आपसी रजामंदी से जुड़े रिश्ते में दुष्कर्म का मामला नहीं बनता : हाईकोर्ट

आपसी रजामंदी से जुड़े रिश्ते में दुष्कर्म का मामला नहीं बनता : हाईकोर्ट

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए कहा कि जब पार्टियों ने आपसी रजामंदी से शादी कर ली है तो दुष्कर्म का मामला नहीं बनता है। कोर्ट ने याची को राहत देते हुए उसके खिलाफ जिला बरेली के बारादरी थाने में पोक्सो एक्ट सहित दुष्कर्म के मामले में दर्ज प्राथमिकी के तहत चलने वाली पूरी आपराधिक प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकलपीठ ने फकरे आलम उर्फ शोजिल की ओर से दाखिल याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। 

याची के खिलाफ बरेली के बारादरी थाने में वर्ष 2016 में दुष्कर्म सहित पोक्सो अधिनियम की धारा 6 और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। सत्र न्यायालय ने 10 फरवरी 2017 को मामले का संज्ञान लिया और याची के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी कर दिया। याची ने प्राथमिकी सहित सत्र न्यायालय में चल रही पूरी आपराधिक कार्यवाही को कोर्ट में चुनौती दी। याची की ओर से कहा गया कि उसने पीड़िता की रजामंदी से शादी कर ली है। पीड़िता ने भी यह बात अपने सीआरपीसी की धारा 164 में दिए गए बयान में स्वीकार की। रिकॉर्ड पर दुष्कर्म से जुड़ा ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है जिससे सिद्ध होता हो कि कोई भी जोर जबरदस्ती की गई है।

शादी के दिन से दोनों लोग पति-पत्नी की तरह रह रहे हैं। याची के अधिवक्ता ने आगे तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि लड़की की मां ने याची से पांच लाख की रकम मांगी थी जो ना देने के एवज में वर्तमान झूठा मामला दर्ज किया गया है। मेडिकल जांच में भी पीड़िता के शरीर पर दुष्कर्म के कोई घाव नहीं पाए गए हैं। इसके साथ ही पीड़िता की उम्र 18 साल से अधिक है। अतः याची के खिलाफ पॉक्सो का मामला नहीं बन रहा है। कोर्ट ने पहले पोक्सो एक्ट की धारा को रद्द कर दिया। इसके बाद कहा कि जब पीड़िता 18 साल से अधिक उम्र की है और उसने अपनी इच्छा से शादी की है। ऐसी स्थिति में दोनों के बीच आपसी समझौते के आधार पर प्राथमिकी रद्द किए जाने योग्य है।

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