पीलीभीत: अब बिना सत्यापन कराए 200 क्विंटल तक केंद्रों पर गेहूं बेच सकेंगे किसान, शासन की ओर से दी गई ढील
पीलीभीत, अमृत विचार। शासन ने गेहूं की खरीद को बढ़ाने के लिए किसानों को बड़ी राहत दी है। अब किसान बिना सत्यापन कराए 200 क्विंटल तक गेहूं क्रय केंद्रों पर बिक्री कर सकेंगे। किसानों को यह ढील कम खरीद को देखते हुए दी गई है। यह दीगर बात है कि तमाम जोर आजमाइश करने के बाद भी जिले में अब महज करीब 7.50 फीसदी ही गेहूं खरीद हो सकी है। ऐसे में लक्ष्य के सापेक्ष गेहूं खरीद करना जिम्मेदारों के लिए चुनौती बनता जा रहा है।
जनपद में इस बार किसानों को सरकारी क्रय केंद्रों तक लाने में खरीद से जुड़े अफसरों-कर्मचारियों के पसीने छूट रहे हैं। वजह यह है कि खुले बाजार में गेहूं का भाव समर्थन मूल्य से कहीं अधिक हैं। ऐसे में अधिकांश किसान अपना गेहूं क्रय केंद्रों के बजाए आढ़तों पर बिक्री कर रहे हैं। गेहूं की सरकारी खरीद बढ़ाने को तमाम हथकंडे इस्तेमाल किए जा रहे हैं, ताकि गेहूं खरीद में बढ़ोत्तरी हो सके।
वहीं, शासन ने अब किसानों को बिना सत्यापन कराए 200 क्विंटल तक गेहूं बिक्री करने की ढील दी है। हालांकि पंजीकरण की अनिवार्यता को को समाप्त नहीं किया गया है। पहले क्रय केंद्रों में 100 क्विंटल से अधिक गेहूं बेचने के लिए किसानों को खसरा एवं किसान बही का सत्यापन कराना होता था। जमीन और उत्पादकता के आधार पर सत्यापन होता था। इससे बचने को किसान क्रय केंद्रों के बजाए खुले बाजार में गेहूं बेच देते थे। खरीद में बढ़ोत्तरी करने के लिए यह व्यवस्था की गई है।
वैसे शासन के निर्देश पर जनपद में पहली मार्च से ही गेहूं खरीद करने के फरमान जारी किया था, लेकिन जिले में फसल तैयार न होने के कारण कर पूरे मार्च माह के दौरान सभी 145 क्रय केंद्रों पर सन्नाटा पसरा रहा था। जिले में गेहूं खरीद की शुरुआत तीन अप्रैल से हुई थी। इधर गेहूं क्रय केंद्र खुले दो माह से अधिक का समय बीत चुका है। इसके बावजूद जिले में गेहूं की सरकारी खरीद रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है।
यह स्थिति तब है जब जनपद के गेहूं को बाहर ले जाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा हुआ है। जनपद की सीमाओं पर निगरानी टीमों को लगाया गया है, ताकि गेहूं गैर जनपदों में न जा सके। कम खरीद करने वालों पर सख्ती के साथ कार्रवाई की जा रही है। शासन प्रशासन द्वारा रोजाना गेहूं खरीद की समीक्षा की जा रही है। शासन द्वारा लगातार गेहूं खरीद तेज करने के निर्देश दिए जा रहे हैं, इसके बावजूद जिम्मेदार किसानों को क्रय केंद्रों तक जाने में नाकाम हो रहे हैं। अफसर भी इस बात की स्वीकारते हैं कि जब किसानों को खुले बाजार में गेहूं का अधिक दाम मिल रहा है तो वह कम दाम में अपना गेहूं क्यों बेचेंगे।
गेहूं खरीद में पीसीयू सबसे पीछे
इस बार शासन की ओर से जिले को 3.08 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य दिया गया है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक लक्ष्य के सापेक्ष जनपद में अब तक करीब 7.50 फीसदी खरीद हो चुकी है। गेहूं खरीद में पीसीयू सबसे फिसड्डी साबित हो रहा है। इस क्रय एजेंसी के जिले में 33 क्रय केंद्र लगे हुए हैं। अधिकारियों के मुताबिक एक मई तक जिले में 2626 किसानों का गेहूं खरीदा जा चुका है। खरीदे गए गेहूं के सापेक्ष 90 प्रतिशत के अधिक का भुगतान भी किया जा चुका है। फिलहाल प्रशासन लगातार गेहूं खरीद बढ़ाने के प्रयास में जुटा हुआ है।
अब किसान बिना सत्यापन कराए 200 क्विंटल तक गेहूं क्रय केंद्रों पर बिक्री कर सकते हैं। जनपद में लक्ष्य के सापेक्ष गेहूं खरीद करने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। गेहूं खरीद बढ़ाने के लिए केंद्र प्रभारियों को लगातार निर्देशित किया जा रहा है - विजय कुमार शुक्ला, डिप्टी आरएमओ।
