बिकरू कांड: आठ पुलिसकर्मियों के कत्ल से हिल गया था देश, विकास की सीओ से थी ज्यादा खुन्नस, अब तक की कार्रवाई को जानें

कानपुर के चौबेपुर में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या से पूरा देश हिल गया था।

बिकरू कांड: आठ पुलिसकर्मियों के कत्ल से हिल गया था देश, विकास की सीओ से थी ज्यादा खुन्नस, अब तक की कार्रवाई को जानें

कानपुर के चौबेपुर में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या से पूरा देश हिल गया था। विकास दुबे की सीओ से ज्यादा खुन्नस थी। विकास दुबे समेत छह आरोपी पुलिस मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं।

कानपुर, अमृत विचार। चौबेपुर के बिकरू गांव में सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों को गोलियों से छलनी करने वाले कांड की मुख्य घटना की सुनवाई अभी कोर्ट में चल रही है। इस कांड में आठ पुलिसकर्मी शहीद हुए थे और बाद में विकास दुबे समेत छह बदमाश पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे।

तत्कालीन एसओ विनय तिवारी, प्रधान जिलेदार, नाबालिग बेवा खुशी समेत 66 आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर उनको जेल भेज गया था। जिसमें खुशी समेत 12 आरोपी जमानत पर छूट गए हैं, शेष आरोपी जेल में ही हैं। इस कांड से पूरा देश हिल गया था। कोर्ट के आज के फैसले पर मृतक पुलिस कर्मियों के परिजनों ने खुशी जताई है। उनको उम्मीद है कि मुख्य घटना में भी इसी तरह त्वरित सुनवाई कर फैसला सुनाया जाएगा। 

2 जुलाई 2020 की रात हुआ था खूनी कांड

चौबेपुर के बिकरू गांव में दो जुलाई 2020 की रात को सीओ देवेंद्र मिश्रा ने दुर्दांत विकास दुबे को पकड़ने के लिए फोर्स के साथ दबिश दी थी, लेकिन चौबेपुर थाने के तत्कालीन एसओ विनय तिवारी ने मुखबिरी कर दी थी। इससे विकास दुबे गैंग सतर्क हो गया था। विकास दुबे ने धमकी दी थी कि अगर सीओ ने उसके यहां दबिश दी तो वह इतनी गोलियां चलाएगा कि उसके खोखे नहीं बटोर पाओगे। इससे बेखबर सीओ ने रात में बिकरू गांव में दबिश दे दी। विकास को दबिश की जानकारी पहले ही मिल चुकी थी। उसने अपने घर तक जाने वाली रोड पर जेसीबी लगाकर रास्ता बंद कर रखा था।

जैसे ही सीओ फोर्स के साथ विकास दुबे के घर के पास पहुंचे तो विकास और उसके साथियों ने आसपास घरों की छतों ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू की दी। पुलिस फोर्स इस हमले के लिए तैयार नहीं थी और आसानी से गोलियों का शिकार बन गई। गांव में बिजली भी काट दी गई थी इसलिए पुलिस को बचने का कोई रास्ता नहीं मिला। चारों तरफ चीख पुकार मच गई। सीओ देवेंन्द्र मिश्रा बचने के लिए एक मकान में घुस गए तो विकास छत के रास्ते वहां पहुंच गया और सीओ की कनपटी पर रायफल लगाकर गोली चला दी। उनके पैर को भी काट डाला गया। किसी पुलिस वाले के सिर में गोली लगी तो किसी की छाती में।

सीओ से थी ज्यादा खुन्नस

सीओ देवेंन्द्र मिश्रा से विकास दुबे की ज्यादा खुन्नस थी। जबसे सीओ ने चार्ज लिया था वो विकास के गैंग के पीछे पड़ गए थे। उनके अलावा पूरा चौबेपुर थाना तो विकास की गुलामी करता था लेकिन सीओ उसके कहे में नहीं आ रहे थे और उसके खिलाफ कार्रवाई का प्लान बना रहे थे इसलिए विकास ने उनको निशाने पर रखा था। विकास के गुलाम पुलिस वालों ने उसे बताया था कि सीओ साहब दबिश की योजना बना रहे हैं तो उसने संदेशा भिजवाया था कि पुलिस अगर गांव आ गई तो लौट नहीं पाएगी। तत्कालीन थानेदार विनय तिवारी और दरोगा सिपाहियों ने विकास को दबिश की जानकारी पहले ही दे दी थी। इस पर विकास ने अपना गैंग इकट्ठा कर लिया था और सबको हथियारों के साथ तैनात कर दिया था। 

