रईसी के बाद ईरान

रईसी के बाद ईरान

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत से पश्चिम एशिया सदमे में है। राष्ट्रपति की मौत ईरान के सबसे चुनौतीपूर्ण समय में हुई है। ईरान पहले से ही अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से त्रस्त अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए जूझ रहा है और सामाजिक तनाव को शांत करने की कोशिश कर रहा है। परमाणु समझौता खत्म हो चुका है। 

गाजा युद्ध में हालिया वृद्धि ने गंभीर सुरक्षा चिंताओं को जन्म दिया है और कई साजिश सिद्धांतों को हवा दी है। ईरान और इज़राइल के बीच तनाव बहुत बढ़ा हुआ है और ईरान, अपने रूस और चीन जैसे साझीदारों के साथ सत्ता की खेमेबंदी के नए दौर में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। देश के रूढ़िवादी हलकों में रईसी के व्यापक प्रभाव ने उन्हें ईरान के भविष्य को आकार देने में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बना दिया था। 

ईरान के सवाल को लेकर क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय तनावों के बावजूद, इब्राहिम रईसी का निधन, इस क्षेत्र में ईरान की अपनी नीतियों से कहीं ज्यादा उसकी अंदरूनी सियासत पर असर डालने वाला है। इब्राहिम रईसी की अचानक मौत के बाद, अगले 50 दिनों के दौरान जब तक ईरान नया राष्ट्रपति चुनेगा, वो ईरान की राजनीति के लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण होंगे। 

नए चुनाव होने तक उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर कार्यवाहक राष्ट्रपति रहेंगे। आगे चलकर ईरान की सियासत में सत्ता के तमाम केंद्र अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए आपस में खींचतान करेंगे। भू-राजनैतिक तनावों के मद्देनजर, रईसी की मौत से साजिश के सिद्धांतों को भी बढ़ावा मिल सकता है जिससे इस इलाके में आग और भड़क सकती है। इस हादसे का असर पश्चिम एशिया की राजनीति पर गहराई से पड़ेगा। ईरान और भारत के बीच गहरे संबंध हैं। 

रईसी की मौत भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह के संचालन को लेकर हुए समझौते के बाद हुई है। इस समझौते  के बाद भारत को चाबहार के संचालन का अधिकार अगले 10 सालों के लिए मिल गया है। समझौते के बाद अमेरिका ने भारत को प्रतिबंधों की चेतावनी दी थी। जिस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि यह बंदरगाह पूरे क्षेत्र को लाभान्वित करेगा और अमेरिका को इस मामले में संकीर्ण दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहिए। 

हो सकता है कि रईसी की मौत की वजह से होने वाले सत्ता परिवर्तन का उसकी भू-सामरिक योजनाओं पर बहुत व्यापक या सीधा असर न पड़े। घरेलू, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियों की पृष्ठभूमि के बीच हुई रईसी की मौत के सदमे से ईरान को उबरने में वक्त लगेगा। रईसी की मौत से क्षेत्र में और अस्थिरता पैदा होने का खतरा है, ऐसे में ईरान के सामने भी नाजुक स्थिति से निपटने की चुनौती है। 

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