बरेली: तीसरे दिन भी ई-रिक्शा चालक तय रूट और अपनी मांगों को लेकर लामबंद, वन मंत्री के कार्यालय का किया घेराव
बरेली, अमृत विचार। बरेली में ई-रिक्शा के कलर कोडिंग और रूट तय करने से ई-रिक्शा चालकों ने पुलिस-प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। लगातार तीसरे दिन भी ई-रिक्शा चालक तय रूट और अपनी मांगों को लेकर लामबंद रहे। वहीं आज ई-रिक्शा चालक वन मंत्री डॉ. अरुण कुमार के कार्यालय पहुंचे, जहां उनकी गैरमौजूदगी में उनके भाई एडवोकेट अनिल कुमार सक्सेना को अपना ज्ञापन सौंपा।
आपको बता दें, कलर कोडिंग और रूट तय होने के बाद पहले ई-रिक्शा चालक गुरुवार को जनसेवा ई-रिक्शा ऑटो एसोसिएशन के अध्यक्ष मंजीत सिंह बिट्टू के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट पर जिलाधिकारी को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपने पहुंचे थे, लेकिन जिलाधिकारी की व्यस्तता के चलते उनसे मुलाकात नहीं हो सकी।
वहीं शुक्रवार को अपना विरोध जताने के लिए बड़ी संख्या में ई-रिक्शा चालक बिशप मंडल इंटर कॉलेज के मैदान में पहुंचे और अपने सैकड़ों ई-रिक्शा मैदान में खड़े करके जोरदार धरना प्रदर्शन किया। जहां सीओ प्रथम श्वेता कुमारी यादव और नायब तहसीलदार विदित कुमार ने पहुंच कर ई-रिक्शा चालकों का ज्ञापन लेकर दो दिन में समस्या के उचित समाधान का आश्वासन दिया था।
लेकिन लगातार तीसरे दिन अपनी समस्या के समाधान को लेकर ई-रिक्शा चालक पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद संतोष गंगवार के प्रेमनगर में लल्ला मार्केट के सामने स्थित कार्यालय पहुंच गए, लेकिन वहां सांसद के न मिलने पर सभी ई-रिक्शा चालक वन मंत्री डॉ. अरुण कुमार के कार्यालय पहुंच गए। जहां उनकी गैरमौजूदगी में ई-रिक्शा चालकों ने उनके भाई एडवोकेट अनिल कुमार सक्सेना को अपना ज्ञापन सौंपा।
जिन्होंने समस्या का समाधान कराए जाने का आश्वासन दिया है। इस दौरान ई-रिक्शा चालकों ने कहा कि शहर में कलर कोडिंग व्यवस्था और सुनसान जगहों पर 6 रूट बनाए गए हैं, जहां उन्हें सवारियां नहीं मिल रही हैं। जिससे ई-रिक्शा चालक परेशान हैं और घर चलाना मुश्किल हो रहा है। जबकि अलग रूट पर ई-रिक्शा चलाने पर ट्रैफिक पुलिस समझाने की जगह सवारियां उतरवा दे रही है और आगे नहीं जाने दे रही।
चालकों का कहना है कि उनको केवल छह रूट निर्धारित किए गए हैं, वह भी काफी लंबे हैं। अगर उनके वाहन लंबे रूट पर चलेंगे तो बैटरी खत्म होने का डर बना रहेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि ई-रिक्शा चालक भी चाहते हैं कि शहर को जाम की समस्या से निजात मिले और उनकी रोजी रोटी भी चलती रहे। इसके लिए कई बार ज्ञापन देकर सुझाव भी दिए गए हैं, लेकिन उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं निकल सका और सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा। फिर भी उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही उनकी समस्या का समाधान किया जाएगा।
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