सीओ का सिर उड़ा दिया था

पुलिस पर हमले के दौरान सीओ देवेंद्र मिश्रा जान बचाने के लिए विकास दुबे के एक रिश्तेदार के घर जाकर छिप गए तो फोन से विकास दुबे को यह जानकारी दी गई। इस पर विकास दुबे दीवार फांद कर उस घर में घुस गया और सीओ से अभद्रता करते हुए उनकी कनपटी पर रायफल सटा दी। रायफल से धकेल कर सीओ की दीवार से सटा दिया और रायफल से गोली चला दी। इससे सीओ के सिर का आधा हिस्सा उड़ गया और
मौके पर ही उनकी मौत हो गई।

सीओ ने कहा था पैर तोड़ूंगा तो पैर काट डाला

विकास दुबे के क्षेत्र में आतंक से सीओ देवेंद्र मिश्रा बहुत नाराज थे। साथी पुलिस वालों से बातचीत में वे कहते थे कि इस गुंडे विकास दुबे का पैर मैं तोड़ दूंगा। यह जानकारी चौबेपुर थाने के पुलिसवालों ने विकास दुबे को दे दी थी। इससे विकास दुबे बौखलाया हुआ था। यही कारण था कि जब उसने मकान में छिपे सीओ को पकड़ लिया तो उनसे पैर तोड़ने वाली बात भी कही। यही नहीं उसने सीओ से कहा तुमने मेरा पैर तोड़ने की बात कही थी और अब मैं तुम्हारा पैर तोड़ूंगा। इसके बाद उसने सीओ के पैर में घुटने से नीचे कई गोलियां मारीं जिससे पैर आधा कट गया। पहले माना गया था कि पैर कुल्हाड़ी से काटा गया लेकिन पोस्टमार्टम से पता चला कि पैर में गोलियां मारी गई थीं।

एसएसपी भी भांप नहीं पाए थे

बिकरू गांव में पुलिस पर हमले की सूचना रात में तत्कालीन एसएसपी दिनेश कुमार पी को दी गई तो उन्होंने सूचना देने वाले पुलिस अफसर से पूछा कि इतना बड़ा हमला कैसे हो गया, कितना बड़ा बदमाश है ये। कितना असलहा है इसके पास। ये कैसे हो गया। दरअसल एसएसपी कुछ दिन पहले ही शहर में आए थे और उन्हें विकास दुबे के बारे में पूरी जानकारी नहीं थी।

सीओ ने उनसे दबिश की इजाजत मांगी थी तो साधारण बदमाश समझ कर उन्होंने अनुमति दे दी थी। जब हमला हो गया तो एसएसपी बार-बार फोन पर गांव में मौजूद एक एसओ से पूछते रहे फोर्स की क्या हालत है, किसी को गोली लगी है क्या और उन्हें पुलिस अफसर फोन पर जवाब दे रहा था कि सर अंधेरे में कुछ समझ नहीं आ रहा। सारा फोर्स तितर बितर हो गया है। कौन कहां है कुछ पता नहीं। कई को गोली लग गई है। 

शायद सीओ साहब को गोली लग चुकी है

एसएसपी ने पूछा कौन से हथियार से बदमाश गोलियां चला रहे हैं तो उन्हें बताया गया कि रायफल, बंदूक और पिस्टल से गोलियां चल रही हैं। एसएसपी ने पूछा सीओ से संपर्क हो पा रहा है तो जवाब दिया कि उनका फोन गाड़ी में ही छूट गया है। शायद सीओ साहब को गोली लग चुकी है। जब एसएसपी ने यह सुना तो भौंचक रह गए और तब उन्होंने फोर्स को लेकर गांव से बाहर निकलने को कहा और बोले, मैं और फोर्स भेज रहा हूं, मैं भी आ रहा हूं। इसके पौन घंटे के बाद जिले भर की फोर्स लेकर एसएसपी, आईजी, डीआईजी समेत सारे अफसर बिकरू पहुंच गए। रात करीब साढ़े तीन बजे पुलिस बदमाशों का घेरा तोड़ सकी और इधर-उधर घायल पड़े पुलिस वालों को रेस्क्यू किया गया।

