हरदोई: मां के गर्भ में बच्चे की मौत, परिजनों ने लगाया रुपए के लिए ऑपरेशन में देरी करने का आरोप

हरदोई: मां के गर्भ में बच्चे की मौत, परिजनों ने लगाया रुपए के लिए ऑपरेशन में देरी करने का आरोप

हरदोई। सही कहा जाता है कि सरकारी अस्पतालों में हाथ में कुछ दिए बगैर डाक्टरों का हाथ नहीं चलता। मरीज चाहे कैसी भी हालत में हो, इससे सरकारी डाक्टरों और उनके कर्मचारियों पर फिलहाल कोई असर नहीं पड़ने वाला। ताजा मामला अहिरोरी सीएचसी से रिफर की गई गर्भवती के साथ पेश आया। 

सीएचसी से जिला महिला अस्पताल रिफर की गई गर्भवती के ऑपरेशन के लिए पांच हज़ार रुपये मांगे गए, इतने रुपये इकट्ठा करने में जोड़-घटाना हुआ और जब रुपये दिए गए, उसके बाद ही डाक्टर ने हाथ लगाया, गर्भवती का ऑपरेशन कर उसे तो बचा लिया गया, लेकिन उसके बच्चा नहीं बच सका। मां की गर्भ ही उस मासूम की कब्र बन गई। ज़िला महिला अस्पताल के डाक्टरों और आशा बहुओं के ऐसे गैर ज़िम्मेदाराना रवैए की डीएम से शिकायत की गई है।

अहिरोरी ब्लाक के तिलकपुरवा मजरा गोंडाराव निवासी विवेक कुमार तिवारी पुत्र श्रीराम ने बताया कि 17 मार्च को उसकी पत्नी पार्वती को प्रसव पीड़ा हुई तो वह उसे अहिरोरी सीएचसी ले गया,वहां के डाक्टरों ने देखा-समझा और ज़िला महिला अस्पताल के लिए रिफर कर दिया। 

विवेक का कहना है कि ज़िला महिला अस्पताल की डाक्टर ने ऑपरेशन के लिए कहा और उसके लिए आशा बहू की मार्फत पांच हज़ार रुपये मांगे। एकदम से इतने रुपये इकट्ठा करने में उसे जोड़-घटाना करना पड़ा,जिसमें देरी हुई,उधर पार्वती दर्द से पड़ी तड़प रही थी और इधर डाक्टर रुपये हाथ में आने तक हाथ समेटे बैठी थी, खैर पांच हज़ार रुपये देने के बाद ही डाक्टर ने ऑपरेशन किया,लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। पार्वती के मासूम बच्चे की गर्भ में ही सांसे थम चुकी थी। 

लोगों का कहना है कि एक विवेक ही नहीं न जाने ऐसे कितने होंगे जो ज़िला महिला अस्पताल के डाक्टरों के गैर ज़िम्मेदाराना रवैए के शिकार हो चुके है। कुछ गिने-चुने लोग हिम्मत कर अपनी बात को सामने रखते है,लेकिन तमाम तो ऐसे है जिन्हे दबा लिया जाता है और उनकी बात बाहर आने से पहले ही दबा ली जाती है। विवेक ने डीएम से अपनी शिकायत करते हुए अपने मासूम बच्चे की मौत के ज़िम्मेदार लोगो के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

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