इलाहाबाद हाईकोर्ट : जीवित गाय, बैल रखना या गाय का परिवहन करना गोवध निवारण अधिनियम के तहत अपराध नहीं

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Published By Pradumn Upadhyay
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अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि उत्तर प्रदेश के भीतर केवल जीवित गाय, बैल रखना या गाय का परिवहन करना उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम, 1955 के तहत अपराध करने, उकसाने, अपराध करने का प्रयास करना नहीं माना जाएगा। उक्त आदेश न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की एकलपीठ ने इस वर्ष मार्च में एक वाहन से 6 गायों की कथित बरामदगी के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए आरोपी कुंदन यादव को जमानत देते हुए पारित किया। अभियुक्त के खिलाफ यूपी गोवध निवारण अधिनियम, 1964 की धारा 35 ए/5बी/8 और पशु क्रूरता अधिनियम, 1960 की धारा 11 के तहत पुलिस स्टेशन पतहेरवा, कुशीनगर में दर्ज किया गया था।

न्यायालय ने रिकॉर्ड का अवलोकन कर यह पाया कि ऐसी कोई सामग्री या परिस्थिति दिखाई नहीं देती है, जिससे यह सिद्ध होता हो कि अभियुक्त के कारण गाय या उसकी संतति को कोई शारीरिक चोट लगी है या उसके जीवन को खतरे में डालने के इरादे से अभियुक्त द्वारा भोजन या पानी उपलब्ध नहीं कराया जाता हो। इसके साथ ही अभियुक्त द्वारा जांच में सहयोग ना करने या जमानत पर रिहा होने पर सबूतों और गवाहों के साथ छेड़छाड़ कर सकने की संभावना भी नहीं दिखती है। उपरोक्त तथ्यों के आधार पर न्यायालय ने आरोपी को दोषी ना मानते हुए उसे जमानत दे दी।

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