बदायूं: मक्के की फसल के बचाव को कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी, फसल पर आर्मी वर्म कीट का खतरा

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Published By Afzal Khan
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बदायूं,अमृत विचार: मक्का की फसल अपनी तैयारी की ओर बढ़ रही है। कहीं बालियां लग रही हैं तो कहीं लग चुकी हैं। यह अवस्था फसल के लिए बेहद संवेदनशील होती है। फसल में फाल आर्मी वर्म कीट लगने का खतरा बढ़ जाता है। बचाव के लिए कृषि विभाग की ओर से एडवाइजरी जारी की गई है।

जिला कृषि रक्षा अधिकारी डीके सिंह ने बताया इस कीट की मादा पत्तियों की निचली सतह पर अंडे देती हैं। कभी-कभी पत्तियों की ऊपरी सतह एवं तनों पर भी अंडे दे देती हैं।

मादा एक से ज्यादा पर्त में अंडे देकर सफेद झाग से ढक देती है। अंडे हल्के पीले (क्रीम कलर) या भूरे रंग के होते है। फाल आर्मी वर्म का लार्वा भूरा, धूसर रंग का होता है। इसके पार्श्व में तीन पतली सफेद धारियां होती हैं। शरीर के दूसरे अंतिम खंड पर वर्गाकार चार गहरे बिंदु दिखाई देते है।

ऐसे पहुंचाती है क्षति
रक्षा अधिकारी ने बताया कि इस कीट की प्रथम अवस्था सूड़ी (लार्वा) सर्वाधिक हानिकारक होती है। सामान्यतः यह कीट बहुभोजी होता है। मक्का, बाजरा, ज्वार, धान, गेहूं, गन्ना सहित लगभग 80 फसलों पर अपना जीवन चक्र पूरा कर सकता है। मक्का इस कीट की रुचिकर फसल है।

यह कीट मक्का की पत्तियों के साथ बालियों को भी प्रभावित करता है। इस कीट का लार्वा मक्के के छोटे पौधों के गोभ के अन्दर घुसकर अपना भोजन प्राप्त करता है। इस कीट की पहचान फसल की बढ़वार अवस्था में पत्तियों में छिद्र एवं पत्तियों के बाहरी किनारों पर इनकी ओर से उत्सर्जित पदार्थ महीन भूसे से बुरादे जैसे दिखाई देता है।

ऐसे करें प्रबंधन
रक्षा अधिकारी ने बताया कि अंडे परजीवी जैसे ट्राइकोग्रामा प्रेटिओसम अथवा डेलीनोमस के 50 हजार एंड प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करने से उनकी संख्या की बढ़ोतरी में रोक लगाई जा सकती है। यांत्रिक विधि शाम को (7:00 से रात 9:00 तक) तीन से चार की संख्या में प्रकाश प्रपंच लगाना चाहिए।

6 से 8 की संख्या में बर्ड पर्चर प्रति एकड़ लगाकर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। पांच प्रतिशत पौध व 10 प्रतिशत गोभ क्षति की अवस्था में कीट नियंत्रण के लिए एनपीवी 250 एलई अथवा मेटाराईजियम एनीप्सोली पांच ग्राम दवा प्रति लीटर या फिर वैसिलस थोरी जैम सिस दो ग्राम दवा प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करना लाभकारी होता है। नीम आयल पांच मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से भी कीटों की संख्या पर नियंत्रण किया जा सकता है।

अभी न डाले धान की नर्सरी
जिला कृषि अधिकारी डीके सिंह ने बताया कि वर्तमान में तापमान लगभग 45 से 46 डिग्री सेल्सियस चल रहा है। तेज धूप के चलते इस समय गर्मी बढी है। ऐसे में कुछ किसान धान की नर्सरी (पौध) लगाने की तैयारी भी कर रहे हैं, जबकि कृषि विशेषज्ञों के अनुसार यह समय धान की नर्सरी के लिए अनुकूल नहीं है। अत्यधिक गर्मी के कारण धान के बीजों का अंकुरण और विकास प्रभावित हो जाता है।

धान की पौध डालने के लिए दिन में 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तथा रात के दौरान 15 से 22 डिग्री सेल्सियम तापमान होना चाहिए ताकि धान के बीजों के अंकुरण के लिए नमी और उचित तापमान मिल सके। कहा कि अभी किसान खेतों की गहरी जुताई करके छोड दें, जिससे भूमि के अन्दर रोग फैलाने वाले फफूंद, जीवाणु तथा हानिकारक कीट के अंडे, प्यूपा, लार्वा सहित हानिकारक खरपतवारों के बीज नष्ट हो जाएगें। भूमि में वायु संचार बढने से जल धारण क्षमता भी बढ़ेंगी।

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