लखनऊ: प्रदेश सरकार पर अफसरशाही हावी, कर्मचारियों की नहीं सुन रहे मंत्री और अधिकारी

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश सरकार और उसके अधिकारियों पर कर्मचारियों को गुलाम बना कर रखने के आरोप लग रहे हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि कर्मचारी संगठनों को समाप्त करने की व्यवस्था बनाई जा रही है। यह आरोप इप्सेफ की तरफ से लगाये गये हैं। इप्सेफ की तरफ से कहा गया है कि अधिकारी सीएम की बात भी नहीं सुन रहे हैं।

इंडियन पब्लिक सर्विस इम्प्लाईज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र ने बताया कि प्रदेश सरकार पर अफसरशाही हावी है। खेद का विषय है कि स्वास्थ्य विभाग सहित कई महत्वपूर्ण विभागों में पदोन्नतियां, कैडर पुनर्गठन, वेतन विसंगतियां, सेवा नियमावलियां आदि पर निर्णय नहीं हो पाया है। जिससे एक तरफ कर्मचरी संगठनों में यह धारणा बन गयी है कि उनकी पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है।

वास्तविकता भी है कि प्रदेश सरकार के मंत्री, अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव एवं विभागाध्यक्ष में से कोई कर्मचारी संगठनों से संवाद नहीं करते है, मिलते भी नहीं है। अब संगठनों के ऊपर एक और समस्या आ गयी है कि कर्मचारी प्रातः 09 बजे कार्यालय में बायोमैट्रिक हाजिरी  लगाते है और शाम को 6 बजे भी हाजिरी लगाकर घर जाते है। सरकार बताये कि कर्मचारी संगठनों का कार्य कैसे करे।

अगर परिवार का कोई सदस्य बीमारी हो जाय तो उन्हें पहले हाजिरी लगाना होगा। वह अपने मरीज को कैसे इलाज करा सकता है। अगर इलाज कराने जायेगा तो उस दिन का वेतन काट दिया जायेगा। इससे साफ जाहिर होता है कि प्रदेश सरकार कर्मचारी संगठनों को समाप्त करने की नीति पर चल रही है। ऐसा लगता है कि वह कर्मचारियों को गुलाम बना कर रखना चाहती है।

वीपी मिश्र ने कहा है कि कर्मचारियों को अब तय करना होगा कि उन्हें गुलामी चाहिए या आजादी। वीपी मिश्र ने कहा कि आउटसोर्सिंग कर्मचारियों और निजी संस्थानों के कर्मचारियों की और बुरे हालात है। उन्होंने बताया कि जहां भी एनडीए की सरकार हैं सभी जगह यही हाल है। सभी जगह आदेश होता है कि रिक्त पदों पर नियुक्तियों, पदोन्नतियां सहित सभी मांगों पर समयबद्ध निर्णय किया जाय, परन्तु यथा स्थिति बनी हुई है।

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