Unnao News: प्रदूषण से बेखबर प्रशासनिक व प्रदूषण बोर्ड के अफसर...अधिकारी बोले- जल्द ही कराया जाएगा बंद

उन्नाव में प्रदूषण से बेखबर प्रशासनिक व प्रदूषण बोर्ड के अफसर है

Unnao News: प्रदूषण से बेखबर प्रशासनिक व प्रदूषण बोर्ड के अफसर...अधिकारी बोले- जल्द ही कराया जाएगा बंद

उन्नाव, अमृत विचार। शहर सीमा पर संचालित चर्म आधारित औद्योगिक इकाई जहां भूजल को प्रदूषित कर रही हैं। वहीं हवा में दुर्गंध के साथ धुएं के तौर पर जहर घोल रही हैं। जिले के प्रशासनिक अधिकारियों सहित यहां संचालित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय मूकदर्शक बना है, जबकि आहिस्ता-आहिस्ता प्रदूषण लोगों को खोखला कर रहा है।

जिला मुख्यालय तीन तरफ से औद्योगिक इकाइयों से घिरा है, जो दही चौकी, सिंगरोसी, अकरमपुर-चकरमपुर, मगरवारा और बंथर औद्योगिक क्षेत्रों में संचालित है। यहां स्थापित औद्योगिक इकाइयों में सर्वाधिक संख्या टेनरियों व चर्म उत्पाद तैयार करने वाले उद्योगों की है। 

पहले से संचालित टेनरियों को देखते हुए पिछले तीन दशक में एक के बाद एक आधा दर्जन से अधिक आधुनिक स्लाटर हाउस भी यहां स्थापित होते गए। हालांकि प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद स्लाटर हाउस की बढ़ रही संख्या थमी है, लेकिन फूड, गारमेंट व आईटी आधारित नई इकाइयां भी नहीं स्थापित हो सकी है। यानी औद्योगिक विकास पर ब्रेक लगा है। 

स्लाटर व टेनरियों को भूगर्भित जल प्रदूषण की समस्या का कारक ठहराया जाता है। लोगों सवाल उठाते हैं कि निर्यात के लिए भैंस का मांस तैयार करने को धुलाई-सफाई में इस्तेमाल होने वाला लाखों लीटर पानी आखिर कहां जाता है? जनता के बीच आने वाले जवाब में दावा किया जाता है कि तकनीकि का इस्तेमाल करते हुए प्रदूषित पानी धरती की कोख में पहुंचा दिया जाता है। 

इसी तरह टेनरियों में चमड़ा साफ करने में उपयोग होने वाले रसायन युक्त पानी को भी भूगर्भ का रास्ता दिखा दिया जाता है। स्लाटरिंग व टेनरियों की बहुतायत से कचरा इस्तेमाल करने वाली तमाम इकाइयां फल-फूल रही हैं। कोई चमड़े के बुरादे से शीट तैयार करता है तो कोई अचौनी-पचौनी सहित भैंसों के कान-पूंछ आदि से डाग फूड तैयार करता है। 

मूर्गी व मछली दाना तैयार करने की आड़ में चर्बी तैयार करने की इकाइयां भी संचालित हैं। टेनरियों व स्लाटर के कचरे से उत्पाद तैयार करने वाले वातावरण मे दुर्गंध भरने का काम करते हैं। इन तमाम इकाइयों में ईधन के तौर प्लास्टिक व टायर आदि जलाए जाते हैं। साथ ही जनरेटर व ब्वायलर का धुओं वातावरण में घुलता रहता है।

क्या बोले अधिकारी

समय-समय पर औद्योगिक क्षेत्रों में जांच कर मानकों का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की जाती रहती है। अनाधिकृत इकाइयों को बंद भी कराया जाता है। चुनावी व्यस्तताओं से इधर स्टाफ सहित वह स्वयं नियम पालन कराने को समय नहीं दे सके हैं। अब चुनाव निपटने से जल्दी ही फिर अभियान चलाकर प्रदूषण संबंधी मानक पूरे कराते हुए अनाधिकृत कामकाज बंद कराया जाएगा।- अनिल माथुर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी

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