ने जल्द ही गोशाला का निर्माण करने के आदेश दिये। हल्दूचौड़ स्थित पंजीकृत गोशाला के संचालक ने कहा कि बीते दिनों हुई पशु क्रूरता निवारण अधिनियम बैठक में सरकार ने कई निर्णय लिए। उन्होंने कहा कि सरकार 2.5 करोड़ रुपये की मदद करती है तो वह जमीन खरीदकर हल्द्वानी के सभी निराश्रित गोवंशीय पशुओं को शरण देंगे। बीते दिनों मुख्य सचिव एसएस संधु ने संबंधित जिलाधिकारियों को आदेश दिए कि धर्मांर्थ गोशाला संचालक निराश्रित पशुओं को वर्ग 4 की जमीन में रख रहे हैं तो संबंधित संस्था को इसकी अनुमति प्रदान की जाए। 


अनुदान राशि को बढ़ाकर 80 रुपये किया 
बीते दिनों कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया गया कि एनजीओ के माध्यम से गोसदन संचालित करने वालों को भूमि और आवश्यक वित्तीय मदद सरकार करेगी। गोसदनों में गोवंश के भरण-पोषण के लिए 30 रुपये की अनुदान राशि को बढ़ाकर 80 रुपये कर दिया गया है। यदि कोई संस्था अपने पास उपलब्ध भूमि पर गोसदन बनाती है तो इसके निर्माण में धन की कमी  होने पर इसे सरकार पूरा करेगी।