घर, गली, शौचालय में पड़े थे पुलिस वाले

विकास दुबे के किलेनुमा घर के आस-पास उसके गुर्गों के घर थे जिनकी छतों से पुलिस पर गोलियां चलाई गई थीं। बदमाश ऊपर थे, पुलिस नीचे इसलिए आसानी से निशाना लग जा रहा था। ऊपर से गोलियां आ रहीं थीं और गली में खुले खड़े पुलिस वाले पुतलों की तरह गिरते जा रहे थे। ताबड़तोड़ फायरिंग से बचने के लिए पुलिस वाले आस-पास के मकानों में गए तो सबके दरवाजे बंद थे।

विकास दुबे ने दबिश से पहले ही गांव वालों को दरवाजे बंद कर घरों से अंदर घुस जाने को कहा था। कहा था खबरदार किसी पुलिसवाले को घुसने दिया तो अंजाम अच्छा नहीं होगा। इसलिए किसी गांव वाले ने पुलिस को शरण नहीं दी। पुलिस वाले घरों के बाहर बरामदे, ख्ंभों के पीछे, बिना दरवाजे के खुले पड़े शौचालयों में छिप गए लेकिन चूंकि बदमाश ऊपर छतों पर थे इसलिए उनकी नजरों से छिप नहीं पाए। एक शौचालय में तो एक के ऊपर एक चार पुलिस वाले जख्मी हालत में निकाले गए थे।

रात सवा 12 से सुबह साढ़े चार बजे

बिकरू गांव में दबिश के लिए सीओ के नेतृत्व में कई थानों की फोर्स रात करीब 12 बजे चौबेपुर थाने से निकली थी। करीब पौने एक बजे तय रणनीति के अनुसार पुलिस गांव पहुंच गई थी। सीओ को यह अंदाजा नहीं था कि दबिश की जानकारी विकास को मिल चुकी है। उन्होंने विकास के घर तक पहुंचने के लिए सीमेंटेड रोड पर काफी पहले गाड़ी खड़ी कर दी और तीन-चार टुकड़ी बनाकर फोर्स को आगे बढ़ने को कहा। उधर विकास और उसका गैंग छतों पर पहले से तैयार था। पुलिस के गांव में घुसते ही गांव की बिजली कटवा दी गई।

फोर्स आगे बढ़ी तो विकास के घर के रास्ते पर जेसीबी खड़ी थी। आगे जाने का रास्ता नहीं था। यह देख पुलिस हड़बड़ा गई। पुलिस समझ गई कि दबिश की जानकारी गैंग को हो चुकी है। जेसीबी के दाएं-बाएं से कुछ पुलिस वाले विकास के मकान की ओर बढ़े तो बदमाशों की रेंज में आ गए और सीधे उनको गोली मार दी गई। इसके बाद पुलिस फोर्स में भगदड़ मच गई। अंधेरा, अन्जान गलियां और ऊपर से आती गोलियां, कुल मिलाकर पुलिस पूरी तरह बदमाशों के जाल में फंस चुकी थी। इस जाल से सुबह चार बजे आठ पुलिस वालों की लाशें निकलीं। सूरज की पहली किरण फूटते-फूटते पूरे पुलिस महकमें में आंसू फूट पड़े थे। सीओ, कई थानेदार समेत आठ पुलिस वालों की लाशें गिनी जा चुकी थीं। घायल अलग से थे।

पूरा गैंग फरार हो गया था

बिकरू गांव में आठ पुलिस वालों को शहीद कर विकास दुबे और उसका गैंग गांव के पीछे के रास्ते से फरार हो गया। कोई बाइक से भागा तो कोई पैदल। खेतों के रास्ते से निकल कर गैंग पुलिस की पकड़ से दूर निकल गया। आठ पुलिस वालों की शहादत से जिले की पुलिस के होश उड़ चुके थे। क्या करें, कैसे करें कुछ समझ नहीं आ रहा था। अफवाह उड़ी थी कि कई पुलिस वाले अभी लापता हैं। उनको लेकर अनहोनी की आशंका गहरा रही थी।

