कैंसर सर्वाइवर अभिनेत्री महिमा चौधरी और छवि मित्तल ने बेहतर जीवन के लिए बेस्ट रिकंस्ट्रक्शन को बताया जरूरी
लखनऊ, अमृत विचार। कैंसर बीमारी की जानकारी होने पर बिना डरे इसका पूरा इलाज करना चाहिए। जब इस बीमारी का पता चलता है तब मानसिक रूप से परेशानी बहुत होती है, लेकिन आत्मविश्वास को कमजोर नहीं होने देना है। यह बातें कैंसर सर्वाइवर अभिनेत्री महिमा चौधरी ने कहीं। उन्होंने यह बातें एसजीपीजीआई में आयोजित तीन दिवसीय कांफ्रेंस ब्रेसकान- 2023 के मौके पर रविवार कही।
इस दौरान अभिनेत्री महिमा चौधरी ने ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारी से कैसे जीत हासिल की इसके बारे में भी उन्होंने बताया। महिमा चौधरी जब अपने बीमारी के दिनों को याद कर रही थी तो वह भावुक हो गईं। महिमा चौधरी ने कैंसर पीड़ित मरीजों से अपील करते हुए कहा है कि इस बीमारी से डरना नहीं चाहिए बल्कि पूरा इलाज करना चाहिए। उन्होंने बताया कि जब वह कैंसर से पीड़ित हुई तो खुद बहुत परेशान हो गई थी, यहां तक की उन्होंने अपनी बीमारी के बारे में अपने माता-पिता को भी नहीं बताया था।
उन्होंने बताया कि वह मानसिक रूप से परेशान थी, लेकिन हिम्मत कर इलाज शुरू किया और आज पूरी तरीके से स्वस्थ है। उन्होंने कहा कि जब कैंसर संक्रमित ब्रेस्ट को सर्जरी के जरिए हटाया गया। तो उनका आत्मविश्वास काफी कमजोर हो गया था,लेकिन ब्रेस्ट री कंस्ट्रक्शन सर्जरी होने पर वह एक बार फिर उनमें पहले जैसा आत्मविश्वास आ गया।
इस अवसर पर ब्रेस्ट कैंसर बीमारी से ठीक हो चुकी अभिनेत्री छवि मित्तल ने भी अपने अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन को लेकर सबको जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन की वजह से कैंसर पीड़ित महिलाओं की क्वालिटी आफ लाइफ यानी कि जीवन की गुणवत्ता में सुधार आता है। ऐसे में इस बात की जानकारी हर एक शख्स को होनी चाहिए। जिससे कि बीमारी से संबंधित इलाज तक वह अपनी पहुंच बना सके। मौजूदा दौर में मेडिकल साइंस इतनी एडवांस है कि वह लोगों की जिंदगी बचाने के साथ उन्हें गुणवत्तापूर्ण जीवन देने में भी सक्षम है।
शरीर के लिए जिस तरह हाथ पैर उंगली या दूसरे अंग महत्वपूर्ण है ठीक उसी प्रकार महिलाओं के लिए ब्रेस्ट भी महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। ब्रेस्ट बीमारी की वजह से कट जाने के बाद महिलाओं का आत्मविश्वास जरूर काम होता है। जब कोई महिला स्तन कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रही होती है तो वह उसका सबसे बुरा दौर होता है। ऐसे में बीमारी के प्रति जागरूकता और इलाज की संपूर्ण जानकारी ही मरीज को उसके बेहतर भविष्य के लिए तैयार करती है।
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