इलाहाबाद हाईकोर्ट : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार बिना लाइसेंस बोलने का अधिकार नहीं

Amrit Vichar Network
Published By Pradumn Upadhyay
On

अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के प्रयोग पर अपनी विशेष टिप्पणी में कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार अपनी विशेष जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के साथ प्रयोग किया जाता है। यह नागरिकों को जिम्मेदारी के बिना बोलने का अधिकार प्रदान नहीं करता है और न ही यह भाषा के हर संभव उपयोग के लिए एक मुक्त लाइसेंस प्रदान करता है।

उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की एकलपीठ ने डॉ शिव सिद्धार्थ उर्फ शिव कुमार भारती के खिलाफ आईपीसी की धारा 295 ए और आईटी अधिनियम, 2008 की धारा 67 के तहत पुलिस स्टेशन बदलापुर, जौनपुर में दाखिल चार्जशीट को खारिज करने से इनकार करते हुए की। चार्जशीट में आरोपी पर यह आरोप लगाया गया है कि उसने देवी दुर्गा पर अपमानजनक टिप्पणी वाले व्हाट्सएप संदेश पर एक आपत्तिजनक संदेश पोस्ट किया था, जिससे हिंदुओं की भावना को ठेस पहुंची है। चार्जशीट को चुनौती देते हुए अभियुक्त ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। आरोपी के अधिवक्ता ने जमानत याचिका की हिमायत करते हुए तर्क दिया कि वर्तमान मामले में हिंदू वाहिनी से संबंधित विरोधी पक्ष द्वारा आरोपी को झूठा फंसाया गया है।

अपर शासकीय अधिवक्ता ने अदालत को अवगत कराया कि जांच के दौरान आरोपी से दो मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं और उसके व्हाट्सएप संदेशों की जांच करने पर आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप सही पाए गए हैं। प्राथमिकी के साथ-साथ गवाहों द्वारा दिए गए बयानों के आधार पर अभियुक्त के खिलाफ एक संज्ञेय अपराध बनता है। सभी तर्कों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने कहा कि इंटरनेट और सोशल मीडिया महत्वपूर्ण उपकरण बन गए हैं, जिसके माध्यम से व्यक्ति अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकता है, लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार अपनी विशेष जिम्मेदारियों के साथ निभाना चाहिए।

अदालत ने आगे कहा कि आरोपी ने स्वीकार किया है कि व्हाट्सएप चैट में उसके द्वारा उपरोक्त संदेश प्राप्त किया गया था और उसने संदेश को अन्य समूहों में भेजा भी था। अतः आरोपी के खिलाफ ठोस सबूत पाए गए हैं, इसलिए उसकी याचिका खारिज करने योग्य है।

ये भी पढ़ें - प्रयागराज : जीवित गाय, बैल रखना या गाय का परिवहन करना गोवध निवारण अधिनियम के तहत अपराध नहीं

संबंधित समाचार