सुबह 9 बजते बजते हजारों पुलिस वाले गांव के एक-एक घर में पहुंच कर तलाशी ले रहे थे। दर्जनों जगह गलियों में, सड़कों पर, बरामदों में, आंगन में, शौचालयों में, खंभों पर खून बिखरा था। जो गवाही दे रहा था कि रात के अंधेरे में गोली खाते, लड़खड़ाते खून से सने पुलिस वाले कैसे हाल में रहे होंगे। जहां सीओ को मारा गया वो पूरा आंगन खून से रंगा था।

मैं विकास दुबे हूं, कानपुर वाला

विकास दुबे और उसके साथी वारदात को अंजाम देने के बाद फरार हो गए थे। वह पुलिस के लिए चुनौती बन गया था। पुलिस ने बिकरू गांव में कई जेसीबी लगाकर विकास और अन्य बदमाशों के घर ढहा दिए। वारदात के एक दिन बाद तक विकास पड़ोस के गांव स्थित एक मकान में छुपा रहा, लेकिन पुलिस को भनक तक नहीं लगी। उसको पकड़ने के लिए एसटीएफ को लगाया गया। एटीएफ उसके ठिकाने तक पहुंची, लेकिन वह उससे पहले ही ठिकाना बदल देता था। पहले अपने बहनोई के यहां छिपा, फिर औरैया में लोकेशन मिली, इसके बाद वह फरीदाबाद भाग गया। वहां से वह एसटीएफ को चकमा देकर उज्जैन चला गया। जहां उसको एक माली ने पहचान कर पुलिस को जानकारी दी। पुलिस ने जब उसको पकड़ा तो मीडिया कर्मी भी पहुंच गए। जिन्हें देखकर वह चीखकर बोला कि मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला। 

गाड़ी पलटी और एनकाउंटर में ढेर हुआ विकास दुबे

उज्जैन में विकास दुबे की गिरफ्तारी का पता चलने पर शहर की पुलिस उसको अभिरक्षा में लेने के लिए वहां पहुंच गई। पुलिस उसको वहां से लेकर कानपुर आ रही थी। इसकी कवरेज करने के लिए चैनल के संवाददाता पुलिस की गाड़ी के पीछे चल रहे थे, लेकिन बारा टोल प्लाजा के पास पुलिस की गाड़ियां आगे निकल गईं। पुलिस की टीयूवी कार में विकास दुबे बैठा था। आगे कुछ दूरी पर कार पलट गई। इंस्पेक्टर रमाकांत पचौरी ने साथियों की मदद से उसको बाहर निकाला तो वह पुलिस की रिवाल्वर छीनकर भाग निकला। पुलिस ने उसको सरेंडर करने की चेतावनी दी तो उसने फायरिंग कर दी। पुलिस की जवाबी फायरिंग में वह मारा गया। 

विकास के साथी भी मुठभेड़ में मारे गए

पुलिस को विकास दुबे चकमा देकर उज्जैन भाग गया था, लेकिन उसके साथियों का पुलिस से सामना होता गया। वारदात के अगले दिन तीन जुलाई को पुलिस का सामना विकास के रिश्तेदार प्रेम कुमार पांडेय और अतुल दुबे से हो गया। दोनों जवाबी फायरिंग में मारे गए। इटावा में प्रवीण दुबे मारा गया। फिर पुलिस अभिरक्षा से भागने में प्रभात मिश्रा और कार्तिकेय मिश्रा एनकाउंटर में ढेर हो गए। 

ये पुलिस कर्मी शहीद हुए थे

बिकरू कांड में सीओ देवेंद्र कुमार मिश्रा, एसओ महेश कुमार यादव, दरोगा अनूप कुमार सिंह, नेबूलाल, सिपाही जितेंद्र पाल, सुल्तान सिंह, बबलू कुमार और राहुल कुमार शहीद हुए थे। 

यह कार्रवाई हुई
- 80 एफआईआर दर्ज हुईं
- 62 में चार्जशीट लग चुकी
- 66 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी
- 54 आरोपी जेल में बंद, शेष जमानत पर छूटे
- 36 आरोपियों पर लगा गैंगस्टर
- 39 मुकदमों में कोर्ट ने आरोप तय कर दिए
- 30 आरोपियों के शस्त्र लाइसेंस निरस्त

70.04 करोड़ की संपत्ति जब्त हुई

इस कांड में पुलिस ने गैंगस्टर की कार्रवाई करते हुए विकास दुबे की 67 करोड़ और उसके खजांची जय बाजपेयी की 2.97 करोड़ व विष्णु पाल की 7 लाख की संपत्ति जब्त की है।