यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग की नियमावली के प्रस्ताव को कैबिनेट से मिली मंजूरी, जानिए अब कैसे होगी शिक्षकों की भर्ती
रविशंकर गुप्ता अमृत विचार: उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग (Uttar Pradesh Education Service Selection Commission) की नियमवली को मंजूरी देने के बाद अब शिक्षक भर्ती में काफी हद तक पारदर्शिता देखने को मिलेगी। नियमावली के अनुसार आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों का चयन एक सर्च कमेटी द्वारा किया जाएगा, जिसके अध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे। सूचीबद्ध किए गए अभ्यर्थियों की सूची मुख्यमंत्री के पास अनुमोदन के लिए व चाहे वो कैबिनेट मंत्री और राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार शामिल हुए। इस पर शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में भर्ती में किसी भी प्रकार से फर्जीवाड़ा करना आसान नहीं होगा।
- इस तरह शिक्षा चयन आयोग करेगा काम, इनकी होगी तैनाती
- - आयोग में एक सचिव
- - एक परीक्षा नियंत्रक
- - एक वित्त नियंत्रक
- - न्यायिक सेवा के एक विधि अधिकारी
- - एक वित्त एवं लेखा अधिकारी
- - आउटसोर्स से एक कम्प्यूटर एवं आईटी समन्वयक
- - चार उप सचिव प्रतिनियुक्ति पर होंगे
- - चारो उप सचिवों का कार्याल तीन साल तक होगा
समाहित होंगे दोनो चयन बोर्ड के कर्मचारी, होगा एतिहासिक बदलाव
कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग में उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग प्रयागराज
(Higher Education Service Commission Prayagraj) और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड
(Uttar Pradesh Secondary Education Service Selection Board) के सभी पूर्णकालिक कर्मचारी आयोग में समाहित कर दिए जाएंगे। योगी सरकार का ये भी एक बड़ा एतिहासिक फैसला होगा। बता दें कि यूपी में बेसिक शिक्षा परिषद, माध्यमिक शिक्षा परिषद , प्राविधिक प्राविधिक शिक्षा परिषद , उच्च, पॉलीटेक्निक, आईटीआई जैसे संस्थानों में शिक्षकों की भर्ती के लिए योगी सरकार ने एक ही आयोग बनाये जाने की घोषणा पहले ही की थी। पिछले साल से आयोग में पदाधिकारियों की तैनाती के लिए मंथन चल रहा था। इस मंथन में माध्यमिक शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों सहित कई कई अन्य विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया था।
शिक्षक भर्ती में आयेगी पारदर्शिता
बता दें कि योगी सरकार ने अपने पहले ही कार्यकाल में पूर्व सरकारों द्वारा बड़े पैमाने पर किए गये शिक्षक भर्ती मामले में गड़बड़ियों को देखते हुए निर्णय लिया था। अब भर्ती एक ही आयोग करेगा। सरकार का मानना है कि एक आयोग की ओर से भर्ती प्रक्रिया होने से नियुक्ति में पारदर्शिता आयेगी। सबसे बड़ी चुनौती एडेड शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर थी। यहां प्रबंध समिति के माध्यम से होने वाली नियुक्ति में जिले और मंडल स्तर के अधिकारियों का बड़ा खेल रहता था। लेकिन इन संस्थानों की भर्ती भी अब आयोग के हाथ में जाने से फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति आसान नही होगी।
नये आयोग की नियमावली को मंजूरी मिलने के बाद विश्वविद्यालयों पर भी कसेगा शिकंजा
यूपी में शिक्षा चयन आयोग की नियमावली की मंजूरी के बाद अब जब नया आयोग शिक्षकों की नियुक्ति करेगा तो शिक्षकों के अभिलेखों के सत्यापन में भी पारदर्शिता आयेगी। आयोग की ही टीम इनके अभिलेखों की गोपनीय जांच करायेगी। इसके बाद विश्वविद्यालयों के लिए भी सत्यापन के लिए एक समय निर्धारित होगा। अभी तक कई बार विश्वविद्यालयों की ओर से सत्यापन में भी फर्जीवाड़ा पाया गया है जिसको देखते हुए योगी सरकार ने शिक्षक भर्ती से लेकर उनके अभिलेखों के सत्यापन की प्रक्रिया में बदलाव करने का निर्णय लिया है। अब नये आयोग की नियमावली को मंजूरी मिलने के बाद काफी असर देखने को मिलेगा।
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