बांदा: एसडीएम से खफा होकर क्रमिक अनशन पर बैठे अधिवक्ता

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Published By Ankit Yadav
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बगैर अनुमति के कोर्ट परिसर में चल रहा वकीलों का अनशन - एसडीएम

अमृत विचार, अतर्रा, बांदा। उप जिलाधिकारी और अधिवक्ताओं के बीच छिड़ी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। अधिवक्ता बीते कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं और एसडीएम लगातार बगैर अधिवक्ताओं के ही कोर्ट का संचालन करके उन्हें मुंह चिढ़ा रहे हैं। एसडीएम की हठधर्मिता के चलते अधिवक्ताओं ने मंगलवार से क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है और एसडीएम का तबादला होने तक आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया है। उधर एसडीएम ने अधिवक्ताओं के आरोपों को नकारते हुए कहा है कि कोर्ट परिसर में चल रहे अनशन की भी अनुमति नहीं ली गई है। 

तहसील बार एसोसिएशन के तत्वावधान में चल रही अधिवक्ताओं की कलमबंद हड़ताल अब क्रमिक अनशन में बदल गई है। अधिवक्ताओं ने आंदोलन को धार देते हुए मंगलवार से अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है। पहले दिन पूर्व अध्यक्ष अमर सिंह राठौर, मनोज श्रीवास्तव, मनोज द्विवेदी, राममोहन गुप्ता और अवनीश तिवारी ने क्रमिक अनशन की कमान संभाली। अधिवक्ता संघ के महासचिव नरेंद्र कुमार शुक्ला ने सभी को माला पहना कर क्रमिक अनशन की शुरूआत कराई।

पूर्व अध्यक्ष श्री राठौर ने आरपार की लड़ाई का ऐलान करते हुए कहा कि करीब 21 दिन से चल अधिवक्ताओं की कलमबंद हड़ताल को जिला प्रशासन की ओर से नजरअंदाज किया जा रहा है और अधिवक्ताओं से सम्मानजनक व्यवहार न करने वाले एसडीएम का अभी तक तबादला नहीं किया गया। हालांकि अधिवक्ताओं ने अब कमर कस ली है और तबादला न होने तक लड़ाई रखने को तैयार हैं। 

क्रमिक अनशन के दौरान अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष शिवनंदन यादव, पूर्व अध्यक्ष अरविंद पांडेय, विनोद तिवारी, चंद्रभान त्रिपाठी, सूरज बाजपेई, राजेश द्विवेदी, उमाशंकर त्रिपाठी, भागीरथ पांडेय, शिवमूर्ति मिश्रा, संतोष द्विवेदी, राजकुमार पाठक, राजेश शुक्ला, अवधेश तिवारी, चंद्रपाल यादव, संजय सिंह, महेंद्र गुप्ता, जितेंद्र तिवारी, राम प्रसाद वर्मा, विश्वनाथ अवस्थी, संजय श्रीवास्तव, राजेंद्र त्रिपाठी, ओम प्रकाश द्विवेदी, राममिलन कुशवाहा, नरेंद्र गुप्ता आदि अधिवक्ता मौजूद रहे। उधर एसडीएम नमन मेहता ने अधिवक्ताओं के क्रमिक अनशन पर ही सवाल उठा दिए हैं। उनका कहना है कि अधिवक्ताओं ने क्रमिक अनशन को लेकर किसी भी तरह की अनुमति प्राप्त नहीं की है। कहते हैं कि अधिवक्ताओं का पूरा सम्मान करते हैं, लेकिन दबाव बर्दास्त नहीं करेंगे। 

रजिस्ट्री बंद होने से लाखों के राजस्व की क्षति

तहसील अधिवक्ता संघ के आह्वान पर दस्तावेज लेखक और स्टांप विक्रेताओं ने भी उप जिलाधिकारी के स्थानांतरण की मांग को लेकर चल रही कलम बंद हड़ताल में शामिल होने का ऐलान किया था। दस्तावेज लेखकों और स्टांप वेंडरों के हड़ताल पर जाने से बीते चार दिनों से तहसील में न तो रजिस्ट्री हो रही है और न ही स्टांप की बिक्री हो रही है। उप निबंधन कार्यालय के लिपिक देवेंद्र सिंह मौर्य बताते हैं कि हड़ताल से निबंधन कार्यालय में रजिस्ट्री शुल्क से जहां रोजाना तीस से पचास हजार रुपए वहीं स्टांप बिक्री से रोजाना करीब दो लाख रुपए का नुकसान हो रहा है।

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