कंजंक्टिवाइटिस का प्रसार : चिकित्सकों ने ‘स्टेरॉयड आई ड्रॉप’ के अतार्किक उपयोग के प्रति चेताया 

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Published By Vishal Singh
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में कंजंक्टिवाइटिस और आई फ्लू के मामलों में वृद्धि के बीच चिकित्सकों ने ‘स्टेरॉयड आई ड्रॉप’ के अतार्किक उपयोग के खिलाफ चेताया है और कहा है कि इससे अस्थायी राहत मिल सकती है लेकिन लंबे समय में यह अधिक नुकसान पहुंचा सकता है। 

दीनदयाल उपाध्याय (डीडीयू) अस्पताल के एक वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. जे.एस. भल्ला ने कहा कि बीमारी का शीघ्र पता लगाना और उचित उपचार बीमारी के समाधान की कुंजी है और यह अनुपचारित कंजंक्टिवाइटिस के संभावित हानिकारक प्रभावों या संचरण को कम करने में मददगार साबित हो सकता है। 

उन्होंने कहा कि वर्तमान संक्रामक रोग ‘कंजंक्टिवाइटिस’ एक निश्चित समय में खुद ठीक होने वाली बीमारी है और सभी मामलों में एंटीबायोटिक उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। डॉ. भल्ला ने बताया कि नेत्र संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए हाथ और चेहरे की स्वच्छता बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि उपचार दिशानिर्देश स्टेरॉयड आई ड्रॉप के उपयोग में सावधानी बरतने का सुझाव देते हैं क्योंकि इससे संभावित रूप से संक्रमण लंबा खींच सकता हैं।’’ 

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के आर.पी. सेंटर के प्रमुख डॉ. जे.एस. टिटियाल ने कहा कि यह स्थिति आमतौर पर वायरस के कारण होती है, जो अत्यधिक संक्रामक होते हैं और तेजी से फैलते हैं। उन्होंने कहा कि आर.पी. सेंटर ने परीक्षण किए गए सभी मामलों में ‘एडेनो वायरस’ को प्रेरक के रूप में पाया है। टिटियाल ने कहा, ‘‘आंखों का वायरल संक्रमण ‘स्व-सीमित’ होता है और व्यक्ति एक से दो सप्ताह में ठीक हो सकता है। हालांकि, दोबारा संक्रमण होने की आशंका कम ही होते है और इसमें ठीक होने में देरी हो सकती है।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे मामलों में, एंटीबायोटिक आई ड्रॉप के उपयोग की सलाह दी जाती है।’’ हालांकि, भल्ला ने कहा कि करीब 50 फीसदी मामलों में ऐसा देखा जा सकता है कि नेत्र संक्रमण की सही वजह जाने बिना एंटीबायोटिक का उपयोग किया गया। उन्होंने चेताया कि अनुचित एंटीबायोटिक उपचार से एंटीबायोटिक प्रतिरोध का खतरा हो सकता है। भल्ला और टिटियाल दोनों ने स्टेरॉयड आई ड्रॉप के अंधाधुंध इस्तेमाल के प्रति आगाह करते हुए कहा कि ‘ओवर-द-काउंटर स्टेरॉयड’ का उपयोग तब तक नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि विशिष्ट लक्षणों के लिए किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा इसकी सलाह न दी जाए। 

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