बरेली: बरातघरों में नहीं पार्किंग...शादियों के सीजन में जनता झेलेगी जाम

बरेली: बरातघरों में नहीं पार्किंग...शादियों के सीजन में जनता झेलेगी जाम

बरेली, अमृत विचार। शहर की सड़कों पर जाम लगने के कारणों की वैसे ही कमी नहीं है लेकिन जब शादियों के सीजन में बगैर पार्किंग के बरातघर ऐसा भीषण संकट खड़ा करते हैं कि हर शाम पूरा शहर जाम हो जाता है। आधी सड़क पर मेहमानों की गाड़ियां पार्क हो जाता हैं, बची-खुची जगह बरात से घिर जाती है।

नतीजा यह होता है कि सड़कों पर निकलने वाले लोग जाम में फंसकर अनचाहे ही बरात का हिस्सा बन जाते हैं। साल दर साल यह समस्या विकराल होती जा रही है। प्रशासन, नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस के अफसर हर साल नियम-कायदों की जुबानी झड़ी लगाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं।

देवोत्थान एकादशी पर इसी बृहस्पतिवार की शाम साफ हो चुका है कि शादियों के सीजन में आगे शहर को क्या मुसीबत झेलनी है। इस दिन पीलीभीत बाईपास, बदायूं रोड, किला रोड और सौ फुटा रोड समेत सभी प्रमुख सड़कों पर बैंड-बाजे के धूमधड़ाके के बीच देर रात तक जाम लगा रहा। बरातघरों के आगे तो सड़कें पूरी तरह ब्लॉक हो गईं।

सबसे बुरी हालत पीलीभीत बाईपास पर रही। शहर के कई प्रमुख बरातघर इसी रोड पर हैं। बाईपास की दोनों लेन पर बरातों का कब्जा था। सड़क पर घंटों तक जाम में फंसे रहे लोग पुलिस को सूचना देते-देते थक गए लेकिन तब तक आगे नहीं बढ़ पाए, जब तक झूमते-गाते बराती बरातघरों में प्रवेश नहीं कर गए।

पीलीभीत बाईपास के अलावा बदायूं रोड भी बरातघरों की वजह से समस्या झेल रहा है। पीलीभीत बाईपास की तुलना में ज्यादा व्यस्त रहने वाली इस रोड पर सुभाषनगर इलाके में ही दर्जन भर से ज्यादा बरातघर और होटल हैं जो शादियों के सीजन में जाम की वजह बने रहते हैं। इनमें से ज्यादातर में पार्किंग का इंतजाम भी नहीं है।

बरातों की वजह से जाम लगता है तो पुलिस को उसे खुलवाने में घंटों लग जाते हैं लेकिन इसके बावजूद अफसरों को बरातघरों के लिए कोई सख्त नियम-कायदे लागू करने की चिंता नहीं है। इस बार सहालग चूंकि दिसंबर तक है, लिहाजा साफ है कि शादी के हर मुहूर्त पर लोगों को ऐसी ही मुसीबत झेलनी पड़ेगी।

आलीशान बरातघरों का नालों पर कब्जा, नगर निगम और बीडीए दोनों मेहरबान
शहर में अवैध बरातघरों की भरमार है। पीलीभीत रोड और सौ फुटा रोड पर कई बरातघरों ने नालों तक पर कब्जा कर लिया है लेकिन नगर निगम के अफसर फिर भी उन पर मेहरबान हैं। सड़कों की पटरी भी स्थाई रूप से उनके कब्जे में है।

शादियों का आयोजन होता है तो आगे तक सजावट कर सड़कों तक को कब्जा लिया जाता है। नालों के ऊपर भी बरातियों की गाड़ियां खड़ी रहती हैं। कई बरातघरों ने नालों पर सीमेंट टाइल्स लगा रखी हैं। इस वजह से नालों की सफाई तक नहीं हो पाती। दो साल पहले बीडीए की ओर से भी अवैध बरातघरों को नोटिस जारी किए गए थे लेकिन इसके बाद उसकी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई।

हर साल बनते हैं नियम-कायदे, पालन कभी नहीं होता
शादियों के सीजन में जब शहर में जाम का संकट खड़ा होता है तो प्रशासन, नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस के अफसर हर साल बरातघरों के लिए नियम-कायदों की घोषणा करते हैं लेकिन इन पर पालन कभी नहीं होता।

शादियों का सीजन गुजरते ही इन नियम-कायदों को भुला दिया जाता है। शहर कई आलीशान बरातघर जिनमें एक-एक शादी लाखों में होती है, उनमें पार्किंग तक नहीं है। इसके बावजूद बरसों से वे इसी तरह चल रहे हैं। पीलीभीत रोड पर कुछ बरातघरों के खिलाफ कुछ साल पहले कार्रवाई शुरू की गई थी लेकिन उनकी पहुंच की वजह से बाद में जिला प्रशासन के साथ नगर निगम ने भी चुप्पी साध ली।

जाम की असल वजह बरातघर नहीं, बल्कि सड़कों पर गड्ढे और जगह-जगह चल रहे निर्माण कार्य हैं। शादियों का सीजन साल में बमुश्किल 60 दिन का होता है, जाम तो रोज लगता है। बैंड-बाजों की वजह से थोड़ी दिक्कत रहती है। इनका समय 10 बजे तक निर्धारित किया जाना चाहिए। अतिक्रमण करने वालों पर नगर निगम ध्यान दे, इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। - गोपेश अग्रवाल, अध्यक्ष बैंक्वेट हॉल एसोसिएशन

बरातघरों में पार्किंग न होने की वजह से सड़कों पर यातायात प्रभावित हो रहा है। बरातघर वालों की जिम्मेदारी है कि वे यातायात को बाधित न होने दें। नगर निगम अगले सप्ताह से कार्रवाई करेगा। - ललतेश सक्सेना, अतिक्रमण निरोधी अभियान के प्रभारी

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