नैनीताल: चिड़ियाघर में वन्यजीवों की संख्या में लगातार गिरावट

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Published By Bhupesh Kanaujia
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गौरव जोशी, नैनीताल, अमृत विचार। नैनीताल चिड़ियाघर में बुजुर्ग जानवरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। उम्र पूरी कर चुके जानवरों के दुनिया को अलविदा कहने के कारण यहां विभिन्न प्रजातियां भी तेजी से कम हुई हैं। देश के चिड़ियाघरों से नए जानवरों की अदला-बदली की प्रक्रिया ठप होने से भी नई प्रजातियों की गिनती आगे नहीं बढ़ पा राही है।

नैनीताल को पर्यटकों के लिए और आकर्षक बनाने के लिए यहां 1995 में गोविंद बल्लभ पंत उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान की स्थापना की गई थी। समुद्र की सतह से करीब 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस चिड़ियाघर को उत्तर भारत का एकमात्र हाई एल्टीट्यूट चिड़ियाघर माना जाता है। चिड़ियाघर की उम्र बढ़ने के साथ ही अब यहां के जानवर भी तेजी से बूढ़े हो रहे हैं।

चिड़ियाघर में आज 20 फीसदी से अधिक जनवर उम्र के अंतिम पड़ाव पर हैं। चिड़ियाघर की शान माने जाने वाले भालू, लेपर्ड, टाइगर और भेड़िया सबसे वरिष्ठ सदस्यों में से हैं, हालांकि चिड़ियाघर प्रबंधन अन्य प्राणी उद्यानों से पत्राचार कर नए जानवर लाने का प्रयास कर रहा है लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है।

दर्जनभर नए मेहमानों के पहुंचने की उम्मीद
नैनीताल चिड़ियाघर के रेजर प्रमोद तिवारी बताते हैं, वन्यजीवो की कमी के चलते देश के विभिन्न चिड़ियाघरों से पत्राचार किया है। उनका सकारात्मक जवाब भी मिला है। स्न्हे लेपड मंगाने की कवायद काफी पहले से की जा रही है। दर्जनभर नए मेहमान नैनीताल चिड़ियाघर में लाए जाने की कवायद की जा रही है।पूर्व में दार्जिलिंग जू से एक मादा मरखोर नैनीताल लाई गई है। जल्द दूसरे स्थानों से दूसरे जानवर लाने की योजना बनाई जा रही है।

पांच साल में घट गए 33 जानवर 
नैनीताल चिड़ियाघर में पांच साल पहले तक यहां 33 प्रजातियों के 231 जानवर रहते थे, लेकिन आज चिड़ियाघर में जानवरी की संख्या 200 के आस पास आकर सिमट गई है। साइबेरियन टाइगर और स्नों लेपर्ड जैसी प्रजातियां तो पूरी तरह खत्म हो गई हैं। इसके अलावा कुछ पक्षियों की प्रजातियां भी पूरी तरह समान हो गई है।