Kanpur: कॉर्डियोलॉजी में बिना चीरा-टांके के हार्ट होगा खुश, इंट्रा वैस्कुलर लिथोट्रिप्सी व IVL विधि से होगा ऑपरेशन

Kanpur: कॉर्डियोलॉजी में बिना चीरा-टांके के हार्ट होगा खुश, इंट्रा वैस्कुलर लिथोट्रिप्सी व IVL विधि से होगा ऑपरेशन

कानपुर, अमृत विचार। कॉर्डियोलॉजी संस्थान में अब बिना चीरा और टांके के दिल को दुरुस्त किया जाएगा। हृदय की धमनी में रुकावट की समस्या से पीड़ित रोगियों का संस्थान में इंट्रा वैस्कुलर लिथोट्रिप्सी और आईवीएल विधि से ऑपरेशन होगा। इसके लिए मरीज को लाखों रुपये खर्च नहीं करने होंगे। कॉर्डियोलॉजी में निशुल्क ऑपरेशन होगा। 

हृदय की धमनी में ब्लॉकेज की समस्या से पीड़ित रोगियों को अब ओपन हार्ट सर्जरी करने की जरूरत नहीं होगी। न ही ऐसे रोगियों को इलाज कराने के लिए निजी अस्पतालों में आठ से 10 लाख रुपये खर्च करने होंगे। प्रदेश में पहली बार कॉर्डियोलॉजी संस्थान में धमनियों में रुकावट की समस्या से पीड़ित रोगियों का इंट्रा वैस्कुलर लिथोट्रिप्सी और आईवीएल विधि से निशुल्क ऑपरेशन किया जाएगा। 

संस्थान के प्रो. अवधेश शर्मा ने बताया कि दिल की धमनी में कैल्शियम का जमाव होने से परत सख्त हो जाती है और इससे अंदर बैलून फूल नहीं पाता। तब स्टंट लगाने में दिक्कत आती है। अभी तक इसका एक मात्र इलाज ओपन हार्ट सर्जरी था। लेकिन अब आईवीएल विधि से बैलून डालकर रोगियों को शॉक वेव दिया जाएगा, जिससे नली मुलायम होगी और परत टूट जाएगी। तब आसानी से स्टंट लग जाएगा। 

इसमें कैल्शियम की परत उसी तरह तोड़ी जाती है, जिस तरह शॉक वेव से किडनी की पथरी को तोड़ा जाता है। इंट्रा वैस्कुलर लिथोट्रिप्सी का सेटअप 10 लाख रुपये का पड़ता है। बैलून सवा लाख रुपये में आता है। कॉर्डियोलॉजी संस्थान के निदेशक प्रो.राकेश वर्मा ने बताया कि संस्थान में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम आईवीएल विधि से इलाज कर रही है। इस विधि से ऑपरेशन में केजीएमयू व एसजीपीजीआई लखनऊ में फीस निर्धारित है। लेकिन कॉर्डियोलॉजी संस्थान में इसका इलाज निशुल्क होगा।

डायबिटीज व किडनी रोगियों को होती अधिक दिक्कत 

कॉर्डियोलॉजी संस्थान के निदेशक प्रो.राकेश वर्मा ने बताया कि हृदय की धमनी में कैल्शियम का जमाव ज्यादातर डायबिटीज ग्रस्त हृदय रोगियों और किडनी रोगियों को होता है। अधिक उम्र के रोगियों को भी यह समस्या होती है। अभी तक ऐसे रोगियों की ओपन हार्ट सर्जरी की जाती है। ऐसे में रोगी को अस्पताल में कई दिनों तक रुकना पड़ता है और खून चढ़ाने की भी जरूरत पड़ती है। 

आईवीएल विधि से इलाज करना आसान होगा। वहीं, कई रोगी ब्लॉकेज के बावजूद वर्षों बाद अस्पताल आते हैं तो एंजियोग्राफी में धमनी ब्लॉकेज का पता चलता है। ऐसे मरीजों की धमनी की नली में भी कैल्शियम की परत जम जाती है। आईवीएल विधि से पहले नली में जमे कैल्शियम की परत को तोड़ा जाता है। उसके बाद नसों के मुलायम होने के बाद स्टंट डाला जाता है।

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