Earthquake In Morocco : कभी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा मोरक्को का सुदूर पर्वतीय गांव मलबे के ढेर में हुआ तब्दील
मौले ब्राहिम (मोरक्को)। मोरक्को में मनोरम दृश्यों और मराकेश शहर से निकटता के कारण पर्यटकों का पसंदीदा गांव मौले ब्राहिम रात के घने अंधेरे में आए जोरदार भूकंप के झटकों से थर्रा उठा और हर तरफ चीख-पुकार मच गयी थी। शुक्रवार देर रात आये भूकंप के झटके जब रुके, तबतक एटलस पर्वत पर स्थित यह गांव पूरी तरह तबाह हो चुका था। वहां संभवत: सैकड़ों लोगों की मौत हो गयी, कई मकान जमींदोज हो गए और दीवारें मलबे में तब्दील हो गयीं।
कभी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहे 3,000 से भी कम लोगों की आबादी वाले इस गांव में अब बचावकर्मी खंडहर हो चुकी इमारतों के मलबे में सांस ले रहे लोगों को बचाने की कोशिश में जुटे हैं। गांव के दृश्य बेहद खौफनाक हैं। भूकंप के केंद्र से करीब 45 किलोमीटर दूर उत्तरपूर्व में स्थित इस ग्रामीण समुदाय के लोग ईंट से बने घरों में रहते हैं, जो अब रहने लायक नहीं बचे हैं।
गांव के निवासी अयूब ताउदिते ने कहा, ‘‘हमें एक जोरदार झटका महसूस हुआ जैसे कि यह प्रलय का दिन हो। 10 सेकंड और सब कुछ बर्बाद हो गया।’’ छात्र अब्देलफतह अल अकारी (19) ने कहा कि भूकंप का झटका एक मिनट से अधिक समय तक महसूस हुआ। उसने कहा, ‘‘धरती हिल गयी और मकानों में दरारें पड़ गयीं।’’ घबराए ग्रामीण जान बचाने के लिए अपने घरों से सड़कों की ओर भागे। जब वे अपने इलाके में लौटे तो उनमें से कुछ लोग मलबा हटाने लगे और एक-एक कर शवों को मलबे से बाहर निकालने लगे। लोगों की मौत की खबरें आने पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बाहर एकत्रित लोग फूट-फूट कर रोने लगे।
उत्तर अमेरिकी देश मोरक्को में आए विनाशकारी भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर 2,000 से अधिक हो गई है और कम से कम 2,059 लोग घायल हैं। देश के गृह मंत्रालय ने शनिवार देर रात बताया कि शुक्रवार देर रात आए भूकंप में 2,012 लोगों की मौत हो गई, और मृतक संख्या अभी और बढ़ने की आशंका है, क्योंकि बचावकर्ता सर्वाधिक प्रभावित दूर-दराज के क्षेत्रों में पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। त्रासदी के कुछ घंटों बाद सूरज की रोशनी पड़ने के साथ ही मौले ब्राहिम में सैकड़ों लोग कंबल से ढके शवों को लेकर गांव के चौराहे पर पहुंचे। शवों को दफनाने से पहले पुरुषों ने प्रार्थना की।
ताउदिते ने कहा कि गांव को लोगों के लिए भोजन और तंबू की जरूरत है, जिनके पास खुले आसमान के नीचे सड़कों पर आश्रय लेने के अलावा रहने की कोई और जगह नहीं है। गांव की ज्यादातर अर्थव्यवस्था खेती और पर्यटन पर निर्भर है। अब यह वक्त ही बताएगा कि गांव के पुननिर्माण में और जनजीवन के पटरी पर लौटने तथा यहां पर्यटकों का आगमन फिर से शुरू होने में और कितना वक्त लगेगा।
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