अयोध्या: मंदिर के गर्भगृह तक सूर्य की किरणें पहुंचाने के लिए रिसर्च कर रहे अंतरिक्ष वैज्ञानिक
रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे रामलला के ललाट को सुशोभित करेंगी सूर्य की किरणे
अमृत विचार, अयोध्या। इसरो के मून मिशन की सफलता पर जहां पूरा देश जश्न मना रहा है तो वहीं राम मंदिर में सूर्य की किरण को गर्भगृह तक पहुंचाने के लिए अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने रिसर्च शुरू कर दिया है। अगले वर्ष आने वाली रामनवमी पर दोपहर 12 बजे रामलला के मस्तक को सूर्य की किरणें सुशोभित करेंगी। हालांकि इससे पहले जनवरी 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि सूर्य की किरण को रामनवमी के दिन दोपहर में 12:00 बजे भगवान के मस्तक पर कैसे लाया जाएगा, इसके लिए सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की टीम ने योजना तैयार की है, जिस पर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि भूतल का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। अब खम्भों पर अलग अलग कलाकृतियों को उकेरे जाने का कार्य किया जा रहा है। 16 से 24 जनवरी 2024 के बीच प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया जाना है, जिसकी तैयारी की जा रही है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आने का निवेदन किया गया है, लेकिन अभी तिथि घोषित नही हो सका है। हालांकि प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए देशभर के संतों को आमंत्रित किया जा रहा है।
मंदिर निर्माण में हो रहा प्राचीन पद्धति व आधुनिक तकनीकी का प्रयोग
रामजन्मभूमि परिसर में बन रहे राम मंदिर में प्राचीन पद्धति और आधुनिक तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है। मंदिर 1000 वर्ष तक सुरक्षित रहे, इसके लिए वैज्ञानिक परीक्षण के बाद राजस्थान के पिंक पत्थरों का उपयोग किया जा रहा है। अंतरिक्ष के वैज्ञानिक रामलला के मस्तक पर सीधे सूर्य की किरणें पहुंचाए जाने की योजना पर कार्य कर रहे हैं, ताकि आने वाली राम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे सूर्य की रोशनी राम मंदिर में प्रवेश करेगी। बता दें कि अब तक मंदिर निर्माण के पहले चरण में भूतल का कार्य पूरा कर लिया गया है। भूतर पर स्थित गर्भगृह में रामलला को विराजमान कराए जाने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
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