बंगाल: Fact-Finding टीम को पुलिस ने संदेशखाली जाने से रोका, हंगामे के बाद सभी सदस्यों को किया गिरफ्तार

बंगाल: Fact-Finding टीम को पुलिस ने संदेशखाली जाने से रोका, हंगामे के बाद सभी सदस्यों को किया गिरफ्तार

कोलकत्ता। पश्चिम बंगाल के संदेशखाली जा रही फैक्ट फाइंडिंग समिति के सदस्यों को दक्षिण 24 परगना के भोजेरहाट में गिरफ्तार किया गया। दरअसल, संदेशखाली में मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की जांच के लिए जा रही फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को पश्चिम बंगाल पुलिस ने 70 किलोमीटर पहले ही रोक लिया।

इसके बाद फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सदस्यों ने मौके पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। हंगामे के बाद पुलिस ने टीम के सभी सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया।

उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार संदेशखाली की सच्चाई छिपाना चाहती है, इसलिए उसके इशारे पर पुलिस उन्हें वहां जाने से रोक रही है। संदेशखालि में बड़ी संख्या में महिलाओं ने स्थानीय तृणमूल नेता शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।  

टीम की सदस्य चारू वली खन्ना ने पुलिस द्वारा उन्हें रोके जाने पर बताया कि हम संदेशखाली जा रहे थे, लेकिन हमें रोक दिया गया। पुलिस ने जानबूझकर हमें रोका और परेशानी खड़ी कर रहे हैं। पुलिस हमें पीड़ितों से मिलने नहीं जाने दे रही है। 

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखालि में महिलाओं पर अत्याचार की कथित घटनाओं की जांच के लिए जा रहे पटना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एल. नरसिंह रेड्डी के नेतृत्व वाली एक स्वतंत्र तथ्यान्वेषी समिति के छह सदस्यों को पुलिस ने वहां जाने से रोक दिया।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने संदेशखालि के कुछ हिस्सों में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू होने का हवाला देते हुए उनके काफिले को बसंती राजमार्ग पर भोजेरहाट क्षेत्र में रोक दिया, जो संदेशखालि से लगभग 52 किलोमीटर दूर है। रेड्डी, पूर्व आईपीएस अधिकारी राज पाल सिंह, राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व सदस्य चारू वली खन्ना, वकील ओ पी व्यास एवं भावना बजाज और वरिष्ठ पत्रकार संजीव नायक सड़क के किनारे बैठ गए और आगे जाने पर अड़े रहे। रेड्डी ने कहा, ‘‘यह पूरी तरह से अवैध है।

हमने पुलिस कर्मियों से कहा है कि कानून का पालन करने वाले नागरिक के नाते हम नियम नहीं तोड़ेंगे। संदेशखालि में कोई कर्फ्यू नहीं लगा है। इसलिए हम दो समूहों में जा सकते हैं। हमारी कम से कम दो महिला सदस्यों को उन महिलाओं से मिलने की अनुमति दी जानी चाहिए जिन्हें राजनीतिक संरक्षण का आनंद ले रहे बाहुबलियों के अत्याचारों का खामियाजा भुगतना पड़ा है।”

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