गोंडा: ₹1.40 करोड़ से कराया जायेगा सगरा तालाब का सौंदर्यीकरण, LED लाइट से रात में देखने लायक होगा नजारा

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Published By Sachin Sharma
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तालाब के पुनरुद्धार का खाका तैयार, जमा सिल्ट की निकासी से बढ़ेगी तालाब की गहराई 

एलईडी लाइट से रोशन होगा तालाब के बीच बना गोवर्धन पर्वत

गोंडा, अमृत विचार। शहर के छह बड़े तालाबों में से एक सगरा तालाब का स्वरुप सुधारने की कवायद शुरू हो चुकी है। शहर के आधा दर्जन बड़े नालों का जंक्शन रहे इस तालाब की गहराईयों में जमा सिल्ट निकाली जाएगी जिससे इसकी गहराई बढ़ेगी। तालाब के किनारों से जंगली घास झाड़ियां व पेड़ कटवाए जाएँगे। रोशनी के भी इंतजाम बेहतर किए जाएंगे। इसके लिए नगरपालिका ने 1.40 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है। कार्यदायी संस्था 4 महीने में इस कार्य को पूरा करेगी। 

शहर के बीचो बीच स्थित सगरा तालाब का रकबा काफी ज्यादा होने से इसमे मछली पालन भी कराया जाता है। जिसका ठेका पहले नगरपालिका की ओर से होता था लेकिन कुछ विवादों के चलते अब मत्स्य पालन की ओर से कराया जा रहा है। 

शहर के कई बड़े नालों से जुड़ा होने के नाते इसमे काफी मात्रा मे सिल्ट जमा हो गयी है जिससे इसकी जलग्रहण क्षमता घटी है। मछली पालन की दृष्टि से भी जमा सिल्ट हानिप्रद है क्योंकि इससे मछलियो की आक्सीजन उपलब्धता घट चुकी है। लिहाजा सिल्ट निकालने के कार्य की पर्यावरण हित मे आवश्यकता थी। अब बड़ी हाइड्रोलिक मशीनों के जरिए इस तालाब में जमा सिल्ट को साफ किया जायेगा। 

तालाब के किनारों पर सौ से अधिक पोल लाइट लगाई जायेगी जिससे तालाब परिक्षेत्र जगमग रोशन होगा। जलनिगम के अवर अभियंता अंगद वर्मा ने बताया कि बड़ी मात्रा मे निकलने वाले सिल्ट के निस्तारण के इंतजाम देखे जा रहे हैं। अधिशाषी अधिकारी संजय मिश्रा ने बताया कि जल्द ही संबंधित कार्यदायी संस्था को कार्यादेश दे दिया जाएगा।

रानी भगवंत कुवंरि ने गोवर्धन मंदिर का कराया था निर्माण

नगर के सागर तालाब का इतिहास बहुत पुराना है। इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में गोंडा नरेश शिव प्रसाद सिंह ने कराया था। वह कृष्ण के अनन्य भक्त थे और इसी के समीप भव्य मंदिरों का भी निर्माण कराया था। तत्पश्चात राजा गुमान सिंह की पत्नी रानी भगवंत कुंवरि ने इसे काल्पनिक वृंदावन का रूप दिया। 

जनश्रृति के अनुसार, रानी भगवंत कुंवरि के पति राजा गुमान सिंह मथुरा वृंदावन दर्शन के लिए गए। वहां का मनमोहक दृश्य उन्हें भा गया और वह वहीं रुक गए। वह वहां से वापस आने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे तब रानी भगवंत कुंवरि ने गोंडा में भी मथुरा के वृंदावन की भांति एक काल्पनिक वृंदावन स्थापित करने का वचन दिया।

18वीं शताब्दी में रानी भगवंत कुंवरि ने सागर तालाब के मध्य एक टापू पर गोवर्धन पर्वत, कृष्ण कुंज, श्याम सदन, गोपाल बरसाना आदि का निर्माण कराया। जो आज भी सागर तालाब के बीचो बीच खंडहर के रूप में अभी है।

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