पीलीभीत: संभलकर करें सफर...हाईवे पर नहीं जलती लाइट, डिवाइडर भी क्षतिग्रस्त...हादसों की रोकथाम को लेकर दावे, सुधार पर नहीं ध्यान
पीलीभीत/ललौरीखेड़ा, अमृत विचार: इन दिनों सड़क हादसों की रोकथाम के लिए प्रशासन की ओर से चिन्हित ब्लैक स्पॉट पर सुधार कार्य कराया जा रहा है। मकसद है कि नियमों के प्रति वाहन चालकों को जागरुक और सड़कों पर सुधार करके बढ़ती संख्या पर रोक लगाई जाए। मगर अभी भी धरातल पर कई जगह बदइंतजामी हावी है। अव्यवस्थाओं को दूर करने में जिम्मेदार रुचि नहीं ले रहे हैं। मुख्य मार्गों पर भी आधे अधूरे इंतजाम हैं।
बरेली हाईवे की बात करें तो एक्सीडेंट जोन एरिया ग्राम ललौरीखेड़ा के पास भी बेपरवाह तस्वीर सामने है। डिवाइडर पर लगवाई गई स्ट्रीट लाइटें दो साल बाद भी रोशनी नहीं दे सकी हैं। कई जगह से डिवाइडर पर लगा जाल क्षतिग्रस्त हो चुका है। ऊपर से दिन-रात हाईवे पर छुट्टा पशुओं का जमावड़ा रहता है।
बता दें कि बरेली हाईवे पर ललौरीखेड़ा गांव के पास आए दिन हादसे होते हैं। यहां पुलिस चौकी, ब्लॉक कार्यालय, सीएचसी, एसएसबी कार्यालय समेत कई स्कूल व बाजार हैं। हाईवे होने की वजह से दिन-रात बड़ी संख्या में वाहनों की आवाजाही होती है।बताते हैं कि यहां दो साल से अधिक समय पहले डिवाइडर बनवाए गए। इसके बाद पोल लगाकर स्ट्रीट लाइट लगवा दी गई थी। जिसमे लाखों रुपए भी खर्च हो गए। मगर लंबे समय से हाईवे पर राहगीरों को रोशनी नहीं मिल सकी है।
बताते हैं कि लगवाई गई स्ट्रीट लाइट शोपीस बनी हुई हैं। देखरेख के अभाव में बिना जले ही कई लाइटें खराब भी हो गई। ग्रामीणों ने कई बार जिम्मेदारों को दुखड़ा सुनाया मगर आश्वासन ही मिल सका है। डिवाइडर पर लगी जाली भी कई जगह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इसका भी सुधार जिम्मेदार नहीं करा पाए हैं। जबकि इस क्षेत्र में वाहनों की रफ़्तार कइयों की जान भी ले चुकी है। नजदीक में ही एसएसबी कार्यालय है। एसएसबी के जवान अपने संधाधनों से घायलों की मदद करते रहे हैं। इसके अलावा छुट्टा पशुओं का भी जमावड़ा लगा रहता है। रात के वक्त तो करीब एक किमी का ये इलाका अंधेरे में डूबा रहता है। जिससे वाहन चालकों को अधिक दिक्कत होती है।
टनकपुर हाईवे पर भी औपचारिक सुधार कार्य
टनकपुर हाईवे पर गौहनिया चौराहा के पास स्थित तालाब की रेलिंग बीते दिनों क्षतिगसत हो गई थी। रेलिंग का क्षतिग्रस्त हिस्सा तालाब में ही समां गया था। इसकी शिकायतें हुई तो जिम्मेदारों ने संज्ञान लेते हुए सुधार के निर्देश तो दिए लेकिन किया गया कार्य औपचारिक ही रहा। क्षतिग्रस्त हिस्से में सिर्फ मिट्टी डालकर बांस बल्ली लगा दी गई है। जिसे स्थायी इंतजाम नहीं कहा जा सकता। इसके अलावा रोशनी का भी पर्याप्त इंतजाम नहीं हो सका है।
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