बरेली: भाजपा के टिकट पर लगी निगाह, सपा को भी लग सकता है झटका

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Published By Vishal Singh
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काफी बदलाव बाकी... चेहरों के पीछे से निकल सकते हैं नए चेहरे

सुरेश पांडेय/ बरेली अमृत विचार। बरेली मंडल में अब तक दिख रही चुनावी तस्वीर में अभी काफी कुछ बदलाव होना बाकी है। सबसे ज्यादा कशमकश बरेली में है जहां भाजपा की घोषणा पर सपा की भी नजर है। यहां भाजपा के अंदर चल रही हलचल सामान्य नहीं है। अप्रत्याशित चेहरे सामने आने के भी आसार जताए जा रहे हैं। पीलीभीत और बदायूं में भी जो चेहरे फिलहाल दिख रहे हैं, उनके पीछे कई और चेहरे प्रकट होने की संभावना जताई जा रही है।

भाजपा जिस तरह बरेली का टिकट घोषित करने में देर लगा रही है, उससे एक खेमे की उम्मीदें लगातार कमजोर पड़ रही हैं। हालांकि यह भी दावा किया जा रहा है कि भाजपा यह सीट किसी भी हालत में गंवाना नहीं चाहती। फिलहाल इस सीट को पार्टी के खाते में डालने की सबसे बड़ी गारंटी संतोष गंगवार ही हैं लेकिन पार्टी कई चुनावों से चले आ रहे इस मिथक को भी अब तोड़ना चाहती है। पार्टी में ही संतोष गंगवार के कई विरोधी भी सक्रिय हैं और पार्टी हाईकमान की इस सोच को लगातार और मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी ओर, संतोष गंगवार नौंवी बार लोकसभा में जाने का रिकॉर्ड बनाने के लिए अंतिम पारी खेलने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। अब तक टिकट पाने के लिए पिच पर डटे हैं।

हाईकमान के लिए असमंजस की वजह सिर्फ यह है कि बरेली कुर्मी बहुल सीट है और संतोष का टिकट काटे जाने की स्थिति में इसके प्रतिकूल परिणाम चुनाव में सामने आ सकते हैं। बरेली का टिकट अब तक घोषित न किए जाने के पीछे इसी जोखिम से बचने के लिए रास्ता ढूंढ पाने में हो रही देरी को बताया जा रहा है। बरेली से कई लोगों टिकट का दावा कर रखा है लेकिन कहा जा रहा है कि संतोष का टिकट काटा गया तो प्रत्याशी ऐसा भी हो सकता है जिसने टिकट के लिए दावा ही नहीं किया है।

... तो नजर में वो महिला नेता तो नहीं
पार्टी में इस बात की काफी संभावना जताई जा रही है कि बरेली में भाजपा की तलाश एक महिला नेता पर जाकर खत्म हो सकती है। इसके अलावा जिले के ही एक जनप्रतिनिधि के नाम पर भी विचार हो रहा है जो खुद भी काफी समय से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए पार्टी में अपनी समीकरण साधने की कोशिश में जुटे हुए हैं। हालांकि पलड़ा महिला नेता का ही भारी बताया जा रहा है क्योंकि वह भी कुर्मी हैं और जिले के राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं। कुछ समय से उनका चेहरा भी जिले के प्रमुख भाजपा नेताओं के साथ दिख रहा है। एक वरिष्ठ नेता भी उन्हें आगे लाने के लिए काफी समय से कोशिश कर रहे हैं।

शाहजहांपुर की तरह दूसरी पार्टी के कुर्मी नेता पर भी जोर-आजमाइश
भाजपा में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता की ओर से संतोष गंगवार के विकल्प के तौर पर दूसरी पार्टी के एक कुर्मी नेता पर दल-बदल के लिए जोर-आजमाइश किए जाने की खबर है। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों इस नेता से भाजपा में शामिल होने के मुद्दे पर बात की गई थी लेकिन उन्होंने भाजपा में शामिल होने के बजाय टिकट घोषित करने की शर्त रखी। इस पर फिलहाल मामला टल गया। बता दें कि इससे पहले भाजपा शाहजहांपुर में सपा का मेयर प्रत्याशी छीन चुकी है। शाहजहांपुर की मेयर बनी अर्चना वर्मा को 2017 में सपा ने प्रत्याशी बनाया था लेकिन नामांकन के मौके पर उन्हें भाजपा में शामिल कर टिकट दे दिया गया। इससे पहले 2004 में वह सपा के टिकट पर जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी थीं। चार बार विधायक और दो बार सांसद रहे अर्चना के ससुर राममूर्ति सिंह वर्मा सपा सरकार में मंत्री रहे थे। उनके निधन के बाद बेटे राजेश ने ददरौल से विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं पाए।

बदायूं में संगठन के बड़े पदाधिकारी का नाम चर्चा में
भाजपा में पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी और बदायूं की सांसद संघमित्रा का टिकट भी काटे जाने की संभावना बढ़ती जा रही है। बदायूं में भी जातिगत समीकरण देखे जा रहे हैं। कुछ दिन पहले तक डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का नाम चर्चा में था लेकिन दो दिन से पार्टी संगठन के एक बड़े पदाधिकारी का नाम सामने आया है। पीलीभीत में स्थिति और भी ज्यादा असमंजसपूर्ण है। बरेली और इन दोनों सीटों पर सपा अपने प्रत्याशी घोषित कर चुकी है लेकिन फिर भाजपा की लिस्ट आने का इंतजार कर रही है।

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