लखीमपुर खीरी: सिपाही पिटे तो टूटी नींद, हिस्ट्रीशीटरों की हाजिरी शुरू 

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Published By Om Parkash chaubey
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87 हिस्ट्रीशीटरों में से छह की लग रही थी हाजिरी, छह महीने से थी बंद

लखीमपुर खीरी, अमृत विचार: जिले में शातिर अपराधियों की निगरानी को लेकर पुलिस कितनी गंभीर है। इसका खुलासा हरद्वाही बाजार चौराहा पर हिस्ट्री शीटर द्वारा बेलरायां पुलिस चौकी के सिपाहियों की पिटाई और कोतवाली सदर में हरियाणा के युवक की गोली मारकर हत्या की घटना से हुआ है। निघासन सर्किल के थानों में करीब छह महीनों से हिस्ट्रीशीटर समेत क्षेत्र के शातिर अपराधियों की कोई निगरानी नही की जा रही थी।

अमृत विचार में खबर छपने के बाद हरकत में आई पुलिस ने हिस्ट्रीशीटरो की निगरानी करने और उनकी हाजिरी लेनी शुरू कर दी है। अपराधों और अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए डीजीपी से लेकर एसपी तक सबसे अधिक जोर थाना क्षेत्र के हिस्ट्री शीटर, क्रियाशील अपराधियो पर देते है। वहीं हिस्ट्रीशीटरों की निगरानी रखने, उनकी थानों पर हाजिरी लगाने के पहले से ही कड़े निर्देश हैं।

बकायदा इसके लिए थानों पर हिस्ट्रीशीटर निगरानी रजिस्टर भी बना हुआ है। हिस्ट्रीशीटर के साथ ही जेल से छूटने वाले चोरी, लूट आदि के शातिर अपराधी कहां हैं और वह क्या कर रहे हैं। इसकी भी जानकारी एसओ से लेकर बीट सिपाहियों को होनी चाहिए, लेकिन थाना स्तर पर इन निर्देशों का पालन नहीं हो पा रहा है। पुलिस थानों पर हाजिरी तो दूर उनकी निगरानी तक नहीं कर पा रही है।

पुलिस निगरानी न होने का फायदा उठाकर हिस्ट्रीशीटर अपराधी हत्या, लूट जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम देते हैं। थाना सिंगाही क्षेत्र की हरद्वाही बाजार चौराहा पर छह दिन पहले  कोतवाली तिकुनियां के गांव तकिया पुरवा निवासी शातिर अपराधी हिस्ट्रीशीटर सोनू पुत्र शाकिर ने अपने दो अन्य साथियों के साथ मिलकर बेलरायां पुलिस चौकी के दो सिपाहियों को दौड़ाकर जमकर पीटा था।

तिकुनियां पुलिस ने सिपाहियों की तरफ से रिपोर्ट दर्ज न कर बस चालक की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज की थी। खासबात यह है कि तिकुनियां पुलिस अपनी कारगुजारी खुल न जाए। इसके लिए पूरे मामले को दबाने का प्रयास हिस्ट्री शीटर के कोर्ट में आत्म समर्पण करने तक करती रही। कोतवाली तिकुनियां के भरोसेमंद पुलिस सूत्रों ने बताया कि कोतवाली क्षेत्र में 70 और बेलरायां पुलिस चौकी क्षेत्र में 17 हिस्ट्री शीटर हैं।

इनकी सबकी प्रतिदिन थाने पर हाजिरी लगने और निगरानी करने के निर्देश हैं, लेकिन इनमें से महज पांच छह हिस्ट्री शीटर थाने पर हाजिरी लगाने आते थे। वह भी करीब छह महीने से नहीं आ रहे थे। इनमे कई हिस्ट्रीशीटर ऐसे हैं, जो वर्षों से गायब है। वह कहां हैं और क्या कर रहे हैं। इसकी जानकारी तक पुलिस को नहीं है। पुलिस भी जानकारी जुटाने की कोशिश नहीं कर रही है।

