पंतनगर: बायोटेक में चहेतों की नियुक्ति, फिर पदनाम बदलकर तीन गुना कर दिया मानदेय

पंतनगर: बायोटेक में चहेतों की नियुक्ति, फिर पदनाम बदलकर तीन गुना कर दिया मानदेय

पंतनगर, अमृत विचार। जैव प्रौद्योगिकी परिषद (बायोटेक) हल्दी में चहेतों की नियुक्ति करने के बाद पदनाम परिवर्तित कर उनका मानदेय तीन गुना तक करने का का मामला सामने आया है। इसका खुलासा कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत की जांच और हल्द्वानी के आरटीआई एक्टिविस्ट एचएस गौनिया की ओर से मांगी गई सूचना के जवाब में हुआ है।

उत्तराखंड की विशिष्ट पारिस्थितिकी, पर्यावरण एवं जैव विविधता को देखते हुए राज्य के सतत विकास, आर्थिक उत्थान एवं जैप व्रौद्योगिकी क्षेत्र में आधुनिक शोध के लिए वर्ष 2003 में जैव प्रौद्योगिकी परिषद का गठन किया गया था। जिसमें शासन की ओर से प्रस्तावित ढांचेे को राज्यपाल ने अनुमोदन करते हुए वैज्ञानिक श्रेणी-ई, डी, सी, बी (अभियंत्रण) वैज्ञानिक सहायक, तकनीकी अधिकारी ग्रेड-1 (17 पद) 50 प्रतिशत सीधी भर्ती व 50 प्रतिशत पदोन्नति से भरने सहित तकनीकी अधिकारी ग्रेड-2 पदोन्नति एवं लेखाकार, वैयक्तिक सहायक, कनिष्ठ सहायक, प्रयोगशाला सहायक व स्टोर कीपर के पद (11) सीधी भर्ती से भरने और डाटा एंट्री ऑपरेटर, इलेक्ट्रीशियन, चालक, अनुसेवक, चैकीदार व रिसेप्शनिस्ट आदि पद (18) आउटसोर्स से भरने की स्वीकृति दी थी।

तत्कालीन जिम्मेदारों ने कोई भी पद विज्ञापित किए बिना चहेतों को उपनल के माध्यम से भर्ती कर लिया। जिनको जिम्मेदारों ने अनुचित लाभ देने के लिए युक्ति लगाई और शासन से अनुमति लिए बगैर पदनाम में परिवर्तन कर मनचाहा मानदेय बढ़ा दिया। बायोटेक में ऐसे तीन कार्मिक हैं, जिनकी अवैध नियुक्ति सहित उनको पदनाम परिवर्तित कर अनुचित लाभ पहुंचाया गया है। इनमें से एक कार्मिक को कार्यमुक्त कर दिया गया है। मामले में निदेशक बायोटेक डाॅ. संजय कुमार का पक्ष लेने के लिए कई बार फोन करने पर भी उन्होंने फोन नहीं उठाया।

कुमाऊं आयुक्त की जांच में भी हुई धांधली की पुष्टि
शासन ने मामले का संज्ञान लेते हुए कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत को जांच सौंपी थी। आयुक्त ने जांच के बाद सौंपी रिपोर्टं में इन नियुक्तियों को अवैध और नियुक्ति के बाद अनुचित लाभ लेने का दोषी पाया है। उन्होंने शासन से निदेशक बायोटेक को मामले में नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश देने की सिफारिश की है। लेकिन दोषियों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है और दो कर्मी अभी भी अनुचित लाभ लेते हुए संस्थान में कार्यरत है।

अपर सचिव ने भी जताई आपत्ति
अपर सचिव रणबीर सिंह व रामबिलास ने निदेशक बायोटेक को लिखे पत्र में कहा कि अमित पुरोहित की नियुक्ति उपनल के माध्यम से सहायक निदेशक प्रशासन के पद पर की गई है। जबकि संस्थान के संरचनात्मक ढांचे में सहायक निदेशक का पद स्वीकृत नहीं है। बिना स्वीकृत पद के कार्मिक रखना नियम विरूद्ध है। सचिन शर्मा सहायक लेखाकार के पद पर पूर्व से कार्यरत हैं। जनवरी 2021 से सचिन का पदनाम सहायक लेखाकार के स्थान पर लेखाकार किया गया है। सचिन को लेखाकार पद से अधिकारी वर्ग में एक वेतन वृद्धि देते हुए रखा जाना नियमों का उल्लंघन हैं। जबकि उपनल से केवल स्वीकृत पद के सापेक्ष निर्धारित वेतनमान पर रखा जा सकता है। अनुज कुमार लैब सहायक के पद पर कार्यरत थे, को पदोन्नत कर तकनीकी अधिकारी बना दिया गया है, जबकि उपनल में कामिकों की कोई पदोन्नति नहीं होती है।

निदेशक ने कार्यभार छोड़ने के बाद दी स्वीकृति
 23 नवंबर 2021 को शासन ने डॉ. राजेंद्र डोभाल को बायोटेक का अतिरिक्त कार्यप्रभार सौंप दिया था। जबकि एक सप्ताह बाद 30 नवंबर को बायोटेक के पूर्व प्रभारी निदेशक रहे पंतनगर विवि के कुलपति डाॅ. तेजप्रताप ने उपनल कार्मिकों के वेतन बिल जारी करने के लिए उपनल महाप्रबंधक को लिखे पत्र में हस्ताक्षर किए हैं।

शासन के यह हैं आदेश
तत्कालीन मुख्य सचिव डाॅ. एसएस संधू ने 29 अक्टूबर 2021 को शासनादेश जारी कर कहा कि संरचनात्मक ढांचे में सीधी भर्ती के लिए स्वीकृत पदो ंके सापेक्ष संविदा, दैनिक वेतन, कार्य प्रभारित, नियत वेतन, अंशकालिक व तदर्थ नियुक्तियां बिना शासन की अनुमति के कदापि न की जाएं। फिर इन अभ्यर्थियों के लिए तत्कालीन निदेशक ने स्वीकृति कहां से हासिल की।

उपनल मात्र आउटसोर्स एजेंसी है। किसी भी संस्थान द्वारा कार्मिक मांगने पर उपनल की ओर से किसी भी पद के लिए शैक्षिक अर्हता के साथ छह नाम भेजे जाते हैं। जिनके शैक्षिक प्रपत्रों की जांच, इंटरव्यू और पात्र अभ्यर्थी का चयन संस्थान द्वारा ही किया जाता है। इनका अनुबंध 11 माह के लिए ही होता है। सेवाएं सही पाए जाने पर इनका अनुबंध संस्थान ही बढ़ाता या उन्हें निकाल देता है। इनकी वेतन वृद्धि भी संस्थान उनके कार्य के अनुसार ही तय करता है।
- कर्नल एके पांडेय, क्षेत्रीय परियोजनाधिकारी, उपनल, कुमाऊं संभाग हल्द्वानी