बरेली: जिला अस्पताल में सजा रह गया हीट स्ट्रोक वार्ड, धूप में निकल गई बुजुर्ग की जान

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Published By Vishal Singh
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आधे घंटे तक धूप में पड़ा रहा शव, अस्पताल प्रशासन ने अज्ञात बताकर झाड़ा पल्ला

बरेली, अमृत विचार: भीषण गर्मी की वजह से हो रही मौतों से शहर के श्मशानों में अंत्येष्टियों की संख्या तीन गुना तक बढ़ गई है लेकिन जिला अस्पताल में बनाया गया हीट स्ट्रोक वार्ड अब तक ज्यादा काम नहीं आया है। सोमवार को जिला अस्पताल में ही एक बुजुर्ग मरीज ने दम तोड़ दिया। कड़ी धूप में उसका शव आधे घंटे तक पड़ा रहा। फिलहाल बुजुर्ग की पहचान नहीं हो पाई है। यह भी पता नहीं लग पाया है कि वह जिला अस्पताल क्यों आया था।

बुजुर्ग मरीज ने जिला अस्पताल में प्रतिरक्षण कार्यालय के पीछे टीबी वार्ड के पास ऐसी जगह दम तोड़ा जहां लगातार आवाजाही रहती है। टीबी वार्ड में भर्ती नवाबगंज के एक मरीज के बेटे जयपाल के मुताबिक वह दोपहर करीब 12 बजे जिला अस्पताल के मंदिर पर बंट रहा खाना लेने जा रहे थे। उस दौरान बुजुर्ग टीबी वार्ड के पास शौचालय की सीढ़ियों पर अच्छे-खासे बैठे थे। करीब साढ़े 12 बजे वह खाना लेकर लौटे तो उन्होंने उन्हें बेहोशी की हालत में जमीन पर पड़ा पाया। सूचना दिए जाने के बाद मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. एलके सक्सेना ने पहुंचकर बुजुर्ग को देखा तो उनकी मौत हो चुकी थी। धूप की वजह से उनकी शरीर बुरी तरह तप रहा था।

जिला अस्पताल प्रशासन का कहना है बुजुर्ग के पास पहचान संबंधी कोई दस्तावेज नहीं मिला। इस वजह से उनकी शिनाख्त नहीं हो पाई। बाद में शव को एडीएसआईसी डॉ. अलका शर्मा के निर्देश पर मोर्चरी में भिजवा दिया गया और पुलिस को सूचना दे दी गई। मंगलवार को शव का पोस्टमार्टम होगा।

अस्पताल स्टाफ ने बुजुर्ग की मौत के बारे में सूचना दी थी। बुजुर्ग अस्पताल में भर्ती नहीं था, सभी वार्ड प्रभारियों से इसकी पुष्टि की गई है। शव को मोर्चरी में रखवाकर पुलिस को सूचना दे दी गई है - डॉ. अलका शर्मा, एडीएसआईसी जिला अस्पताल

कागजों में सजा है हीट स्ट्रोक वार्ड मरीज भर्ती हो रहे हैं इमरजेंसी में
शासन के आदेश पर सरकारी अस्पतालों में हीट स्ट्रोक वार्ड बनाने की कागजी खानापूरी हो गई है। जिला अस्पताल के रिकॉर्ड के मुताबिक पिछले डेढ़ महीने में करीब 40 मरीजों में हीट स्ट्रोक के लक्षण मिल चुके हैं लेकिन इनमें कोई भी हीट स्ट्रोक वार्ड में भर्ती नहीं किया गया। सभी मरीजों का इमरजेंसी में इलाज करके चलता कर दिया गया।

जिला अस्पताल के डॉक्टर यह तो मान रहे हैं कि हीट स्ट्रोक के लक्षणों वाले इतने ज्यादा मरीज पिछले बरसों में कभी नहीं आए लेकिन इसके बाद भी शासन के निर्देशों के मुताबिक उनके इलाज की व्यवस्था नहीं की गई है। उदाहरण यह है कि 40 मरीजों में लक्षण मिलने के बावजूद उनमें से एक भी हीट स्ट्रोक वार्ड में भर्ती नहीं किया गया। जिला अस्पताल की एडीएसआईसी डॉ. अलका शर्मा का भी कहना है कि सामान्य तौर पर किसी भी व्यक्ति के शरीर का तापमान 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट या 37 डिग्री सेल्सियस रहता है, लेकिन इन दिनों हीट एग्जॉर्शन के जो मरीज इमरजेंसी में पहुंच रहे हैं, उनके शरीर का तापमान 102 और 103 डिग्री फॉरेनहाइट तक पाया गया है।

गर्मी की मार... बेहोशी की हालत मेंअस्पताल हुंच रहे हैं कई मरीज
जिला अस्पताल में कई मरीज बेहोशी की हालत में पहुंचते हैं। इमरजेंसी वार्ड में उनके शरीर का तापमान नियंत्रित करने के लिए उन पर ठंडे पानी का छिड़काव किया जा रहा है। इमरजेंसी मेडिकल अफसर के कक्ष के फ्रिज में इसके लिए पानी की बोतलों के साथ कुछ फव्वारे भी रखे गए हैं जिनसे मरीज के हाथ-पैर और चेहरे पर ठंडे पानी का छिड़काव किया जाता है।

...और ये शासना देश का हश्र मरीज मरते हैं तो मर जाएं, मुफ्त के एसी की ठंडक तो डॉक्टर साहब ही खाएंगे
शासन से कोई आदेश जारी होने का मतलब यह नहीं है कि अफसरशाही उसे गंभीरता से ही लेगी। तीन सौ बेड अस्पताल इसका ताजा उदाहरण है, जहां तीन सरकारी एसी पूर्व सीएमएस डॉ. भानु प्रकाश के अपने आवास में लगवा लिए जाने के कारण कोल्ड रूम नहीं बन पा रहा है। अस्पताल में आने वाले गरीब मरीजों और शासन के आदेश की विभागीय उच्चाधिकारियों के साथ जिला प्रशासन को भी कितनी परवाह है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रभारी सीएमएस डॉ. सतीश चंद्रा ने ये एसी वापस कराने के लिए करीब तीन हफ्ते पहले सीएमओ को चिट्ठी लिखी थी लेकिन सीएमओ ने भी उस पर ध्यान नहीं दिया। अब मानसून आने में कुछ ही दिन रह गए हैं लेकिन पूर्व सीएमएस अब तक एसी वापस न करने पर अड़े हुए हैं।

सरकारी एसी अपने आवास में लगवाने के मामले में उनकी जवाबदेही सुनिश्चित करने के बजाय सीएमओ डॉ. विश्राम सिंह का कहना है कि प्रभारी सीएमएस के पत्र के बाद डॉ. भानु प्रकाश को सरकारी एसी वापस करने का आदेश दिया है। सूचना मिली है कि वह अवकाश पर हैं। उनके लौटने पर एसी वापस ले लिए जाएंगे।

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