बरेली: न टेक्सटाइल पार्क न एम्स... नौ साल के वादे भी तो याद करिए
बरेली, अमृत विचार। नौ साल बहुत लंबा वक्त होता है। बेशक, इतने लंबे वक्त में गिनाने के लिए कई उपलब्धियां हो सकती हैं लेकिन जो दावे पूरे नहीं हो पाए उनका भी हिसाब इसलिए याद रखना चाहिए ताकि उनके बारे में कोई नया दावा किया जा सके। बरेली के लोगों ने इन नौ सालों में बेशुमार सपने देखे हैं, लेकिन पूरे होने वालों में से अधूरे रह गए सपनों की फेहरिस्त ज्यादा लंबी है। इन सपनों से रोजगार के साथ सुविधाओं का वादा भी जुड़ा हुआ था लेकिन अब इनमें से कई फाइलों में ऐसे गुम होकर रह गए हैं कि उनका जिक्र तक जुबान पर आना बंद हो गया है। कई के शिलान्यास के पत्थर जरूर खोखले वादों की याद दिला रहे हैं।
अहिच्छत्र का सौंदर्यीकरण: साल भर दौड़ती रहीं फाइलें, अब कोई नाम तक नहीं लेता
रामनगर के अहिच्छत्र का सौंदर्यीकरण कराने के दावों की शुरुआत 2021 में शुरू हुई। तत्कालीन डीएम नितीश कुमार ने अहिच्छत्र को मुख्यमंत्री पर्यटन संवर्धन योजना में शामिल कराया और 50 लाख रुपये के खर्च के लिए प्रस्ताव तैयार कराया। रामनगर से अहिच्छत्र तक करीब दो किलोमीटर सड़क निर्माण होना था। लोक निर्माण विभाग से प्रशासन ने करीब डेढ़ करोड़ रुपये का एस्टीमेट तैयार कराया था। इस प्रोजेक्ट में म्यूजियम और इंटरप्रिटेशन सेंटर के निर्माण को भी शामिल किया गया।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई की मेरठ यूनिट ने भी इस प्रस्ताव को सहमति दे दी लेकिन फिर यह सारी कवायद फाइलों में कैद होकर रह गई। भाजपा के जनप्रतिनिधियों ने कोई दिलचस्पी नहीं ली और अहिच्छत्र को प्राचीन किले, लिलौर झील और पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर से जोड़कर एक पर्यटन सर्किट तैयार करने की संभावनाएं बिखर गईं।
टेक्सटाइल पार्क: शहर के उद्यमियों के लिए हवा में बुने गए सपने भी टूट गए
बरेली में टेक्सटाइल पार्क बनाने के लिए केंद्रीय मंत्री रहते हुए सांसद संतोष गंगवार ने काफी कोशिशें की थीं। कई चिट्ठियां कपड़ा मंत्रालय से लेकर राज्य सरकार को लिखीं। सितंबर 2020 में प्रोजेक्ट के रद्द होने के बाद खबर आई कि टेक्सटाइल पार्क की उम्मीद बरकरार है। राज्य सरकार पार्क बनाकर नहीं देगी, उद्यमियों को खुद जमीन खरीदकर टेक्सटाइल पार्क बनाने के लिए खर्च करना होगा।
पश्चिमी क्षेत्र के रहपुरा जागीर गांव में टेक्सटाइल पार्क बनाने की तैयारी की गई। शहर के कई उद्यमी इस प्रोजेक्ट में निवेश करने को भी तैयार हो गए। मीरगंज के विधायक डीसी वर्मा ने इस प्रोजेक्ट के लिए मुख्यमंत्री तक पैरवी की थी। बरेली मंडल की समीक्षा में मुख्यमंत्री ने टेक्सटाइल पार्क का भरोसा दिलाया था लेकिन इसके बाद इस प्रोजेक्ट को शासन ने भी रद्द कर दिया।
ईएसआई अस्पताल: दो साल पहले भरी गई थी नींव, अब तक 25 प्रतिशत भी निर्माण नहीं
इंडियन टर्पेनटाइन रोजिन फैक्ट्री यानी आईटीआर की जमीन पर 2021 में सौ बेड के ईएसआई अस्पताल का निर्माण शुरू हुआ था। इस मामले में भी केंद्रीय मंत्री रहते हुए संतोष गंगवार ने जीतोड़ मेहनत की। फैक्ट्री के बंगला नंबर 11 की 18920 वर्ग मीटर भूमि पर अस्पताल के निर्माण के लिए 33 हजार वर्गमीटर के रेट पर 62.43 करोड़ रुपये में खरीदी गई। इसमें 4 करोड़ 30 लाख 5 हजार 200 रुपये का स्टांप शुल्क भी लगा था। भूमि पूजन भी करा दिया गया। चार दिसंबर, 2019 को सौ बेड के ईएसआई अस्पताल बनाने के प्रस्ताव पर ईएसआईसी बोर्ड नई दिल्ली ने भी मुहर लगा दी थी लेकिन यह प्रोजेक्ट अब तक 25 प्रतिशत भी पूरा नहीं हुआ है। अब कोई इसकी सुध लेने वाला भी नहीं है।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री तक पहुंची एम्स की मांग, पर अब प्रस्ताव का कहीं जिक्र भी नहीं
गंभीर बीमारियों का इलाज कराने के लिए बरेली के लोगों को लखनऊ और दिल्ली की दौड़ लगानी पड़ती है। बरेली से 250 किलोमीटर दूर ले जाने में मरीज की जान के लिए भी काफी जोखिम रहता है। सांसद धर्मेंद्र कश्यप ने 2020 में शाहजहांपुर में जनसभा संबोधित करने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एम्स की मांग करते हुए प्रस्ताव सौंपा था। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष भी उन्होंने इसकी मांग रखी। विधायक डॉ. डीसी वर्मा ने भी मुख्यमंत्री के समक्ष एम्स का मामला उठाया। वादों और दावों में भरपूर जिक्र के बाद प्रस्ताव तैयार हुआ लेकिन फिर इस प्रस्ताव की फाइल जाने कहां दबी कि अब चर्चा से भी गायब हो गई है।
सपा शासन में शुरू हुए मेगा फूड पार्क को अपनी उपलब्धि बताया पर आगे नहीं बढ़ाया
बहेड़ी तहसील के मुड़िया मुकर्रमपुर गांव के पास सीलिंग की 250 एकड़ जमीन पर मेगा फूड पार्क की नींव नौ साल पहले रखी गई थी। तब सपा की सरकार थी, लेकिन 2017 से प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बावजूद इस पार्क को विकसित करने का काम रफ्तार से आगे नहीं बढ़ा। दावा किया गया था कि मेगा फूड पार्क शुरू होने पर हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। हालांकि, इन्वेस्टर समिट में इस पार्क में फूड इकाइयां लगाने के लिए कई प्रस्ताव पहुंचे, इन प्रस्तावों पर अमल होने में एक-दो साल शायद और लग जाएं लेकिन यह पार्क भाजपा की उपलब्धियों में जरूर शामिल हो गया।
ये भी पढे़ं- बरेली: टिकट नहीं लेंगे तो लगेगा जुर्माना, लाइन में लगे तो ट्रेन छूटेगी
