सीतापुर: कठिना नदी की कछारों में होती रही है अवैध असलहों की खेती! तमंचों की बिक्री को लेकर पहले भी बदनाम रहे हैं महोली के कई गांव

सीतापुर की चॉकलेट के नाम से बॉलीवुड फिल्मों तक मशहूर है सीतापुर के अवैध असलहे

सीतापुर: कठिना नदी की कछारों में होती रही है अवैध असलहों की खेती! तमंचों की बिक्री को लेकर पहले भी बदनाम रहे हैं महोली के कई गांव

सीतापुर,अमृत विचार। महोली कोतवाली क्षेत्र में उत्तर-पश्चिम से दक्षिण तक बहने वाली सदानीरा कठिना नदी जहां अवैध रेत खनन माफियाओं को सोना उगल रही है। वहीं अवैध असलहों के कारीगरों के लिए भी पारस साबित हो रही है। कठिना की कछारों में बसने वाले दर्जनों गांव अवैध असलहों की खरीद-फरोख्त को लेकर बदनाम हैं। कई गांवों में नदी किनारे झाड़ियों में छापामारी कर पुलिस अवैध असलहा फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ भी चुकी है। 

पुलिस के तमाम प्रयासों के बाद भी इलाके में असलहों की पैदावार कम नहीं हुई है। चुनाव के समय पुलिस की छापामार कार्रवाई तेज हो जाती है लेकिन साल भर बदमाश कछारों में अवैध असलहे उगाते रहते हैं। बीते मंगलवार की देर रात महुवाकोला गांव के बाहर हुई पुलिस की छापेमारी ने इस बात की तस्दीक भी कर दी है। 

सूत्रों की मानें तो कठिना की कछारों में आने वाले दूलामऊ, भुड़ना,  ललहउवा, डुड़ावल, छेंड़ीपुरवा, हसनापुर, लुकठहा, कठिघरा, हरैया- फत्तेपुर, गदनिया, रुस्तमनगर, श्यामजीरा, गिरधरपुर, तेन्दुआ, दातारपुर, अन्दापुर, महेवा, गजपतीपुर, पीरपुर आदि गांव अवैध असलहों की खरीद-फरोख्त को लेकर बदनाम रहे हैं। वर्षों पहले भुड़ना और दूलामऊ गांव में तो अवैध असलहों की मंडियां सजती थीं। 

यहां आस-पास जिलों के लोग असलहों की सौदेबाजी करने आते थे। इन गांवों के बदनाम कारीगरों के हाथ से बने असलहे जिले में बेजोड़ माने जाते थे। ग्रुपिंग दार नाॅल, मजबूत पकड़ और ऑटो रिजेक्टर के साथ बनने वाले असलहों का मूल्य उनके माॅडल और गुणवत्ता के आधार पर तय किया जाता था। कई वर्षों पहले पुलिस ने यहां छापेमारी कर प्रतिबंधित बोर की कारतूसें भी बरामद की थीं।

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