हल्द्वानी: बारिश का मौसम वायरक्रेट की दीवार बनाने में निकलेगा…कैसे बचेगा हल्द्वानी रेलवे स्टेशन
हल्द्वानी, अमृत विचार। बारिश में गौला नदी का रौला जारी है। नदी लगातार हल्द्वानी रेलवे स्टेशन की ओर भूकटाव कर रही है। हालांकि रेलवे ने भूकटाव रोकने के लिए वायरक्रेट दीवार बनाने का काम शुरू कर दिया है लेकिन इसे पूरा होने में एक माह का समय लगेगा। ऐसे में मानसून में तेज बारिश होने पर भूकटाव से रेलवे स्टेशन और रेलवे की मुसीबत बढ़ सकती है।
रेलवे ने हल्द्वानी रेलवे स्टेशन को गौला नदी द्वारा किए जा रहे भूकटाव को रोकने के लिए कवायद शुरू कर दी है। नदी के पानी की दिशा बदलने के लिए 4 पोकलैंड के अलावा 6 जेसीबी लगाई गई हैं। इसके बाद नदी का रुख हल्का-हल्का बदल गया है। भूकटाव से करीब 100 मीटर का हिस्सा प्रभावित हुआ है।
इसमें रेलवे ट्रैक-3 का कुछ हिस्सा अति संवेदनशील है। ट्रैक के समीप महज 3-4 मीटर ही मिट्टी बची हुई है। भूकटाव होने पर यह भी कभी भी गिर सकती है और ट्रैक धाराशायी हो सकता है। इधर, रेलवे ने वायरक्रेट की दीवार बनाना शुरू कर दिया है। 100 मीटर के हिस्से में महज 15-20 मीटर ही काम हुआ है।
अभी 80 मीटर दीवार बनाना बाकी है। अभी जब बारिश रुक-रुक कर हो रही है तो गौला उफान पर है रेलवे का काम करना मुश्किल है। यदि पर्वतीय व मैदानी क्षेत्रों में जमकर बारिश हो जाती है तो काम करना संभवन नहीं होगा और यह स्टेशन के अस्तित्व पर संकट पैदा हो जाएगा। हालांकि रेलवे का दावा है कि अति संवेदनशील हिस्से पर जल्द ही वायरक्रेट दीवार बनाकर फिलिंग की जाएगी।
वायरक्रेट की दीवार बनाने का काम शुरू हो गया है हालांकि अभी भी एक माह का समय लगेगा। रेलवे ट्रैक नंबर -3 पर संकट नहीं हो इसलिए पहले संवेदनशील हिस्से पर ऊपर तक दीवार बनाकर फिलिंग की जाएगी। रेलवे, प्रशासन और वन विभाग पूरी तरह से स्टेशन पर भूस्खलन रोकने में तत्पर है।
= रोशन लाल जायसवाल, सीनियर सेक्शन इंजीनियर वर्क्स, काठगोदाम
सवाल – सिर्फ बारिश में ही आती है स्टेशन बचाने की याद
वर्ष-2021 में जब अतिवृष्टि हुई थी तब हल्द्वानी रेलवे स्टेशन पर भूकटाव हुआ था। रेलवे ट्रैक-3 के नीचे भूकटाव होने के बाद इस ट्रैक पर ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया था। बड़ा सवाल है कि वर्ष 2021 से अब तक 2 साल बीत चुके हैं लेकिन रेलवे हर बार मानसून में जागता है। फिर बारिश समाप्त होने पर भूल जाता है। दो साल में भूकटाव रोकने के लिए सुरक्षा दीवार नहीं बना पाना रेलवे अफसरों की काहिली या कहें लापरवाही दर्शाता है।
