गोंडा: अग्निकांड से लड़ने का है जज्बा है पर संसाधनों की कमी से हिम्मत हार रहा अग्निशमन दस्ता, पिछले 20 सालों से...

बीते वर्ष 284 अग्निकांडों को ही कवर करने में कामयाब हो पाया विभाग

गोंडा: अग्निकांड से लड़ने का है जज्बा है पर संसाधनों की कमी से हिम्मत हार रहा अग्निशमन दस्ता, पिछले 20 सालों से...

गोंडा। गर्मी शुरू हो गई है। 15 मार्च आते आते मौसम पूरी तरह से गर्म हो जाएगा। मौजूदा समय तेज हवाएं चलने तथा पेड़ से पत्तियों के गिरने से आग लगने की प्रबल संभावनाएं हैं। बीते एक सप्ताह में ही एक दर्जन से अधिक आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। लेकिन आग पर काबू पाने वाले विभाग के पास कर्मचारी हैं और उनमें आग बुझाने का हुनर व जज्बा भी है लेकिन बिना हथियार के लड़ाई लड़ना कठिन हो गया है। यह पहला अवसर नहीं है कि विभाग के पास संसाधनों की कमी है, इसका रोना पिछले 20 सालों से है लेकिन शासन इन पर ध्यान नहीं दे रहा है।

जिले की 43 लाख आबादी को आग से बचाने तथा भीषण तबाही रोकने को अग्निशमन दस्ता हमेशा तैयार रहता है परंतु संसाधनों की कमी के कारण दस्ते की पहुंच ग्रामीण इलाकों में नहीं हो पा रही है। मार्च व अप्रैल माह में अग्निशमन सप्ताह मनाया जाएगा। लेकिन संसाधनों को लेकर हमेशा की तरह लोग संकट में जूझते नजर आएंगे। एक अप्रैल से अग्निशमन पखवारा शुरू हो जाएगा और 43 लाख आबादी को आग से बचाने के लिए अग्निशमन विभाग को चैतन्य रहना पड़ेगा।

विभाग के पास केवल दो फायर टेंडर है। इसमें एक मनकापुर केंद्र पर खड़ी है और दूसरा मुख्यालय पर है। इसके अलावा एक छोटी गाड़ी है जिसे किसी पंप से जोड़कर आग बुझाने का काम किया जा सकता है। लेकिन शहरी इलाकों में बनाए गए पंप भी खराब हो गए हैं। यदि जिले की सीमा से बाहर कोई आग की घटना होती है तो वहां तक दस्ता नहीं पहुंच पाता है। यदि पहुंच भी जाए तबतक आग सबकुछ जलाकर राख कर देती है। संसाधन नहीं हैं पर कर्मचारी पर्याप्त हैं लेकिन बिना हथियार के ये आग पर काबू कैसे पाएं इसे लेकर उनका भी रोना है। अग्निशमन केंद्र गोंडा में 60 फायरमैन की तैनाती है। चार चालक हैं लेकिन इन्हें मुख्य अग्निशमन अधिकारी का वाहन भी चलाना पड़ता है। चालक की भी बेहद कमी है।

सभी फायर हाईड्रेंट निष्क्रिय

गोंडा नगर में फायर टेंडर में पानी भरने के लिए जगह-जगह फायर हाईड्रेंट बनाए गए थे। यदि आग बुझाते समय पानी खत्म हो जाए तो वाहन को पुन: केंद्र तक पानी भरने के लिए नहीं जाना पड़ता था। लेकिन सड़क निर्माण व अन्य विकास कार्य में ये सभी निष्प्रयोज्य हो गए। अब एक आग बुझाने के लिए यदि पानी खत्म हो जाए तो उसे केंद्र पर लाना होता है। ऐसे में आधा घंटे से एक घंटे का समय लगता है। तब तक आग अपना रौद्ररूप दिखा देती है।

तरबगंज में मिली जमीन, करनैलगंज में चल रहा निर्माण

सभी तहसील मुख्यालयों पर अग्निशमन केंद्र स्थापित करने की दिशा में एक दशक से कार्य हो रहा है। करनैलगंज तहसील मुख्यालय पर एक फायर स्टेशन का निर्माण हो रहा है। दो साल हो गया लेकिन अभी तक यहां कोई संसाधन नहीं उपलब्ध हो सका है। तरबगंज तहसील मुख्यालय पर अभी जमीन की तलाश पूरी हुई है। मनकापुर में पहले से है लेकिन वहां भी संसाधन नहीं है। गोंडा केंद्र का एक फायर टेंडर भेजा गया है जिससे काम चलाया जा रहा है।

संसाधनों की कमी है फिर भी वे लोग तैयार हैं

आग की घटनाओं पर काबू पाने के लिए विभाग पूरी तरह से सक्रिय है। लेकिन संसाधनों की कमी है। जो संसाधन हैं उसी से काम चलाया जा रहा है। फायर हाईड्रेंट के लिए जलकल विभाग को पत्र भेजा गया है। सभी लोगों को आग से बचाव के सुझाव भी समय समय पर जारी किए जाते हैं।

                                                                                            नितेश शुक्ल, अग्निशमन अधिकारी द्वितीय, गोंडा

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