रामनगर पालिका अध्यक्ष पद के दावेदारों के लिए आरक्षण बना पहेली

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Published By Bhupesh Kanaujia
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34 साल से पालिका अध्यक्ष पद पर ओबीसी प्रतिनिधि ही काबिज 

विनोद पपनै, रामनगर, अमृत विचार। पालिका परिषद के चुनाव निकट आते ही दावेदारों ने जोर आजमाइश शुरू कर दी है। खासकर, भाजपा खेमे में चुनाव को लेकर ज्यादा दिलचस्पी देखी जा रही है, लेकिन सीटों के आरक्षण की पहेली ने दावेदारों की धुकधुकी बड़ा दी है, इसलिए कोई भी अभी ज्यादा तेजी नहीं दिखा रहा है, हालांकि सीटों के परिसीमन और वोटर लिस्ट के अंतिम रूप में आने के बाद ही आरक्षण का स्वरूप निर्धारित होगा, लेकिन विगत बार इस सीट के ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित होने के कारण सामान्य वर्ग के लिए खुला होने की उम्मीद की जा रही है।

भाजपा में सामान्य वर्ग की सीट के साथ ही आरक्षित वर्ग के लिए भी दावेदारों के नाम संगठन के पास चले गए हैं और इनपर मंथन शुरू हो गया है। इस बीच सीट को सामान्य रखने या आरक्षित होने को लेकर भी कयासबाजी शुरू हो गई है। ऐसे में संभावित उम्मीदवार कोई भी अगला कदम उठाने से हिचक रहे हैं। इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने वोट बनने के लिए मिले समय का इस्तेमाल करके अपने प्रभाव वाले इलाकों में संगठन को वोटर लिस्ट में सुधार करने पर लगाया हुआ है। 

कांग्रेस में भी कम नहीं दावेदार
कांग्रेस पार्टी से निवर्तमान पालिका अध्यक्ष मोहम्मद अकरम के फिर से लड़ने के कयास जोरों पर है, लेकिन सामान्य सीट होने की दशा में निवर्तमान सभासद तनुज दुर्गापाल, कांग्रेस नगर अध्यक्ष भुबन शर्मा, हरिप्रिया सती, ताइफ खान आदि के भी चुनाव में दावेदारी किए जाने की चर्चा भी आम है। इसके अलावा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भुबन सिंह डंगवाल के भी मैदान में ताल ठोकने की उम्मीदें की जा रही है। 

भाजपा में दावेदारों ने किया आवेदन 
रामनगर। भाजपा में सामान्य श्रेणी के लिए गणेश रावत, नरेंद्र शर्मा, भूपेंद्र खाती, सत्यप्रकाश शर्मा, रुचि गिरी शर्मा, भागीरथ लाल चौधरी, अमिता लोहनी आदि ने आवेदन किया है, पार्टी नगर मंडल प्रभारी विनीत अग्रवाल ने बताया कि दावेदार सीधे जिलाध्यक्ष के पास भी अपनी दावेदारी कर सकते हैं।   

अभी तक नहीं बन पाया सामान्य श्रेणी का कोई अध्यक्ष 
जब से पालिका अध्यक्ष की सीट पर आम जनता से सीधे मतदान शुरू हुआ है, तब से आज तक रामनगर में सामान्य श्रेणी का कोई भी नेता पलीकाध्यक्ष नहीं बन पाया है। भले ही सीट सामान्य क्यों न रही हो तब भी सामान्य श्रेणी का कोई व्यक्ति चेयरमैन नहीं बन पाया। विगत चौतीस वर्षों में दो परिवारों ने ही पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा बरकरार रखा है, चाहे सीट सामान्य रही हो या आरक्षित।

वर्ष 1988 में मोहम्मद अकरम पहली बार चेयरमैन बने, उसके बाद 1996 में भगीरथ लाल चौधरी चुनाव जीते, वर्ष 2003 में उनकी पत्नी ने उर्मिला चौधरी चुनाव जीती। उसके बाद वर्ष 2008.2013 और 2018 में अकरम फिर से पालिका अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे। दीगर बात है कि सामान्य वर्ग में भी यही जीतते रहे और पार्टियां भी कमोवेश उन्हीं पर भरोसा करती रही।