प्रयागराज: उपेक्षा का शिकार है राम सागर तालाब, वन गमन के समय कभी यहां पड़े थे श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी के चरण
उपेक्षा के चलते इस पौराणिक स्थल का नही हो सका विकास

राजीव जायसवाल, नैनी, प्रयागराज। नैनी स्थित राम सागर तालाब एवं राम जानकी मंदिर की उपेक्षा के चलते यहां कोई विकास नहीं हो सका है। यहां के इस मंदिर और तालाब का अपना पौराणिक महत्व है। वन गमन के समय भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण यहां पर रुके थे। जहां एक और अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है। अगले माह प्राण प्रतिष्ठा भी हो जाएगा। ऐसे में स्थानीय लोगों को आस थी कि सरकार इस स्थल का भी कायाकल्प कराएगी, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया।
नैनी में स्थित राम सागर तालाब एवं श्री राम जानकी मंदिर का अपना पौराणिक महत्व है। वन गमन के समय भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण और यहां में रुके थे। रात में रुकने के कारण इस स्थल को शयनी गांव भी कहा जाता है। त्रेता युग की एक कथा प्रचलित है कि माता सीता के स्नान को लक्ष्मण ने बाण चलाकर यहां पानी निकाल दिया था। इससे यह तालाब बन गया। इसके बाद माता जानकी ने स्नान कर मंदिर में पूजन किया। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तालाब की गहराई का कोई अंदाज नहीं लगा पाया।
बताया जाता है कि इस मंदिर में भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के चरण चिन्ह भी हैं। मान्यता है कि तालाब में महिलाओं को स्नान करने और पूजन करने से माता सीता द्वारा अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है। राम सागर तालाब में बड़ी संख्या में मछलियां और कछुए हमेशा रहते हैं। आसपास के कुछ लोग अक्सर वहां जाकर सना हुआ आटा, ब्रेड आदि कछुओं को खिलाते हैं। इसमें आध्यात्मिक लोगों को आनंद का अनुभव प्राप्त होता है।
पौराणिक महत्व के कारण तालाब में नाली का गंदा पानी जा रहा है, जिसको बंद कराने की भी मांग किया जा रहा है, जिससे तालाब में रहने वाले जीवों को नुकसान होने से बचाया जा सके। मंदिर जाने वाली सड़क भी काफी खराब स्थिति में है। उसके नीचे की काफी मिट्टी हट गई है।लोगों का मानना है कि भाजपा सरकार इस स्थल पर भी अपना ध्यान केंद्रित कर यहां का कायाकल्प कराए।
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