हल्द्वानी: वन भूमि पर चला बुलडोजर, वन विभाग ने ठोके अपने पिलर

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Published By Shweta Kalakoti
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अरण्य भवन रामपुर रोड पर समता आश्रम गली के सामने वर्ष‍ों से काबिज अतिक्रमण ध्वस्त किया गया ध्वस्त

4 दिन पूर्व खुद अतिक्रमण हटाने की चेतावनी देकर आया था वन विभाग कार्रवाई के दौरान पहुंचे एक युवक ने जमीन पर ठोंका अपना दावा

हल्द्वानी, अमृत विचार। रामपुर रोड पर अरण्य भवन के बाहर जमीन पर काबिज अतिक्रमण शुक्रवार को वन विभाग ने ढहा दिया। बगैर किसी विरोध के वन विभाग के बुलडोजर ने एक-एक कर पांच दुकानें उजाड़ दीं। इस बीच कार्रवाई के दौरान पहुंचे एक युवक ने मामला उलझा दिया और जमीन पर अपना हक जता दिया। साथ ही बताया कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है।

रामपुर रोड पर समता आश्रम गली के सामने अरण्य भवन स्थित है। यह वन भूमि है और कुछ समय पहले ही वन विभाग ने इस जमीन पर काबिज धार्मिक स्थल भी ध्वस्त किए थे। 4 दिन पूर्व वन विभाग के अधिकारी अरण्य भवन के बाहर सड़क किनारे बनी दुकानों पर पहुंची और दुकानदारों को खुद अतिक्रमण हटाने के लिए कहा।

साथ कहा कि अगर वह खुद अतिक्रमण नहीं हटाते तो फिर बलपूर्वक अतिक्रमण ध्वस्त किया जाएगा। हालांकि वन विभाग की चेतावनी का दुकानदारों पर असर नहीं पड़ा। यहां एक कारपेंटर, एक चाय की और एक टू व्हीलर मोटर मकैनिक समेत पांच दुकानें थीं।

शुक्रवार की सुबह करीब 9 बजे जब वन विभाग की टीम बुलडोजर के साथ पहुंची तो अतिक्रमण जस का तस काबिज था। जिसके बाद वन संरक्षक दीप चन्द्र आर्य के निर्देश पर हल्द्वानी रेंज के रेंजर यूसी आर्या के नेतृत्व में टीम ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की।

इस दौरान चाय, मैकेनिक, कारपेंटर की दुकान समेत पांच दुकानों को हटाया गया। कुछ लोगों ने कार्रवाई का विरोध किया, लेकिन टीम के सामने उनकी एक न चली। रेंजर आर्या ने बताया कि अतिक्रमण स्थल को पूरी तरह से साफ कर वन विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया है। इस दौरान रेंजर हरीश चन्द्र पांडे, नवीन रौतेला, डिप्टी रेंजर नवीन रैक्वाल, प्रथम सरकार, वन दरोगा संतोष भंडारी व सुरक्षा बल की टीम मौजूद रही।
                      

जमीन पर 1962 की रजिस्ट्री है हमारे नाम पर

कार्रवाई के दौरान कृष्ण गोपाल अग्रवाल नाम के एक व्यक्ति मौके पर पहुंचे और उन्होंने उक्त जमन पर अपना दावा ठोंक दिया। उनका कहना था कि जमीन सतीश चंद्र अग्रवाल के नाम पर है, जिसकी पावर ऑफ अटार्नी बीना अग्रवाल के नाम पर है। हम दो कोर्ट से केस जीत चुके हैं। हमारी रजिस्ट्री, दाखिल खारिज और तहसील के नक्शे में जमीन अंकित है। बस वन विभाग यह कहकर दावा कर रहा है कि उसके पिलर गड़े हैं। वर्ष 1962 से उनकी रजिस्ट्री है इस जमीन पर। कोर्ट में हमारी एक एप्लीकेशन खारिज हुई थी और हम अगली कोर्ट में गए हैं। 

 

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