अमृत विचार में प्रकाशित खबरों को एसपी गणेश प्रसाद साहा ने गंभीरता से लिया और कड़ी फटकार लगाई है। इसके बाद जागी पुलिस ने हिस्ट्रीशीटरों की तलाश शुरू कर दी है। पांच दिनों से कुछ हिस्ट्रीशीटर हाजिरी लगाने कोतवाली पहुंच रहे हैं। कमोवेश यही हाल सिंगाही, निघासन, सदर कोतवाली, फूलबेहड़ आदि थानों और कोतवालियों का है। 

जेल से जमानत पर छूटे हिस्ट्री शीटर ने की थी मशीन मालिक की हत्या: पांच दिन पहले शहर के मोहल्ला प्रकाशनगर में हरियाणा के बोरवेल मशीन मालिक बलराम की मोहल्ले के ही हिस्ट्री शीटर कुलदीप बाजपेई ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर गोली मारकर हत्या कर दी थी। वह घटना से एक हफ्ते पहले ही वह जेल से जमानत पर छूट कर आया था। पुलिस उसके जेल के छूटने के बाद एक बार भी उसके घर की कुंडी खटखटा देती तो शायद वह हत्या जैसी जघन्य वारदात करने का साहस नहीं जुटा पाता। 

सिंगाही में हिस्ट्रीशीटर ने की थी महिला की गोली मारकर हत्या: घटना वर्ष 2021 में थाना सिंगाही के गांव सिंगहा कलां में हुई थी। ग्राम सिंगहा कलां में जमीन विवाद में पड़ोसी गांव सिंगहा खुर्द निवासी हिस्ट्रीशीटर प्रेमपति ने बुजुर्ग महिला की सुपाड़ी लेकर हत्या कर दी थी। हालांकि बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। 

एक अधिकारी एक अपराधी योजना:  जिले में करीब छह साल पहले एक अधिकारी एक अपराधी योजना लागू हुई थी। इस योजना से अपराधों और अपराधियों पर काफी हद तक अंकुश लगा था।  इस योजना में एएसपी से लेकर सिपाही तक को शामिल किया गया था। थानों से क्रियाशील अपराधियो की सूची तैयार कराई गई थी। इसके बाद जितना बड़ा अपराधी उतने ही बड़े अधिकारी को उसकी निगरानी सौंपी गई थी।

अपराधी का पूरा डोजियर एक निर्धारित प्रपत्र पर भरा गया था। बकायदा उसमें उसकी फोटो भी चस्पा की गई थी। उसके बाद चिन्हित सक्रिय अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही होनी थी। पुलिस की इस अनूठी पहल का असर भी जिले में दिखाई पड़ा था।

शुरुआती दौर में यह योजना पुलिस के लिए अपराधों पर अंकुश लगाने में काफी सफल साबित हुई, लेकिन समय के साथ साथ यह योजना अधिकारियों की लापरवाही के कारण फ्लॉप होती चली गई। इससे अपराधियों के मंसूबे एक बार फिर बढ़ गए और अपराधी बेखोफ होकर घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। 

सिर्फ कागजों में हो रही हिस्ट्रीशीटर बदमाशों की निगरानी: जिले में करीब 2420 शातिर अपराधी हैं, जिनकी हिस्ट्रीशीट खुली हुई है। बकायदा इन हिस्ट्रीशीटरों की थानों पर सूची लगी है। डीजीपी स्तर से हिस्ट्रीशीटरों की निगरानी के कड़े आदेश हैं। इसके बाद भी पुलिस इनकी निगरानी नहीं कर पा रही है। हालत यह है कि बीट सिपाही इन अपराधियों के चेहरे तक नहीं पहचानते हैं। इसका लाभ हिस्ट्रीशीटरों को मिलता है और वह बखूबी घटना को अंजाम देने में सफल हो जाते हैं। 

हिस्ट्री शीटर की निगरानी करने और उनकी थानों पर हाजिरी लगाने के पहले से ही निर्देश हैं। अगर कहीं लापरवाही है तो इसकी जांच कराई जाएगी। लापरवाही मिलने पर संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।- नैपाल सिंह, एएसपी

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