इस बार कब रखा जाएगा गणगौर व्रत, जानें तारीख और शुभ मुहूर्त

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Published By Moazzam Beg
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गणगौर पर्व, जो कि राजस्थान का एक प्रसिद्ध पर्व है यह पर्व मां पार्वती को समर्पित है। इस पर्व में उन्हीं की पूजा की जाती है। राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात के कुछ इलाकों में भी यह पर्व मनाया जाता है।

वैसे गणगौर का पर्व राजस्थान और भारत की भूमि के लिए बड़ा ही पवित्र और सुखद त्यौहार माना जाता है। इस पर्व को भारत में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। यह पर्व मां पार्वती को समर्पित है और इस पर्व में उन्हीं की पूजा की जाती है। खास तौर से राजस्थान में गणगौर का बेहद ही महत्व है।

जानिए गणगौर व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 अप्रैल को शाम 5 बजकर 32 मिनट पर शुरू होगी। यह 11 अप्रैल को दोपहर 3:00 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मानी जाती है। ऐसे में गणगौर व्रत 11 अप्रैल को रखा जाएगा। गणगौर के दिन पूजा का शुभ समय सुबह 6.29 बजे से 08:24 बजे तक रहेगा। गणगौर व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त तक उठें। इसके बाद अपने दिन की शुरुआत देवी-देवताओं का ध्यान करके करें।

देवी पार्वती की होती है विशेष पूजा
गणगौर पर मां पार्वती की भी विशेष पूजा करने का विधान है। तीज यानी तृतीया तिथि की स्वामी गौरी हैं इसलिए देवी पार्वती की पूजा सौभाग्य सामग्री से करें। सौलह श्रृंगार चढ़ाएं।देवी पार्वती को कुमकुम, हल्दी और मेंहदी खासतौर से चढ़ानी चाहिए. इसके साथ ही अन्य सुगंधित सामग्री भी चढ़ाएं। इस दिन विवाहित महिलाएं महादेव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। वहीं कुंवारी लड़कियां भी अपने मनपसंद वर को पाने के लिए व्रत करती हैं।

ऐसे करें गणगौर के दिन पूजा अर्चना
गणगौर व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त तक उठें। इसके बाद अपने दिन की शुरुआत देवी-देवताओं का ध्यान करके करें। नहाकर साफ कपड़े पहनें और सोलह श्रृंगार करें। पूजा अर्चना के लिए मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति बनाएं फिर उन्हें एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर विराजित करें।

भगवान शिव और माता पार्वती को चंदन, रोली और अक्षत चढ़ाएं।माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें। अब दीपक जलाकर गणगौर माता की आरती करें और व्रत का संकल्प लें मां को चढ़ाएं प्रसाद को खुद भी खाएं और लोगों में बांट दें।

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