संदेशखाली और राजनीति
पश्चिम बंगाल की राजनीति में संदेशखाली का विवाद राष्ट्रीय आक्रोश का मुद्दा बना हुआ है। पिछले पखवाड़े अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस सरकार को संदेशखाली में हुई घटनाओं से असंवेदनशील तरीके से निपटने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा।
जहां तृणमूल कांग्रेस भाजपा पर मामले को तूल देने के आरोप लगाती रही है,वहीं भाजपा अपराधियों को बचाने के आरोप सत्तारूढ़ दल पर लगा रही है। दरअसल एक अनाज घोटाले में ईडी की कार्रवाई पर टीएमसी कार्यकर्ताओं के प्रतिरोध और उसके बाद ईडी अधिकारियों पर हमले के बाद संदेशखाली में नए-नए खुलासे होते रहे हैं।
हिंसा व दबंगई के लिए कुख्यात इलाके में दबंग राजनेताओं द्वारा जमीन कब्जाने और आदिवासी महिलाओं के शोषण के मामले उजागर हुए। 8 फरवरी से स्थानीय महिलाओं ने शाहजहां शेख और उसके समर्थकों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया। महिलाओं ने आरोप लगाया कि शाहजहां शेख और उसके लोग महिलाओं का यौन शोषण भी करते थे। आखिरकार संदेशखाली कांड के मुख्य आरोपी शेख शाहजहां को 55 दिन बाद बुधवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसके करीबी अमीर अली गाजी को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
टीएमसी की ओर से शुरूआत में यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि शाहजहां सामाजिक कार्यकर्ता था जिसे प्रवर्तन निदेशालय और भाजपा द्वारा गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा था। मुख्यमंत्री के वफादारों ने जोर देकर कहा कि टीएमसी नेताओं के चरित्र पर कोई दाग नहीं है और यहां तक कि छेड़छाड़ और बलात्कार के आरोप लगाने वालों से वीडियोग्राफिक सबूत पेश करने को कहा गया।
मांग की गई कि शाहजहां और उसके गुर्गों के खिलाफ आरोप लगाने वाली महिलाएं अपना चेहरा दिखाएं ताकि साबित हो सके कि वे स्थानीय थीं,बाहरी नहीं। लोकसभा चुनाव करीब आने के साथ,यह स्वाभाविक है कि ममता बनर्जी अपना ध्यान संदेशखाली से और विशेष रूप से स्थानीय टीएमसी नेताओं द्वारा महिलाओं के शोषण से,वह भी पार्टी कार्यालय के अंदर से हटाना चाहेंगी।
संदेशखाली के प्रतिकूल प्रभावों को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री जवाबी कार्रवाई के अपने आजमाए और परखे हुए तरीकों पर भरोसा करती नजर आ रही हैं। सबसे पहले,उन्होंने लक्ष्मीर भंडार योजना के तहत महिलाओं को भुगतान दोगुना करने सहित कई अतिरिक्त कल्याणकारी लाभों की घोषणा की। रा
जनीतिक संरक्षण में अपराधियों का फलना-फूलना किसी भी समाज के लिए दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति ही है। जबकि संगीन अपराध के मुद्दे पर राजनीति करने के बजाय वास्तविक अपराधियों को दंडित कराना ही प्राथमिकता होनी चाहिए। पीड़ितों को न्याय दिलाने में तत्परता दिखानी चाहिए।
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