मुरादाबाद : निजी स्कूलों की मनमानी जारी, शिक्षा विभाग मौन...ऑनलाइन भी नहीं मिल रही किताबें

परेशानी : महंगी किताबों से अभिभावकों की जेब पर पड़ रहा असर

मुरादाबाद : निजी स्कूलों की मनमानी जारी, शिक्षा विभाग मौन...ऑनलाइन भी नहीं मिल रही किताबें

मुरादाबाद, अमृत विचार। स्कूलों में एक अप्रैल से नए सत्र की शुरुआत हो गई। अभिभावक अपने बच्चों के लिए किताबें, बैग और ड्रेस की तैयारियों में जुटे हैं। अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूल हर बार की तरह बाहरी प्रकाशकों की महंगी किताबें लगवा रहे हैं। ऐसे में अभिवावकों की जेब पर सीधा असर पड़ रहा है। वे न चाहते हुए भी महंगी किताबें खरीदने को मजबूर हैं। उधर, जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारी मौन हैं।

शिक्षा विभाग की ओर से राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबों का सर्कुलर जारी होने के बावजूद निर्देशों का निजी स्कूलों की ओर से पालन नहीं किया जा रहा है। किताब विक्रेता अलग-अलग कक्षा के मुताबिक किताब और कॉपियों का सेट बनाकर रखे हुए हैं, जिनकी कीमत पांच हजार से आठ हजार रुपये तक बताई जा रही है। साथ ही स्कूल प्रबंधन की ओर से लगाई गई निजी प्रकाशकों की किताबें महानगर में चुनिंदा दुकानों पर ही उपलब्ध हैं। किताबें लेने पहुंचे एक अभिवावक ने बताया कि ऑनलाइन किताबें उपलब्ध नहीं हैं, न ही स्कूल के आसपास किसी दुकान में हैं।

ऑनलाइन भी नहीं मिल रही किताबें
अभिभावक दिनेश कुमार ने कहा कि किताबें न स्कूल में हैं और न ही ऑनलाइन हैं। इसके लिए उन्हें स्कूल द्वारा बताई गई दुकान पर आना पड़ा। वहीं, एक अन्य अभिवावक राहुल ने कहा कि स्कूल के आसपास किताबें न मिलने के कारण उन्हें काम से छुट्टी लेकर आना पड़ा और यहां पर आकर देखा तो लंबी लाइन लगी थी। इस कारण उन्हें परेशानी हुई। एक अन्य अभिवावक मनोज कुमार ने बताया कि मेरी बेटी दूसरी क्लास में पढ़ रही है। दुकानदार की तरफ से दिए गए किताबों के सेट की कीमत 5,771 रुपये रखी गई है। इसमें किताब, कॉपियां के साथ फिजूल की चीजें भी दी गई हैं।

एनसीईआरटी की किताबों में और अन्य प्रकाशकों की किताबों के दाम में फर्क
कक्षा -       एनसीईआरटी (रुपये) -     अन्य प्रकाशक (रुपये)
नर्सरी-                 500 -                         दो हजार
1 से पांचवीं-       1000 -                         पांच से छह हजार
6 से 10वीं-         1500 -                        दो से आठ हजार

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