ऐसे साक्ष्य नहीं कि एयर प्यूरीफायर श्वसन संबंधी संक्रमण को रोकते हैं: New study

ऐसे साक्ष्य नहीं कि एयर प्यूरीफायर श्वसन संबंधी संक्रमण को रोकते हैं: New study

नॉर्विच (ब्रिटेन)। कोविड-19 के दौरान इस तरह की बातें सामने आईं कि घर के अंदर वायु गुणवत्ता में सुधार होना चाहिए , साथ ही दावा किया गया कि इससे वायरस के फैलने का खतरा कम होगा, लेकिन इन दावों का समर्थन करने के लिए साक्ष्यों की कमी है। इसलिए मैंने और मेरे सहकर्मियों ने कोविड से पहले के साक्ष्यों की समीक्षा की और पाया कि वायु शोधन वास्तव में श्वसन संक्रमण संबंधी बीमारियों को कम नहीं करता। वायु उपचार उपकरणों के दो मुख्य प्रकार हैं: फिल्टर और वायु कीटाणुनाशक। फ़िल्टर हवा से उन कणों को हटाने का काम करता है जिनमें संक्रामक वायरस हो सकते हैं। 

वायु कीटाणुनाशक हवा में वायरस को निष्क्रिय करने के लिए पराबैंगनी विकिरण या ओजोन का इस्तेमाल करते हैं। हमारी सिलसिलेवार समीक्षा में हमें इस विषय पर 1970 और 2022 के बीच किए गए 32 अवलोकन और प्रयोगात्मक अध्ययन मिले। साक्ष्यों से यह बात सामने आई कि इन प्रौद्योगिकियों ने बीमारी और वायरस से संक्रमण की गंभीरता को कम नहीं किया। हमारी समीक्षा से यह निष्कर्ष निकला कि इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि वायु उपचार प्रौद्योगिकियां श्वसन संबंधी बीमारियों के जोखिम को कम करती हैं।

वेंटिलेशन कैसा है?
इस अध्ययन में बीमारी के जोखिम पर वेंटिलेशन के प्रभाव, जैसे खिड़कियां खुली रखने आदि पर विचार नहीं किया गया। हाल ही में कोविड संक्रमण पर वेंटिलेशन के प्रभाव की एक सिलसिलेवार समीक्षा की गई है। हालांकि इस बात के कुछ सुबूत मिले हैं कि वेंटिलेशन से संक्रमण कम हुआ है। यदि वायु शोधन से बीमारी का खतरा कम नहीं होता है, तो ऐसा क्यों है? मेरा तर्क है कि कई कारण हैं जिसके कारण वायु उपचार प्रौद्योगिकियां कभी भी रामबाण नहीं बन पाएंगी जैसा कि कुछ लोग दावा कर रहे थे। सर्वप्रथम श्वसन वायरस के संचरण का जोखिम इस बात पर निर्भर करता है कि आप संक्रमित व्यक्ति के कितने करीब हैं। 

महामारी की शुरुआत में वैज्ञानिकों के एक समूह ने दिखाया कि किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से संक्रमण का खतरा तब कम हो जाता है जब आप उससे एक निश्चित सीमा तक दूर हों। किसी संक्रमित व्यक्ति के एक मीटर के दायरे के अंदर पहुंचने वाले व्यक्ति में संक्रमण का खतरा उससे एक मीटर से अधिक दूर रहने वाले व्यक्ति की तुलना में लगभग पांच गुना अधिक होता है। दूसरा यह कि भले ही वायु शोधन किसी विशेष इनडोर स्थान के भीतर संक्रमण को रोकने में प्रभावी था, लोग नियमित रूप से यहां वहां आते-जाते रहते हैं। ऐसे में ये आपकी रक्षा नहीं कर सकेंगे। अंत में, उन संक्रमणों से होने वाली महामारी अहम मुद्दा है जिनकी प्रतिरक्षा की अवधि कम होती है। 

जैसा कि मैंने दो साल पहले चर्चा की थी, कोविड जैसे संक्रमण में प्रतिरक्षा की अपेक्षाकृत कम अवधि होती है। ऐसे में मानक महामारी मॉडल की भविष्यवाणी की तुलना में अलग व्यवहार करते हैं क्योंकि लोग अपनी प्रतिरक्षा कमजोर होने के कारण बार बार संक्रमित हो सकते हैं। कोविड जैसे संक्रमणों को ‘एसईआईआरएस’ (अतिसंवेदनशील, उजागर, संक्रमित, ठीक हो चुका, अतिसंवेदनशील) मॉडल द्वारा बेहतर ढंग से समझा जाता है। इस मॉडल में, वायु निस्पंदन या मास्क पहनने जैसे उपाय कम प्रभावी हो जाते हैं क्योंकि अधिकतर लोग पुन: संक्रमित हो जाते हैं। कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र भी संक्रमण को बार बार होने का मौका देता है। कुल मिला कर वास्तविक दुनिया के सबूतों का सार यह है कि वायु उपचार प्रौद्योगिकियां कोविड ​​जैसे श्वसन संक्रमण से बीमार होने के जोखिम को कम नहीं करती हैं। इस बात के कुछ और सबूत हैं कि वेंटिलेशन जोखिम को कम कर सकता है लेकिन इसे प्रभावी नहीं माना जा सकता।

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