एक मामले में भरे गए जमानत बांड को सभी अन्य मामलों के लिए पर्याप्त माना जाएगा : हाईकोर्ट

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Published By Virendra Pandey
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उस आवेदन को स्वीकार कर लिया है, जिसमें एक मामले के अपराध संख्या के जमानत बांड और जमानतदारों के आधार पर याची को अन्य पांच मामलों में जमानत पर रिहा करने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति चंद्र कुमार राय की एकलपीठ ने बरकत द्वारा दायर धारा 482 के तहत एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट, आगरा द्वारा पारित आदेश को निरस्त कर दिया और यह निर्देश दिया कि याची मामले में व्यक्तिगत बांड और जमानत राशि प्रस्तुत करेगा, जो शेष सात मामलों के लिए भी लागू होगी और इसे सभी जमानत आदेशों का अनुपालन माना जाएगा।

मामले के तथ्यानुसार थाना ताजगंज, जिला आगरा में धारा 406 आईपीसी के तहत अज्ञात के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई थी। जांच के दौरान याची को मामले में फंसाया गया और उपरोक्त मामले में आरोप पत्र भी दाखिल किया गया। याची ने उपरोक्त मामले में जमानत के लिए आवेदन किया था, तदनुसार अदालत ने दिनांक 12.04.2022 के आदेश के तहत उसे जमानत दे दी। उपरोक्त मामले के अलावा उसके खिलाफ पांच और मामले दर्ज थे। इस बाबत उसने एक आवेदन दायर किया कि एक मामले के अपराध संख्या के जमानत बांड और जमानतदारों के आधार पर उसे अन्य 5 मामलों में जमानत पर रिहा किया जाए, लेकिन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दिनांक 29.03.2023 के आदेश के तहत  आवेदक द्वारा दायर उपरोक्त आवेदन को खारिज कर दिया, इसलिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, आगरा द्वारा पारित आदेश को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया गया है।

याची के अधिवक्ता ने कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए एक मामले में दी गई जमानत और बांड को बाकी मामलों के लिए भी लागू माना जाए। उन्होंने आगे कहा कि हनी निशाद उर्फ ​​मोहम्मद इमरान उर्फ ​​विक्की मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून पर विचार किए बिना इस मामले में मनमाने ढंग से आदेश पारित किया गया है। अंत में कोर्ट ने निर्देश दिया कि याची एक मामले में व्यक्तिगत बांड और जमानत राशि प्रस्तुत करेगा, जो शेष सात मामलों के लिए भी लागू होगी और इसे सभी जमानत आदेशों का पर्याप्त अनुपालन माना जाएगा।

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