रुद्रपुर: एएनटीएफ ने दबोचे चमोली के थराली से अंतरराज्यीय वन्यजीव अंगों के सौदागर

चार भालुओं की 460 ग्राम पित्त की बरामद

रुद्रपुर: एएनटीएफ ने दबोचे चमोली के थराली से अंतरराज्यीय वन्यजीव अंगों के सौदागर

रुद्रपुर, अमृत विचार। एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स और वाइल्ड लाइफ की टीम ने चमोली जिले में दबिश देकर दो वन्य जीवों के अंगों की तस्करी करने वालों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के कब्जे से चार भालुओं की पित्त भी बरामद की है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर न्यायालय के समक्ष पेश कर दिया है।

शुक्रवार को खुलासा करते हुए एसटीएफ सीओ आरबी चमोला और एएनटीएफ प्रभारी पावन स्वरूप ने बताया कि काफी समय से एसटीएफ की एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स की टीम को गढ़वाल मंडल के पिंडर वन रेज में वन्य जीवों के अंगों की तस्करी का धंधा संचालित है। इसी दौरान बुधवार को एएनटीएफ की टीम को खबर मिली कि दो तस्कर अंगों की तस्करी करने की फिराक में है। सूचना मिलते ही एएनटीएफ, वाइल्ड लाइफ क्राइम पेट्रोल ब्यूरो और चमोली जिले की पुलिस की संयुक्त टीम बनाकर चमोली के थाना थराली के देवाल स्थित हॉस्पिटल तिराहे पर चेकिंग अभियान चलाया गया।

पुलिस को देखकर युवक भागने लगे। जिस पर टीम ने घेराबंदी कर ग्राम बाण थराली निवासी बलवंत सिंह और ग्राम कॉलिंग थराली चमोली निवासी मेहरबान सिंह को गिरफ्तार कर लिया और आरोपियों के कब्जे से चार भालुओं की पित्त बरामद की गई। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह पिछले लंबे समय से वन्य जीवों का शिकार कर उनके अंगों को अंतरराज्यीय स्तर पर बेचते है और मोटी रकम कमाते हैं। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा पंजीकृत कर न्यायालय के समक्ष पेश कर दिया है।

चरस का धंधा छोड़ करने लगे शिकार, 32.22 लाख रुपये किया था पित्त का सौदा

एएनटीएफ प्रभारी पावन स्वरूप ने बताया कि भालुओं की पित्त के साथ पकड़े गए आरोपी बलवंत सिंह और मेहरबान सिंह ने पूछताछ में बताया कि चमोली के पिंडर वन रेंज में भालुओं की संख्या काफी है। इससे पहले वह चरस तस्करी के आरोप में जेल भी जा चुके है, लेकिन जेल से छूटने के बाद कम समय में मोटी कमाई किए जाने का विचार मन में आया और दोनों ने मिलकर अपना नेटवर्क बनाना शुरू कर दिया।

उन्होंने बताया कि पिंडारी गांव के कुछ लोग भालुओं की आवाजाही की सूचना देते थे। यही कारण है कि मई माह की शुरुआत तिथि में ही उन्होंने पहले चार भालुओं का शिकार किया और उसके बाद पित्त निकालकर सुखाई जाती है। बाकी शव को नष्ट कर दिया जाता है। जिसके बाद 460 ग्राम भालू पित्त की कीमत 32.22 लाख रुपये आंकी गई और इसका सौदा भी हो चुका था।