Unnao: गोवंशियों को नहीं नसीब हो पाता चारा-पानी, पालीथिन खाकर मौत बुलाने को हो रहे मजबूर
उन्नाव, अमृत विचार। उन्नाव शहर में गौशाला व कान्हा गौशाला संचालित है। इसी तरह आसपास गांवों में भी गौशालाएं स्थापित हैं। बावजूद इसके शहर के मुख्य मार्गों सहित तमाम गलियों में गोवंश घूमते दिखना आम बात हैं। शहर में गोवंश को पेट भरने के लिए भूसा-चारा नहीं मिलता है। मजबूरी में यह बेजुबान पालीथिन खाकर मौत बुला बैठते हैं, लेकिन मरने वाले घुमंतू गौवंश का पीएम नहीं होता।
इसलिए सरकारी आकड़ों में बीते पांच माह में किसी गोवंश की पालीथिन खाने से मौत न होने का दावा किया जाता है। हनुमंत जीवाश्रय के संस्थापक अखिलेश अवस्थी बताते हैं कि हाल में मृत मिले तीन साड़ की पीएम रिपोर्ट में दम घुटने से मौत की पुष्टि हुई, जो प्रायः पालीथिन खाने से ही होता है।
छुुट्टा घूमने वाले गौवंश किसानों की बड़ी सिरदर्दी बने हैं। रास्ता रुकने सहित टकरा कर घायल होने वाले शहरी भी समस्या से आजिज होकर नाराजगी जताते हैं। गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होने से उमड़ने वाली आस्था के बावजूद आम आदमी स्वयं पेट पालने की जद्दोजहद में गौ माता को तवज्जो नहीं दे पाते हैं।
शहरी कूड़ा घर गोवंश के स्थाई ठिकाना दिखाई देते हैं, क्योंकि यहां कई-कई गोवंश इधर-उधर मुह मारते रहते हैं। लोग सब्जी आदि काटने के बाद छिलका सहित अन्य सामान पालीथिन में भरकर बाहर फेंक देते हैं, जिसे जल्दबाजी में भूखा गोवंश गले के नीचे उतार लेते हैं। उदरस्थ होने के बाद पेट की गर्मी से प्रायः पालीथिन आंतों सहित अन्य नलिकाओं में फंस जाती है, जिससे पीड़ित गौवंश का निधन हो जाता है।
पालीथिन से नहीं हुई किसी गौवंश की मौतः सीवीओ
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (सीवीओ) शिवमूर्ति प्रसाद स्वीकार करते हैं कि पालीथिन को गोवंश हजम नहीं कर पाते। इसलिए गोबर के साथ पालीथिन बाहर निकल जाती है। वह दावा करते हैं कि पिछले पांच माह से जिले में कार्यभार संभालने के बाद से अब तक किसी गोवंश की मृत्यु पालीथिन की वजह से होना उनके संज्ञान में नहीं आया है। वह बताते हैं कि आमतौर पर मृत्यु को प्राप्त गोवंश का पीएम नहीं होता है। नगर निकाय या ग्राम पंचायत शव को ऐसे ही दफना देते हैं। मेडिकोलीगल आवश्यक होने पर ही पीएम होता है।
बदइंतजामी से हर साल होती है सैकड़ों मौतः अखिलेश
इस संबंध में हनुमंत जीवाश्रय के संस्थापक अखिलेश अवस्थी हैरतअंगेज जानकारी देते हुए दावा करते हैं कि बदइंतजामी के चलते हर साल सैकड़ों गोवंश भूख और पालीथिन के शिकार होते हैं। वह सरकारी कही जाने वाली गौशालाओं को सुनियोजित साजिश करार देते हैं, जहां गोवंश का लगातार भूखे रखकर मौत दी जाती है। वहीं पालीथिन तो गौवंश की मौत का सामान ही है। वह दावा करते हैं कि वर्तमान समय शहर में दिख रहे गौवंश के बराबर पिछले कुछ वर्षों में मौत का शिकार हो चुके हैं।