बरेली: मुंहपका और खुरपका बीमारी की रोकथाम के लिए किए जाएंगे शोध

बरेली: मुंहपका और खुरपका बीमारी की रोकथाम के लिए किए जाएंगे शोध

 बरेली,अमृत विचार। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान (आईवीआरआई) दूसरे संस्थानों से सहयोग पशु चिकित्सा के क्षेत्र में नए शोध करेगा। पशुओं की मुंहपका और खुरपका बीमारियों की रोकथाम के लिए अधिक शोध किए जाएंगे। अनुसंधान सलाहकार की बैठक में इसका निर्णय लिया गया।

बैठक में मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति असम कृषि विश्वविद्यालय और पूर्व उप महानिदेशक पशु विज्ञान डाॅ. केएम बुजरबरुआ ने आईवीआरआई के बौद्धिक संपदा अधिकार पोर्टफोलियो और प्रौद्योगिकियों के व्यवसायीकरण में हुई प्रगति की सराहना की।निदेशक डाॅ. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि उत्पादन बढ़ाने के लिए जर्म प्लाज्म में सुधार करने, कृत्रिम गर्भाधान की उन्नत तकनीकों को अपनाने, पशुओं और कुक्कुट की बीमारियों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने।

पशुओं की थनैला बीमारी की पहचान करने और इन पर शोध करने का सुझाव दिया। पीएमई प्रकोष्ठ के प्रभारी डाॅ. जी साई कुमार ने बताया कि देश के विभिन्न पशु चिकित्सा विशेषज्ञ संस्थान के शोध का आंकलन करेंगे, जिससे संस्थान के शोध को नई दिशा मिलेगी।

संयुक्त निदेशक डाॅ. एसके सिंह ने बताया कि पिछले चार साल में संस्थान ने पीपीआर गोट पोक्स कम्बाइंड वैक्सीन, एफएमडी मार्कर वैक्सीन, पीपीआर मार्कर वैक्सीन, डक प्लेग वैक्सीन को विकसित करने के साथ चार बीमारियों के नैदानिक भी बनाए। इन तकनीकी से 195 लाख का राजस्व प्राप्त हुआ।

बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक पशु विज्ञान डाॅ. अशोक कुमार, गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के कुलपति डाॅ. एमएस चौहान, गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय लुधियाना के डाॅ. जेपीएस गिल, प्रकाश फूड्स, चेन्नई के अध्यक्ष डाॅ. डीवीआर प्रकाश राव आदि मौजूद रहे।

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