हल्द्वानी: रेरा की खिलाफत में किसानों ने निकाली रथ यात्रा, किए हस्ताक्षर

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Published By Shweta Kalakoti
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युवा किसान संघर्ष समिति का रेरा समाप्ति की मांग को लेकर रथ यात्रा व हस्ताक्षर अभियान शुरू

5 किमी ग्राम पंचायत खेड़ा में घूमा रथ 350 से अधिक ने किए हस्ताक्षर 

हल्द्वानी, अमृत विचार। किसानों ने रेरा के खिलाफ आर-पार की तैयारी कर ली है। किसानों ने रेरा समाप्ति की मांग को लेकर गौलापार के खेड़ा गांव में किसान रथ यात्रा निकाली और हल्द्वानी में हस्ताक्षर अभियान शुरू किया। 

युवा किसान संघर्ष समिति के बैनर तले किसान गौलापार के खेड़ा ग्राम स्थित एक बैंक्वेट हॉल में इकट्ठा हुए। यहां उन्होंने रेरा कानून के विरोध में सरकार व जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। किसानों ने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझ किसानों पर रेरा कानून थोप रही है।

छोटी जोत के किसान, विषम भौगोलिक हालात वाले स्थानों पर यह कानून लागू नहीं हो सकता है। जिला विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने इसका स्थलीय निरीक्षण किया तो किसानों की शिकायतें सही और रेरा के प्रावधान अव्यावहारिक मिले थे। फिर भी किसानों को जबरन उत्पीड़न किया जा रहा है।

इसके बाद किसान रथयात्रा शुरू हुई जो खेड़ा ग्राम पंचायत में ही घूमी। इधर, किसानों का एक प्रतिनिधि मंडल दोपहर को तिकोनिया स्थित बुद्ध पार्क पहुंचा। यहां रेरा के विरोध में हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया। किसानों ने पोस्टर बैनर बनाया था इसमें रेरा के खात्मे की मांग को लेकर जनसमर्थन मांगा। पहले दिन 350 से अधिक लोगों ने अभियान में हस्ताक्षर किए और सरकार से किसानों को राहत देने की मांग की।


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यदि कोई राहत दी है तो किसानों को नहीं पता है। अभी तक शासन-प्रशासन किसी भी ने किसानों को इसकी सूचना नहीं दी है। काले कानून रेरा के विरोध में किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। आज रथ यात्रा निकाली गई है जो बदस्तूर जारी रहेगी। कल सभाएं भी होंगी।

-अर्जुन बिष्ट, किसान नेता 

सरकार किसानों के खात्मे पर तुली हुई है। किसानों की जायज मांगों को दरकिनार कर जबरन रेरा थोपा जा रहा है। राज्य में सिर्फ हल्द्वानी व रामनगर में ही इस कानून को सख्ती से लागू किया जा रहा है जबकि अन्य जगह रेरा पर सख्ती नहीं है। फिलहाल रेरा के विरोध में हस्ताक्षर अभियान शुरू हो गया है। यदि सरकार ने किसानों की सुनवाई नहीं की तो महापंचायत व उग्र रणनीति बनाई जाएगी।   

-बलजीत सिंह, किसान नेता

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