हल्द्वानी: कैंसर बना बॉटल नेक का संक्रमण, अतिक्रमण के शोर से जीरो जोन सरोबार
आईजी के सुगम यातायात के प्रयास को मुकम्मल अंजाम तक नहीं पहुंचा पा रही एंटी न्यूसेंस स्क्वाड और लोकल पुलिस
24 मई से लगातार जारी है यातायात को सुगम करने का अभियान सैकड़ों के चालान और हजारों रुपये की वसूली के बाद सुधार नहीं
हल्द्वानी, अमृत विचार। शहर के यातायात को सुगम करने की जुगत में लगे आईजी डॉ.निलेश आनंद भरणे के प्रयास को उन्हीं की पुलिस पलीता लगा रही है। शहर के बॉटल नेक का संक्रमण कैंसर बन चुका है और अब सिर्फ चालान इसका इलाज नहीं है। जीरो जोन भी तमाम कार्रवाई के बावजूद अतिक्रमण के शोर से सराबोर है।
बीती 24 मई से शहर की सड़क, फुटपाथ को अतिक्रमण और सुगम यातायात के लिए अभियान चलाया गया। जाहिर तौर पर अभियान सराहनीय रहा। इस अभियान के तहत शहर के सभी प्रमुख मार्गों को अतिक्रमण मुक्त कर चौड़ा करना था। इसके तहत सभी प्रमुख सड़कों और चौराहों से अभियान की शुरुआत हुई।
सड़क पर, सड़क किनारे और सफेद पट्टी के बाहर भी खड़ी गाड़ियों के चालान किए गए। तमाम बैठकें कर व्यापारियों, फड़, ठेली, रेड़ी और ऑटो, ई-रिक्शा यूनियन को बता दिया गया कि वाहन सड़क पर खड़े नहीं होंगे और जीरो जोन में कतई नहीं जाएंगे। हालांकि हुआ इसका उल्टा।
शहर के बॉटल नेक यानी मंगलपड़ाव से लेकर ओके होटल तक ई-रिक्शा और ऑटो के संचालन पर पाबंदी लगाई गई। अमृत विचार की टीम जब पड़ताल के लिए निकली तो आईजी के अभियान की बखिया यही लोग उधेड़ते नजर आए।
स्पष्ट था कि सरगम सिनेमा से सिंधी चौराहे की और और सती मिष्ठान भंडार से कालू सिद्ध तिराहे की ओर ऑटो, ई-रिक्शा खड़े नहीं होंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ऐसा सिर्फ तभी तक हुआ, जब तक अभियान चला। इसके बाद स्थिति जस की तस। फिर वो सड़क किनारे निजी वाहन खड़े करने की बात हो या फिर सड़कों पर दुकानों के होर्डिंग, बोर्ड खड़ा कर रास्ता बाधित करना।
अभियान से आगे बढ़ते तो जरूर बनती बात
सवारियां ढोने के लिए ऑटो और ई-रिक्शा वाले सारे नियमों को ताक पर रख देते हैं। पुलिस का अभियान भी बेहतर है, लेकिन इसमें कमी भी है। जरुरत यह थी कि अभियान को सिर्फ अभियान तक सीमित नहीं होना चाहिए था। चाहिए था कि अभियान के पीछे-पीछे एक ऐसी टीम की नियुक्ति की जाती तो व्यवस्था को बदस्तूर बनाए रखने के लिए कार्रवाई करती।
प्राथमिकता पूरी नहीं हुई तो बाकी की बात क्या करें
मंगलपड़ाव से लेकर तिकोनिया, सिंधी चौराहे से लेकर टीपीनगर नगर तक, बरेली रोड पर मंडी तिराहा ऐसे स्थान हैं, जिन्हें अतिक्रमण मुक्त करना पुलिस की प्राथमिकता थी। पुलिस ने इन इलाकों में काम किया, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं आया और न ही लोगों को जाम से मुक्ति मिली। इसके इतर, शहर की उन सड़कों का हाल भी पहले जैसा हो गया है, जैसा पहले था।
यूनियन वालों ने इधर से सुनी, उधर से निकाल दी
ऑटो और ई-रिक्शा के संचालन का जिम्मा इनकी यूनियन का होता है। जब पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया था कि इन वाहनों का संचालन स्टैंड से किया जाएगा और कुछ स्थानों पर वाहन सड़क किनारे ही खड़े होंगे, लेकिन आलम यह है कि यूनियन होने के बावजूद ये वाहन न सिर्फ सड़कों पर खड़े होकर सवारियां ढो रहे हैं, बल्कि जीरो जोन का भी मखौल उड़ा रहे हैं।
अभी और अधिक सुधार की आवश्यकता है : आईजी
आईजी डॉ.निलेश आनंद भरणे ने एंटी न्यूसेंस स्क्वाड के हर दिन कार्रवाई की समीक्षा खुद की और वह स्क्वाड के काम से संतुष्ट भी नजर आए, लेकिन हर बैठक में उन्होंने यह भी कहाकि अभी और सुधार की जरूरत है। आईजी का कहना है कि शहर के यातायात को सुगम बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
