प्रयागराज : हाईकोर्ट ने लापता पुलिस अधिकारी मामले में आपराधिक षड़यंत्र की जताई संभावना 

Amrit Vichar Network
Published By Virendra Pandey
On

प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के निलंबित पुलिस अधिकारी अनुज कुमार के लापता होने के मामले ने बुधवार को एक चिंताजनक संकेत दिया कि अधिकारी की “स्पष्ट रूप से एक भयावह मौत हुई है।” मामले में न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर और न्यायमूर्ति संजीव कुमार की खंडपीठ ने कई गंभीर अनियमितताओं पर कड़ा संदेह व्यक्त करते हुए पुलिस अधिकारी की मां द्वारा दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को आपराधिक विविध रिट याचिका में परिवर्तित करने का निर्देश दिया। 

मामले के अनुसार 17 सितंबर 2025 को अलीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा निलंबन के कुछ समय बाद ही सब-इंस्पेक्टर अनुज कुमार रहस्यमय परिस्थितियों में “बिना किसी सुराग के लापता” हो गए थे। उनकी मां ने आरोप लगाया कि उन्हें आखिरी बार एक पुलिस निरीक्षक और एक कांस्टेबल द्वारा लेकर जाते हुए देखा गया था, जबकि पुलिस ने हाईकोर्ट के समक्ष यह दावा किया कि रेलवे ट्रैक पर मिला एक अज्ञात शव संभवतः उसी का है। कोर्ट ने पुलिस की इस थ्योरी और पूरी जांच प्रक्रिया पर कठोर प्रश्न खड़े करते हुए विशेष रूप से सीसीटीवी फुटेज के न मिलने को अत्यंत संदिग्ध बताया। कोर्ट ने कहा कि घटनास्थल के आसपास “हर सीसीटीवी कैमरे के खराब होने” का पुलिस दावा किसी तकनीकी त्रुटि से अधिक संभावित मिलीभगत और सबूत नष्ट करने की ओर इशारा करता है। 

राज्य सरकार ने एसएसपी, अलीगढ़ का एक अनुपालन हलफनामा प्रस्तुत कर कोर्ट से अनुरोध किया कि वह मिले हुए शव को लापता अधिकारी का शव “स्वीकार” कर ले। इसमें एसआई को “अपहृत सब-इंस्पेक्टर” बताया गया था, लेकिन कोर्ट ने शव संबंधी पुलिस रिपोर्ट को “बेहद अस्पष्ट” बताते हुए स्वीकार करने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि “यह अब ऐसा मामला नहीं रह गया है कि व्यक्ति अवैध हिरासत में है… उसे अवैध रूप से हिरासत में लिया गया होगा, लेकिन उसका अंत भयावह प्रतीत होता है।” अंत में कोर्ट ने तथ्यों की गंभीरता और जांच पर उठे संदेह को देखते हुए मामले को 16 दिसंबर 2025 को सूचीबद्ध किया है।

संबंधित समाचार