रुद्रपुर: गले में जूते-चप्पल की माला पहनकर ज्ञापन देने पहुंचे ओम प्रकाश

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Published By Bhupesh Kanaujia
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रुद्रपुर, अमृत विचार। अपराध, भ्रष्टाचार और न्याय व्यवस्था के सुधार के लिए प्राचीन तरीका जूता उठाओ अभियान को बल देने की मांग को लेकर कर्मयोग एवं सहयोग साधना समिति के अध्यक्ष ओम प्रकाश वर्मा गले में जूता-चप्पल की माला पहनकर जब डीएम को ज्ञापन देने कलेक्ट्रेट पहुंचे तो हर कोई देखकर हैरान रह गया। वहीं हाथ में तिरंगा लेकर उनकी पत्नी ने सीएम धामी को राखी का लिफाफा भी डीएम को सौंपा। अपनी मांग रखने का नायब तरीका देखकर हर कोई अचंभित हो गया।

बुधवार की सुबह कर्मयोग एवं सहयोग साधना समिति के अध्यक्ष ओमप्रकाश वर्मा अपनी पत्नी मीरा वर्मा के साथ डीएम कार्यालय पहुंचे। जब लोगों ने उनको गले में जूता-चप्पल की माला पहने देखा तो हर कोई हैरान रह गया। पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि देश-प्रदेश में अपराध का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। वहीं देश की बेटियां सुरक्षित नहीं है। अफसरशाही हावी हो चुकी है। उन्होंने दावा किया कि यदि प्राचीन व्यवस्था जूता उठाओ अभियान प्रारंभ हो जाता है तो सभी अपराध सर्वश्रेष्ठ लोकतांत्रिक तरीके और निष्पक्ष संवैधानिक व्यवस्था से मात्र 15 दिनों में ही 99 फीसदी कम हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होने पर वह सजा के लिए तैयार हैं। जूता उठाओ मुहिम को गतिमान बनाने के लिए डीएम को ज्ञापन सौंपा जाएगा। उधर, हाथ में तिरंगा झंडा लेकर पहुंची मीरा वर्मा का कहना था कि वह सीएम धामी को राखी और संस्था की पत्रिका भेजकर प्रदेश की बेटियों की सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने, महिलाओं को आरक्षण देने सहित कई मुद्दों उठाए हैं। इसी उद्देश्य के साथ दंपति अपनी-अपनी मुहिम में लगे हुए हैं। ताकि समाज में नई चेतना व भयमुक्त वातावरण मिल सके। इस दौरान दंपति ने डीएम को ज्ञापन और सीएम को संबोधित राखी का लिफाफा प्रेषित किया।

क्यों पहनी जूतों चप्पलों की माला

डीएम को ज्ञापन देने पहुंचे ओमप्रकाश वर्मा से जब पूछा गया कि आखिरकार जूते-चप्पल की माला क्यों पहनी तो उनका जवाब था कि देश में मासूम बेटियों व महिलाओं का बलात्कार कर हत्याएं हो रही हैं। ऐसे घिनौने अपराध पर न्याय व्यवस्था से नहीं, बल्कि सामाजिक व्यवस्था से नियंत्रित किया जा सकता है।

उन्होंने जूते-चप्पल की माला अपने गुरुजी की माता के हाथों से पहनी है। उन्होंने बताया कि पहले घिनौना कार्य करने वाले अपराधी को जूतों की माला पहनाकर इलाके में घुमाया जाता था और उसका सामाजिक बहिष्कार होता था। जिसके बाद ही दुष्कर्म जैसी घटनाओं पर अंकुश लगा। उन्होंने दावा किया कि उनकी मुहिम को मंजूरी मिली तो 15 दिनों के अंदर जूता उठाओ अभियान से 99 फीसदी अपराध कम होगा और उनकी मुहिम जारी रहेगी।

सिस्टम पर भी उठाए कई सवाल

गले में जूता-चप्पल की माला पहनाकर डीएम को ज्ञापन देने आए ओम प्रकाश वर्मा ने सिस्टम पर भी कई सवाल खड़े किए। उनका कहना था कि गरीब जनता न्याय के लिए भटकती रहती है। न्याय नहीं मिलने पर आपराधिक वारदात को अंजाम देने पर विवश होना पड़ता है। यदि देश का सरकारी तंत्र ठीक हो जाए और जूता उठाओ मुहिम को समर्थन करता है तो सरकारी तंत्र में काफी सुधार होगा। कारण जूता उठाओ का भय सामाजिक दायरे में आता है।