इस वोट बैंक से बदलेगा यहां का चुनावी समीकरण, तीनों प्रमुख दलों के प्रत्याशियों की काफी दिलचस्प हुई लड़ाई 

इस वोट बैंक से बदलेगा यहां का चुनावी समीकरण, तीनों प्रमुख दलों के प्रत्याशियों की काफी दिलचस्प हुई लड़ाई 

बाराबंकी, अमृत विचार। जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, बाराबंकी में सियासी  घमासान  तेज होता  चला जा रहा है। बड़े नेताओं की ताबड़तोड़ रैली की वजह से सियासी लड़ाई बेहद दिलचस्प होती जा रही है। यहां अब तीनों प्रमुख दलों की निगाह पिछड़ा वंचित और मुस्लिम मतदाताओं पर टिक गई है। इस वर्ग के यहां करीब 48 प्रतिशत से अधिक मतदाता है ,जो यदि एकजुट होकर किसी पार्टी के पक्ष में मतदान करते हैं तो जीत- हार के समीकरण काफी हद तक बदले जा सकते हैं। इसके लिए तीनों दलों के रणनीतिकार राजनीति की बिसात पर जातीय पासा फेकने में  कोई कोर  कसर नही छोड़ रहे । हालांकि ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो आना आने वाला भविष्य तय करेगा। 

बाराबंकी संसदीय सीट लगातार दो बार से भाजपा के कब्जे में है। यहां भाजपा के लिए जहां हैट्रिक लगाने की चुनौती है ,तो वहीं कांग्रेस के लिए यह चुनाव उसके अस्तित्व की लड़ाई से जुड़ी हुई है। बसपा भी अपना खोया हुआ जनाधार वापस लाने के लिए बेताब दिख रही है।। लगातार दस सालों से भाजपा के कब्जे में रहने वाली इस सीट व भाजपा के वर्चस्व  को ढहाने के लिए विपक्षी दल कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा के टिकट से प्रियंका रावत के खिलाफ यहां से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ.पीएल पुनिया तो सपा ने रामसागर को अपना प्रत्याशी बनाया था। लेकिन मोदी- योगी लहर के आगे कोई टिक न सका और विरोधी दलों को पराजय का सामना करना पड़ा। भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष राजरानी रावत को तो इंडी ने तनुज पुनिया को चुनाव मैदान में उतारा है। यहाँ बसपा ने शिव कुमार दोहरे को पार्टी प्रत्याशी बनाया है।

अब तक के समीकरणों में तीनों प्रत्याशी मजबूती से चुनाव लड़ते दिख रहे हैं। सबकी नजर इस समय पिछड़ा वंचित और मुस्लिम मतदाताओं पर टिकी है। उन्हें साधने के लिए सभी अपने अपने मोहरे फिट कर रहे हैं। कांग्रेस से गठबंधन प्रत्याशी तनुज पुनिया पिछड़ा वंचित और मुस्लिम को अपना परम्परा गत वोट बैंक बता कर इन मतदाताओं को एक सूत्र में बांध कर इस बडे़ वोट बैंक पर अपना एकाधिकार बताने का काम कर रहे। वहीं भाजपा प्रत्याशी  राजरानी सबका साथ सबका विकास का नारा दे मतदाताओं के बीच गहरी पैठ बनाने में जुटी हैं ,और सरकार द्वारा इन वर्गों के लिए चलाए जाने वाली योजनाओं को अपनी सभी जनसभाओं में गिना कर इस वोट बैंक को अपनी ओर खींचने की कोशिश में हैं।  बसपा प्रत्याशी शिव कुमार दोहरे इस वर्ग के मतदाताओं को अपना वोट  बैंक बताने से नहीं चूक रहें।  

बसपा प्रत्याशी भी पिछड़ा ,मुस्लिम मतों को जोड़ने की जुगत में है। सियासत दारों का कहना है कि सभी प्रत्याशी और उनके खेवनहार अपनी- अपनी सियासी शतरंज पर अपने तरीके से पासे फेंक रहे हैं। अब देखना यह है कि इन तीनों वर्ग के वोट बैंक को अपने पाले में खींचने के लिए की गई कसरत 20 मई को होने वाले चुनाव में किस पार्टी  के पक्ष में अपना मतदान करती है। मुस्लिम वंचित और पिछडी़ जातियों ने जिस पार्टी की ओर अपना रुख किया उसे पार्टी के प्रत्याशी का सियासी समीकरण के साथ जीत-हार का परिदृश्य ही बदल जाएगा।

वर्गवार मतदाताओं की सम्भावित स्थिति
ब्राम्हण 10.75% 
क्षत्रिय 9.75% 
कायस्थ 2.21% 
वैश्य 2.083% 
मुस्लिम 19% 
अन्य सामान्य 3.61% 
यादव 12.5% 
कुर्मी 10.83% 
लोधी 0.8% 
मौर्य 2.5% 
कहर 0.5% 
गड़रिया 0.12% 
निषाद 0.6% 
अन्य पिछड़ा 1.75% 
चमार 7.66% 
रावत 11% 
अन्य 1.91%

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